फिल्म - झुंड
स्टार कास्ट - अमिताभ बच्चन, छाया कदम, अंकुश, प्रियांशु, सयाली
डायरेक्टर - नागराज मंजुले
प्रोड्यूसर - भूषण कुमार, कृष्ण कुमार
रेटिंग - 3.5 स्टार
स्टोरी :
फिल्म की कहानी विजय बोराडे (अमिताभ बच्चन) की है जो कि नागपुर के सेंट जॉन स्कूल के फुटबॉल टीचर हैं। विजय स्कूल के बच्चों को फुटबाल सिखाते हैं और स्कूल के पास ही एक झुग्गी झोपड़पट्टी में रहने वालों बच्चों को जब विजय चोरी करते हुए, नशा करते हुए देखते हैं तो वो सोचते हैं कि अगर इन बच्चों को भी फुटबॉल खेलने का मौका मिले तो उन सभी बच्चों को गंदी आदतों से छुटकारा मिल जाएगा। विजय बोराडे कुछ दिन तक झोपड़पट्टी में रहने वाले बच्चों को एक घंटे फुटबॉल खेलने के पांच सौ रुपए देते हैं और जब उन्हें फुटबॉल खेलने की आदत हो जाती है तो उन्हें समझाते हैं कि अगर वो अच्छा फुटबॉल खेलेंगे तो आने वाले दिनों में उनका फुटबॉल मैच सेंट जॉन के बच्चों के साथ होगा। आखिरकार झोपड़पट्टी के बच्चे सेंट जॉन के बच्चों को फुटबॉल मैच में हरा देते हैं। अब विजय बोराडे पूरे भारत के हर कोने में झोपड़पट्टी में रहने वाले बच्चों के लिए एक राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतिस्पर्धा का आयोजन करते हैं ताकि वो हर कोने में रहने वाले टैलेंटेड बच्चों को खोजकर खुद की एक फुटबॉल टीम बना सकें। अब विजय बोराडे अपने इस मिशन में सफल होते हैं या नहीं और उन्हें किस तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है। यह सब कुछ जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
डायरेक्शन :
फिल्म को डायरेक्ट नागराज मंजुले ने किया है जो कि इससे पहले सैराट जैसी सफल फिल्म बना चुके हैं। इस फिल्म में नागराज मंजुले का डायरेक्शन कमाल का है। फिल्म में जिस तरह झोपड़पट्टी के रहने वाले बच्चों के रहन-सहन को दिखाया गया है। उसे देखकर आपको रोना भी आएगा और साथ ही हंसना भी। फिल्म का स्क्रीनप्ले अच्छा है और सिनेमेटोग्राफी लाजवाब है। फिल्म की लंबाई थोड़ा ज्यादा है जो कि फिल्म को सपोर्ट करती है क्योंकि नागराज मंजुले ने फिल्म के कई सीन्स को काफी डिटेलिंग से दिखाया है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक जबरदस्त है और म्यूजिक औसत दर्जे का है।
परफॉर्मेंस :
परफॉर्मेंस की बात करें तो अमिताभ बच्चन ने फुटबॉल कोच के किरदार को बड़ी ही सरलता से निभाया है। फिल्म में उन्होंने जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है। छाया कदम ने अमिताभ बच्चन की पत्नी के रोल को बड़ी ही बखूबी से निभाया है। अंकुश ने फिल्म में उनके किरदार डॉन में जान भर दी है। फिल्म में अंकुश की परफॉर्मेंस लाजवाब है। प्रियांशु, सयाली और योगेश ने भी अच्छा काम किया है। नागराज मंजुले की एक खासियत है कि वो कभी भी अपनी फिल्म में मंझे हुए कलाकारों के बजाय रियल लोगों को मौका देते हैं। इस फिल्म में भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया है। फिल्म में जितने भी कलाकारों को उन्होंने लिया है, सबकी परफॉर्मेंस एकदम कड़क है।
क्यों देखें :
झुंड एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है लेकिन आपको फिल्म में स्पोर्ट्स के अलावा भी काफी कुछ देखने को मिलेगा। यह फिल्म आपको दिखाती है कि झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोग भी इंसान होते हैं। उनसे नफरत करने के बजाय उनके साथ प्यार से पेश आना चाहिए। अगर आप उनके साथ प्यार से पेश आयेंगे तो वो लोग भी आपको अपना बना लेंगे और हां, झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों लोगों के पास भले ही पैसे ज्यादा नहीं होते लेकिन दिल उनका बड़ा होता है। इसके अलावा डायरेक्टर ने फिल्म में जातिवाद, अमीरी-गरीबी और झोपड़ी में रहने वालों का रहन-सहन भी बड़ी ही खुबसूरती से दिखाया है।
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