राज एक्सप्रेस। पिछले दिनों रिलीज हुई साउथ की लोकप्रिय फिल्म ‘केजीएफ: 2’ में सोने की खदान और उसे पाने के संघर्ष की कहानी दिखाई गई थी। जिस सोने की खदान पर यह फिल्म बनाई गई है, वह कल्पना नहीं है बल्कि हकीक़त है। KGF का पूरा नाम है कोलार गोल्ड फ़ील्ड्स और यह कर्नाटक में स्थित एक जगह है।
दरअसल साल 1799 में टीपू सुल्तान को मारने के बाद अंग्रेजों ने यह इलाका मैसूर राज्य को दे दिया था, लेकिन सोना निकालने के लिए कोलार को अपने पास ही रखा। शुरुआत में जब अंग्रेजों ने यहां सोना निकालना शुरु किया तो कई मजदूरों की जान जाने के कारण ब्रिटिश सरकार ने यहां खुदाई पर रोक लगा दी।
इसके बाद साल 1873 में ब्रिटिश सैनिक माइकल लेवेली ने कुछ साल रिसर्च की और फिर मैसूर के राजा से अनुमति लेकर यहां खुदाई शुरू करवाई। शुरुआत में खदानों में रोशनी के लिए मशालों या लालटेन का उपयोग किया जाता था। साथ ही हाथ से काम करने के कारण सोना भी कम ही निकलता था।
ऐसे में अंग्रेजों ने कावेरी बिजली केंद्र बनाया। बिजली मिलने के बाद वहां बड़ी-बड़ी मशीनों से सोना निकाला जाने लगा। उस समय अकेले KGF से पूरे भारत का 95 फीसदी सोना निकलता था। KGF के कारण भारत सोने की खुदाई के मामले में दुनिया का छठां सबसे बड़ा देश भी बन गया था।
आजादी के बाद KGF को सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिया और सोना निकालने का काम भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड कंपनी को दे दिया। शुरुआत में कंपनी को अच्छा फायदा हुआ, लेकिन 80 के दशक तक यहां सोना निकलना काफी कम हो गया। इसी को देखते हुए साल 2001 में कंपनी ने यहां से सोना निकालना बंद कर दिया और इसी के साथ KGF खंडहर में बदल गया।
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