स्टार कास्ट - बृजेंद्र काला, उमेश बाजपाई
डायरेक्टर - संजय भार्गव
प्रोड्यूसर - हरिप्रिया भार्गव, संजय भार्गव
फिल्म में पांच कहानियों को दिखाया गया है जो कि बुंदेलखंड के चंदेरी शहर में बेस्ड हैं। इन कहानियों के नाम खोपड़ी, परछाई, सुआटा, अम्मा और चपेटा है। इन सभी कहानियों में हॉरर का तड़का भी लगा हुआ है ताकि लोगों का इंटरेस्ट फिल्म में बना रहे। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, नारी सशक्तिकरण के अलावा यह फिल्म ग्रामीण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और रीति-रिवाजों को व्यापक रूप में दर्शकों के सामने परोसती है।
फिल्म को डायरेक्ट संजय भार्गव ने किया है और उनका डायरेक्शन ठीक है। फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी स्लो है और राइटिंग काफी वीक है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी ठीक है लेकिन एडिटिंग और भी अच्छे से की जा सकती थी। फिल्म का म्यूजिक औसत दर्जे का है और बैकग्राउंड म्यूजिक ठीक है। फिल्म की सभी कहानियों में से सिर्फ एक या दो ही कहानियां हैं जो अपनी बात कहने में सफल दिखती हैं।
परफॉर्मेंस की बात करें तो एक्टर बृजेंद्र काला ने बढ़िया काम किया है। उन्हें फिल्म में सपोर्ट करते हुए एक्टर उमेश बाजपाई ने भी मौर्या जी के किरदार को अच्छे से निभाया है। माही के किरदार में माही सोनी, मुकेश के रूप में तन्मय चतुर्वेदी ने सराहनीय काम किया है। विजयश्री नागराज ने सखी के किरदार को अच्छे से निभाया है। सागर वही ने सन्नी के किरदार को और सारिका बहरोलिया ने रजनी के किरदार को बखूबी निभाया है। फिल्म के बाकी कलाकारों का काम भी औसत दर्जे का है।
पंचकृति - फाइव एलिमेंट्स पांच कहानियों का एक ठीक-ठाक मिश्रण है। पांचों कहानियों में बुदेलखंड के चंदेरी में रहने वाले ग्रामीणों की कहानियों को काफी अच्छे से दिखाने की कोशिश की गई है। एक तरह से देखा जाए तो यह एक महिला प्रधान फिल्म भी है जो महिलाओं से जुडी कई समस्याओं को उजागर करती है। यह फिल्म भारत के कई महत्वपूर्ण अभियान जैसे 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' और 'स्वच्छ भारत अभियान' के बारे में भी जागरुकता पैदा करती है। अगर आपको इस तरह की संदेश देने वाली फिल्में देखना पसंद है तो ही आप यह फिल्म देखने जा सकते हैं।
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