स्टार कास्ट - पंकज त्रिपाठी, अनुज शर्मा, अमिता वालिया
डायरेक्टर - कमलेश के मिश्रा
प्रोड्यूसर - अंजू भट्ट, चिरंजीवी भट्ट
स्टोरी :
फिल्म की कहानी आजमगढ़ के एक पढ़े लिखे स्टूडेंट आमिर हुसैन (अनुज शर्मा) की है जो कि मौलवी अशरफ अली (पंकज त्रिपाठी) के गिरोह में शामिल होकर पूरे देश के कुछ राज्यों में बम विस्फोट करता है। आमिर के इस कार्य से अशरफ अली काफी खुश होता है और उसे अपने आंकाओं से मिलाने पाकिस्तान स्थित जम्मू कश्मीर लेकर जाता है। वहां पहुंचकर आमिर किस तरह मौजूद सभी आतंकियों को बम से उड़ा देता है, यही सब कुछ फिल्म में दिखाया गया है।
डायरेक्शन :
फिल्म को डायरेक्ट कमलेश के मिश्रा ने किया है और उनका डायरेक्शन औसत दर्जे का है। फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी लंबा और खींचा हुआ है और सिनेमेटोग्राफी की थोड़ी तारीफ की जा सकती है। फिल्म की लंबाई लगभग 90 मिनट की है, जिसे काफी खींचा गया है और फिल्म की कहानी को खींचा नहीं गया होता तो शायद फिल्म आधे घंटे में ही खत्म हो जाती। फिल्म काफी हिस्सों में फिल्म नहीं बल्कि एक डॉक्यूमेंट्री जैसी लगने लगती है क्योंकि फिल्म के कुछ सीन्स को जबरदस्ती लंबा किया गया है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी कमाल नहीं करता है और डायलॉग भी काफी घिसे पिटे लगते हैं।
परफॉर्मेंस :
फिल्म के हीरो अनुज शर्मा ने सराहनीय काम किया है। वैसे तो पंकज त्रिपाठी का रोल फिल्म में ज्यादा नहीं है, फिर भी पंकज त्रिपाठी आपको अपनी एक्टिंग से निराश नहीं करते हैं। अमिता वालिया ने भी बढ़िया काम किया है। फिल्म में बाकी सहयोगियों कलाकारों का काम भी ठीक है।
क्यों देखें :
आजमगढ़ फिल्म यह बताने की कोशिश करती है सिर्फ कुछ लोगों की वजह से किसी एक कौम और किसी एक जिले को गलत नहीं समझना चाहिए। हर एक जिले और हर एक कौम में अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं। इसके अलावा फिल्म के क्लाइमेक्स में जो दिखाया गया है अगर ऐसा हर नौजवान करे तो शायद हमेशा के लिए देश से आंतकवाद खत्म हो जाएगा। फिर भी यह फिल्म देखने के बाद हम कहेंगे कि आजमगढ़ एक फिल्म नहीं बल्कि डॉक्यूमेंट्री लगती है।
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