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Auhaam Review : एक बेहद सशक्त सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म है 'औहाम'

एक दर्शक के तौर पर‌ आप फिल्म में आने वाले तमाम उतार-चढ़ाव को दिल थामकर देखने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यही 'औहाम' की सबसे बड़ी ख़ासियत के तौर पर उभर कर सामने आती है।

Shahid Kamil

कलाकार - हृदय सिंह, दिव्या मलिक, वरुण सूरी

निर्माता - रिचा गुप्ता

निर्देशक - अंकित हंस

लेखक - महेश कुमार और हृदय सिंह

पटकथा, संवाद और गीत - वरुण सूरी

संगीतकार - विजय वर्मा

राज एक्सप्रेस। एक दिन अचानक से किसी के गुमशुदा हो जाने के पीछे कितना दिलचस्प तरह का राज छिपा हो सकता है और उस राज का पर्दाफाश करने के लिए एक पुलिस अफसर को क्या कुछ करना पड़ सकता है, ये जानना हो तो आप आज देश भर में सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म 'औहाम' जरूर देखें, जिसे बड़े ही रोचक ढंग से बड़े पर्दे पर‌ पेश किया गया है।

एक शादीशुदा लड़की और एक प्यारी सी बच्ची की मां के एक दिन अचानक से गायब हो जाने की कहानी को 'औहाम' में इतने सशक्त तरीके से फिल्माया गया है कि फिल्म के अंत तक आपकी नजरें सिनेमा के बड़े पर्दे से नहीं हटेंगी। फिल्म का रहस्य और रोमांच अंत तक आपको अपनी जगह से हिलने नहीं देगा। आप हैरत भरी नजरों से आखिर तक इस फिल्म को देखने के बाद जब सिनेमाघर से बाहर निकलेंगे तो एक बेहद उम्दा किस्म की फिल्म देखने का सुकून आपकी आंखों और आपके दिल में होगा।

निर्देशक अंकित हंस ने इस सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म को बड़े ही पुरअसर तरीके से फिल्माया है। पूरी फिल्म में एक भी एक पल नहीं आता है जब आपको किसी भी तरह की बोरियत का एहसास हो। इसके उलट एक दर्शक के तौर पर‌ आप फिल्म में आने वाले तमाम उतार-चढ़ाव को दिल थामकर देखने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यही 'औहाम' की सबसे बड़ी ख़ासियत के तौर पर उभर कर सामने आती है।

एक शादीशुदा कपल के तौर पर हृदय सिंह (शिवा) और दिव्या मलिक (रिया) ने बेहतरीन काम किया है। रिया की तलाश ज़मीन-आसमान एक कर देने वाले इंस्पेक्टर यशवंत के रोल में वरुण सूरी ने भी कमाल का काम किया है। एक बाल कलाकार के तौर पर जनेशा सूरी, पुष्पिंदर सिंह, राम नारायण चावला और अमित बालाजी का अभिनय भी देखने लायक है।

एक अभिनेता होने के अलावा एक पटकथा लेखक, संवाद लेखक और एक गीतकार के तौर भी वरुण सूरी की जितनी तारीफ़ की जाए, कम ही होगी। इतने सारे डिपार्टमेंट में वरुण सूरी के बहुमूल्य और सशक्त योगदान से 'औहाम' एक उम्दा फिल्म के तौर पर सामने उभर कर आती है। महेश कुमार और हृदय सिंह का लेखन में गहराई साफ तौर पर देखी जा सकती है। फिल्म का छायांकन, संपादन और संगीत भी फिल्म के सशक्त पहलू हैं।

उल्लेखनीय है कि 'औहाम' में यूपी पुलिस की सकरात्मक छवि को उनकी कमर्ठता और ईमानदारी के तौर पर‌ पेश किया गया है, जो बाकी फिल्मों में दिखाई जाने वाली क्रूर और भ्रष्ट छवि के एकदम विपरीत है। 'औहाम' एक आला दर्जे की एक बेहद रोचक फिल्म है, जिसे सिनेमा के बड़े पर्दे पर जरूर देखा जाना चाहिए। निश्चित ही ये आपके लिए एक यादग़ार अनुभव साबित होगा।

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