स्टार कास्ट - विजय सेतुपति, कैटरीना कैफ
डायरेक्टर - श्रीराम राघवन
प्रोड्यूसर - रमेश तौरानी, जया तौरानी, केवल गर्ग
फिल्म की कहानी मुंबई में बेस्ड है लेकिन उस वक्त की है, जब मुंबई को बॉम्बे कहा जाता था। मैरी क्रिसमस के मौके पर पूरे सात साल नाशिक जेल में बिताकर अल्बर्ट (विजय सेतुपति) बॉम्बे आया हुआ है। क्रिसमस की रात में अल्बर्ट घर से नजदीक एक रेस्टोरेंट में खाना खाने जाता है। वहां उसकी नजर मारिया (कैटरीना कैफ) और उसकी बेटी एनी पर पड़ती है। अल्बर्ट खाना खाने के बाद फिल्म देखने थेटर जाता है और वहां पर भी उसकी मुलाकात मारिया से हो जाती है। थेटर में मारिया और अल्बर्ट बात करना शुरू करते हैं। फिल्म खत्म होने के बाद अल्बर्ट मारिया और उसकी बेटी को घर छोड़ने जाता है। घर पहुंचने के बाद मारिया अल्बर्ट को घर बुलाकर ड्रिंक ऑफर करती है। ड्रिंक और डांस करने के बाद मारिया अपनी बेटी को सुलाकर अल्बर्ट के साथ फिर एक बार क्रिसमस मनाने घर से बाहर निकलती है। घूमने के बाद जब अल्बर्ट और मारिया दोबारा घर पहुंचते हैं तो घर में मारिया खुद के हसबैंड जेरोम को मरा हुआ पाती है। अब जेरोम का मर्डर किसने किया और क्या इस वारदात में मारिया या फिर अल्बर्ट का हाथ है। यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
फिल्म को डायरेक्ट श्रीराम राघवन ने किया है और उनका डायरेक्शन ठीक है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इससे पहले श्रीराम राघवन ने और भी कई बेहतरीन फिल्में बनाई हैं। अब तक श्रीराम राघवन द्वारा बनाई गई सभी फिल्मों को देखे तो यह काफी वीक फिल्म है। फिल्म का स्क्रीनप्ले फर्स्ट हाफ में काफी स्लो और बोरिंग है। सेकंड हाफ में फिल्म की रफ्तार थोड़ा बढ़ती है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और कैमरा वर्क लाजवाब है। फिल्म की एडिटिंग और भी बेहतर की जा सकती थी। थ्रिलर फिल्मों में म्यूजिक और बैकग्राउंड म्यूजिक जबरदस्त होना चाहिए है लेकिन इस फिल्म में यह मिसिंग है। फिल्म के डायलॉग ठीक हैं, खासतौर पर विजय द्वारा बोले गए वन लाइनर्स।
परफॉर्मेंस की बात करें तो फिल्म की लीड एक्ट्रेस कैटरीना कैफ ने अच्छी परफॉर्मेंस दी है। इसके अलावा फिल्म में वो काफी खूबसूरत भी लग रही हैं। विजय सेतुपति की परफॉर्मेंस फिल्म में लाजवाब है और इस फिल्म में उनकी एक्टिंग देखकर पता चल जाता है कि उन्हें क्यों एक बेहतरीन अभिनेता कहा जाता है। संजय कपूर इंटरवल के बाद आते हैं लेकिन संजय की दमदार परफार्मेंस की वजह से ही फिल्म और भी रोमांचक बन जाती है। विनय पाठक, टीनू आनंद और प्रतिमा काजमी का फिल्म में अच्छे से इस्तेमाल नहीं किया गया है। राधिका आप्टे का कैमियो ठीक है।
मैरी क्रिसमस एक डार्क थ्रिलर फिल्म है। फिल्म को श्रीराम राघवन ने अपनी ट्रेड मार्क स्टाइल में बनाया है। फिल्म में थ्रिल काफी मिसिंग है जो कि आमतौर पर श्रीराम राघवन की फिल्मों में नहीं होता है। इसके अलावा फिल्म का क्लाइमेक्स तो बढ़िया है लेकिन जिस तरह से फिल्म में प्रेजेंट किया गया है, वो काफी कन्फ्यूजिंग है और जिसकी वजह से ऐसे काफी लोग होंगे जिन्हें क्लाइमेक्स समझ ही नहीं आएगा। फिर भी हम इतना कहेंगे कि आप इस फिल्म को एक बार तो देख ही सकते हैं और आपको फिल्म तभी पसंद आएगी जब आप इस फिल्म की तुलना श्रीराम राघवन की पिछली फिल्मों से नहीं करेंगे।
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