स्टार कास्ट : तमन्ना भाटिया, अभिषेक बजाज, सौरभ शुक्ला
डायरेक्टर : मधुर भंडारकर
प्रोड्यूसर : विनीत जैन, अमृता पाण्डेय
स्टोरी :
फिल्म की कहानी बबली (तमन्ना भाटिया) की है जो कि गांव में पहलवानी करती है। बबली के अंदर लड़कियों वाली कोई हरकत नहीं है। वो पहलवानों की तरह दस बारह रोटियां और ग्लास भर-भर के दूध और लस्सी पीती रहती है। इसी बीच बबली की टीचर का बेटा विराज (अभिषेक बजाज) दिल्ली शहर से गांव आता है। बबली एक ही नजर में विराज से प्यार करने लगती है। अब बबली को किसी भी हालत में दिल्ली शहर जाकर विराज को अपने दिल की बात बोलनी है। बबली अपने दोस्त कुकू (साहिल वैद) के साथ दिल्ली के एक क्लब में एक महिला बाउंसर के तौर पर नौकरी करने लगती है। अब बबली विराज को अपने दिल की बात बताएगी और क्या विराज गांव में रहने वाली बबली का प्रपोजल स्वीकार करेगा। इन सभी सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेंगे।
डायरेक्शन :
फिल्म दिल तो बच्चा है जी के बाद दूसरी बार मधुर भंडारकर ने किसी कॉमेडी फिल्म में हाथ आजमाया है। मधुर का डायरेक्शन तो अच्छा है, लेकिन फिल्म की कहानी ने मधुर भंडारकर के डायरेक्शन को अच्छी तरह से निखरने नहीं दिया। फिल्म का स्क्रीनप्ले ठीक है और सिनेमेटोग्राफी भी ठीक है। फिल्म की एडिटिंग भी बढ़िया है और डायलॉग भी अच्छे हैं। फिल्म का म्यूजिक औसत दर्जे का है।
परफॉर्मेंस :
परफॉर्मेंस के तौर पर देखा जाए तो तमन्ना भाटिया ने बढ़िया अभिनय किया है। एक बाउंसर के रोल में तमन्ना फिट लग रही हैं। अभिषेक बजाज और साहिल वैद ने भी बेहतरीन काम किया है। सौरभ शुक्ला ने हमेशा की तरह बढ़िया काम किया है। फिल्म के बाकी कलाकरों का काम भी सराहनीय है।
क्यों देखें :
बबली बाउंसर का प्लॉट यूनिक था, लेकिन फिल्म के राइटर यूनिक कांसेप्ट के साथ अच्छे से इंसाफ नहीं कर पाए। फिल्म में अगर कुछ देखने लायक है तो वो तमन्ना भाटिया हैं और उनकी दमदार एक्टिंग, बाकी फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जो आपने पहले नहीं देखा होगा। इसलिए अगर आप तमन्ना भाटिया के फैन हैं तो बबली बाउंसर को एक बार तो देख ही सकते हैं।
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