Karan Nath Interview Kavita Singh Rathore -RE
सेलिब्रिटी

सोचा नहीं था कि लंबा ब्रेक लेना पड़ेगा - करन नाथ

2002 में आई फ़िल्म 'ये दिल आशिकाना' से बॉलीवुड में आगाज कर चुके एक्टर करन नाथ फिर एक बार बड़े पर्दे पर आ रहे हैं। हाल ही में हमने उनसे उनकी फिल्म के बारे में काफी कुछ जाना। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश।

Author : Pankaj Pandey

राज एक्सप्रेस। साल 2002 में आई फ़िल्म 'ये दिल आशिकाना' से बॉलीवुड में आगाज कर चुके एक्टर करन नाथ फिर एक बार बड़े पर्दे पर आ रहे हैं। उनकी कमबैक फ़िल्म का नाम 'गन्स ऑफ बनारस' है जो कि 28 फरवरी 2020 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। हाल ही में हमने करन नाथ से मुलाकात की और उनसे उनकी फिल्म के बारे में काफी कुछ जाना। पेश हैं हमारी बातचीत के प्रमुख अंश।

इतने सालों बाद आप वापसी कर रहे हैं, इस बारे में क्या कहेंगे ?

मैं खुश हूं कि मैं वापसी कर रहा हूं। मेरे खयाल से लगभग 11 या 12 साल बाद मैं वापसी कर रहा हूं। मुझे जिस तरह की फिल्में करनी थी, उस तरह की फिल्में मुझे कोई ऑफर नहीं कर रहा था इसलिए ब्रेक थोड़ा लंबा हो गया। अब मेरा फ़ोन रिंग कर रहा है और इस मोमेंट को काफी एन्जॉय कर रहा हूं।

फ़िल्म में अपने किरदार के बारे में बताएं ?

फ़िल्म में मेरे किरदार का नाम गुड्डू शुक्ला है। वो बनारस में एक लोअर मिडिल क्लास फैमिली से है और हमेशा उसे अपने पेरेंट्स से डांट भी पड़ती रहती है। उसे बाइक का पैशन है और बाइक चलाने का भी बहुत शौक है। एक दिन उसकी लाइफ में बाइक आ जाती है और उसके बाद वो अंडर वर्ल्ड से जुड़ जाता है। उसके बाद क्या होता है, वो आपको फ़िल्म देखने के बाद पता चलेगा।

गन्स ऑफ बनारस साउथ की रीमेक फ़िल्म है, फ़िल्म में कितने बदलाव किए गए हैं ?

ज्यादा बदलाव नहीं किया गया। बस हमने फ़िल्म को हिंदी बेल्ट की ऑडिएंस के हिसाब से बनाया है। हमने फ़िल्म को बनारस में सेट किया है। इसके अलावा स्क्रीनप्ले में भी थोड़ा बदलाव किया गया है। बाकी फ़िल्म की कहानी लगभग सेम ही रखी है।यह फ़िल्म साउथ फ़िल्म पोलाधवन की रीमेक है, क्या इसलिए ही आपने

फ़िल्म को डायरेक्ट करने के लिए साउथ के डायरेक्टर को चुना ?

नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। मैं शेखर को 2007 से जानता हूं और हम दोनों काफी अच्छे दोस्त भी हैं। वो कई फिल्में साउथ में डायरेक्ट भी कर चुका है। जब मैंने तमिल फिल्म पोलाधवन देखी तो मुझे फ़िल्म बहुत अच्छी लगी। मुझे लगा इस फ़िल्म को हिंदी में बनाना चाहिए। फिर मैंने शेखर को फोन किया और उसे हिंदी रीमेक को डायरेक्ट करने को कहा। वो तुरंत तैयार हो गया और एक हफ्ते बाद ही वो फ़्लाईट पकड़कर मुंबई आ गया।

आपको क्या लगता है आपके कौन से फैसले गलत साबित हुए जिसकी वजह से आपको इतना लंबा ब्रेक लेना पड़ा ?

मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे एक्टिंग में इतना लंबा ब्रेक लेना पड़ेगा क्योंकि मेरी पहली फ़िल्म ये दिल आशिकाना को काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला था। उसके बाद जैसा मैंने सोचा था, वैसा कुछ हुआ ही नहीं। मेरी जो भी फिल्में आई वो सभी फ्लॉप हो गईं। उसके बाद भगवान चाहते थे कि मैं संघर्ष करूं और स्ट्रगल करूं। अब खुद भगवान के मर्जी की वजह से ही मैं इस साल फिर वापसी कर रहा हूं।

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