स्टार कास्ट - गुरु रंधावा, सई एम मांजरेकर, अनुपम खेर
डायरेक्टर - जी अशोक
प्रोड्यूसर - अमित भाटिया, लवीना भाटिया
फिल्म की कहानी आगरा में बेस्ड है और हीर चावला (गुरु रंधावा) और इरा मिश्रा (सई एम मांजरेकर) के इर्द-गिर्द घूमती है। हीर के दादाजी (अनुपम खेर) चाहते हैं कि हीर जल्दी से शादी कर ले ताकि वो अपने पोते का मुंह देख सके और यही समस्या इरा के मां की भी है, वो भी चाहती हैं कि उनकी बेटी जल्दी से शादी कर ले लेकिन इरा को आईपीएस ऑफिसर बनना है। हीर और इरा मिलकर शादी करने का फैसला करते हैं और तय करते हैं कि पहले इरा आईपीएस ऑफिसर बनेगी और उसके बाद ही मां बनेगी। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब हीर की चाची (इला अरुण) को लगता है कि इरा प्रेगनेंट हैं। हीर अपनी चाची जी को सच बताना चाहता है लेकिन इरा उसे मना कर देती है ताकि प्रेगनेंसी की वजह से उसे आराम करने का मौका मिले और वो पढ़ाई कर सके। अब आगे क्या होगा, क्या इरा कभी आईपीएस ऑफिसर बन पाएगी और क्या वो कभी हीर के दादाजी को उनका पोता दे पाएगी। यह सब कुछ जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
फिल्म को डायरेक्ट जी अशोक ने किया है और उनका डायरेक्शन औसत दर्जे का है। फिल्म के स्क्रीनप्ले में कंटीन्यूटी नहीं है, कोई भी सीन कभी भी शुरू हो जा रहा है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी बढ़िया नहीं है। फिल्म का म्यूजिक बढ़िया है और सॉन्ग देखने और सुनने दोनों में अच्छे लगते हैं। फिल्म में कुछ ही फनी सीन्स हैं, जहां पर शायद आपको हंसी आ सकती है क्योंकि बाकी जगहों पर फिल्म के किरदार तो हंसी मजाक करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन आपको हंसी नहीं आएगी। फिल्म में कुछ वन लाइनर हैं जो आपको पसंद आएंगे।
फिल्म के लीड हीरो गुरु रंधावा जितनी अच्छी सिंगिंग करते हैं, खास उतनी ही अच्छी एक्टिंग भी करते लेकिन फिर भी फिल्म के कुछ सीन्स में उनकी कोशिश नजर आती है। फिल्म की हीरोइन सई एम मांजरेकर क्यूट और प्यारी तो लग रही हैं लेकिन उन्हें भी अभी खुद पर एक्टिंग के लिहाज से काफी काम करना है। अनुपम खेर फिल्म के एकमात्र एक्टर हैं, जिन्होंने फिल्म में एक्टिंग की है। अतुल श्रीवास्तव, इला अरुण, परितोष त्रिपाठी और परेश गनात्रा ने ओवरएक्टिंग के अलावा फिल्म में कुछ भी नहीं किया है। साउथ कॉमेडियन ब्रह्मानंदम जरूर कुछ वक्त के लिए आपके चेहरे पर हंसी लाने में सफल होते हैं।
कुछ खट्टा हो जाए एक हल्की फुल्की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है। फिल्म में काफी सारे फनी सीन्स डालने की कोशिश की गई है लेकिन अफसोस एक एक दो सीन को छोड़ दिया जाए तो फिल्म कहीं पर भी आपको हंसाती नहीं है। फिल्म में यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि बड़ों को अपने बच्चों पर बच्चे पैदा करने का प्रेशर नहीं डालना चाहिए क्योंकि सब कुछ बच्चा ही नहीं होता है। अगर आप गुरु रंधावा के फैन हैं तो ही इस फिल्म को देखें।
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