राज एक्सप्रेस। आज भी संगीत की दुनिया में मोहम्मद रफी सबसे चमकता हुआ सितारा है। हिंदी सिनेमा के सुरों के बेताज बादशाह माने जाने वाले मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को अमृतसर में हुआ था। 13 वर्ष की उम्र में अपने जीवन का पहला गाना गाने वाले मोहम्मद रफी ने अपने करियर में 18 भाषाओं में 4516 गाने गाए थे। उनके कई गाने ऐसे हैं, जो आज भी लोग बड़े शौक से सुनते हैं। उन्हें ‘क्या हुआ तेरा वादा’ गाने के लिए ‘नेशनल अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा साल 1967 में भारत सरकार ने मोहम्मद रफी को 'पद्मश्री' अवॉर्ड से सम्मानित किया था। तो चलिए आज मोहम्मद रफी के जन्मदिन पर जानते हैं, उनके जीवन से जुड़े मशहूर किस्से :
ऐसे मिला था पहला मौका :
मोहम्मद रफी को पहली बार आकाशवाणी पर गाने का मौका मिला था। दरअसल उस समय के प्रख्यात गायक कुंदनलाल सहगल ने स्टेज पर बिजली नहीं होने की वजह से गाने से मना कर दिया, जिसके बाद मोहम्मद रफी ने गाना गया। उनके गाने से हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध संगीतकार श्यामसुन्दर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मोहम्मद रफी को मुंबई बुला लिया। इसके बाद मोहम्मद रफी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
मौलवियों के कहने पर छोड़ी गायकी :
एक बार हज से लौटने के बाद मोहम्मद रफी को कुछ मौलवियों ने गायकी छोड़ने के लिए कहा और उनके कहने पर मोहम्मद रफी ने भी गाना छोड़ दिया था। हालांकि बाद में उन्हें यह बात समझ आ गई थी कि गायकी इस्लाम के खिलाफ नहीं है और उन्होंने फिर से गायिकी शुरू कर दी।
गले से निकला खून :
मोहम्मद रफी ने फिल्म ‘बैजू बावरा’ के गाने ‘ऐ दुनिया के रखवाले’ का 15 दिनों तक रियाज किया। कहा जाता है कि ज्यादा रियाज करने की वजह से उनके गले से खून निकल आया था। रिकॉर्डिंग के बाद उनकी आवाज इतनी टूट गई थी कि लोगों को लगा था कि अब वह कभी गायकी नहीं कर पाएंगे।
कैदी की अंतिम ख्वाहिश :
एक बार जेल में एक कैदी को फांसी दी जा रही थी। इस दौरान कैदी से उसकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछा गया तो उसने मोहम्मद रफी के गाने ‘ऐ दुनिया के रखवाले’ सुनने की इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद जेल अधिकारियों ने जेल में रिकॉर्डर बजाकर पूरा गाना सुनवाया और उसके बाद ही फांसी दी गई।
लता मंगेशकर से अनबन :
60 के दशक में गायकों की रॉयल्टी को लेकर लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के बीच विवाद हो गया था। इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे से 4 साल तक बातचीत नहीं की थी।
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