राज एक्सप्रेस। अभिनेता आर. माधवन जल्द ही बड़े पर्दे पर इसरो वैज्ञानिक नांबी नारायणन का किरदार निभाते हुए नजर आएंगे। माधवन ने इस फिल्म के लिए काफी मेहनत की है और वो मेहनत साफतौर पर फिल्म के ट्रेलर में नजर आ रही है। माधवन अपनी इस फिल्म रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट को लेकर काफी उत्साहित हैं। उनकी यह फिल्म 1 जुलाई 2022 को हिंदी, इंग्लिश, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ भाषा में सिनेमाघरों में रिलीज होगी। पिछले दिनों हमारी मुलाकात आर माधवन से हुई। हमने उनसे फिल्म के बारे में काफी कुछ जाना। पेश हैं हमारी बातचीत के प्रमुख अंश।
इस फिल्म को बनाने का आइडिया कैसे आया ?
विक्रम वेधा के बाद मैं ऐसे ही बैठा हुआ था और सोच रहा था कि अब कुछ यशराज टाइप वाली फिल्में करूं फिर मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि एक इसरो वैज्ञानिक हैं जिनका नाम नांबी नारायणन हैं और उनकी लाइफ काफी इंटरेस्टिंग है। जब मैं उनसे जाकर मिला और उनकी कहानी सुनी, उस वक्त से लेकर आज तक मैं काफी बदल गया हूं। उनके चेहरे पर काफी तेज था और जब वो मुझे अपनी कहानी सुना रहे थे तो उनके अंदर काफी गुस्सा था और आंखों में दर्द भी था। फिर मैंने उनकी लाइफ को ध्यान में रखकर सात महीने में स्क्रिप्ट लिखी और उन्हें जाकर दिखाई। उन्हें मेरी लिखी हुई स्क्रिप्ट काफी पसंद आई। फिर मैंने उनसे उनके अवगुण भी पूछे की क्या उनका किसी के साथ अफेयर था, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि जब दर्शक फिल्म देखें तो उन्हें लगे कि नांबी नारायणन साहब तो पूरे मर्यादा पुरषोत्तम राम थे। फिर मैंने फिल्म को डायरेक्ट किया और आज फिल्म बनकर तैयार है। इसके अलावा मुझे लगता है कि नांबी नारायणन की कहानी लोगों को बतानी जरूरी है, इसलिए भी मैंने यह फिल्म बनाई है।
क्या आपने नांबी नारायणन के अवगुणों को भी फिल्म में दिखाया है ?
जी, क्योंकि ऐसा कोई इंसान नहीं होता है जिसके अंदर कोई अवगुण नहीं होता। नांबी नारायणन साहब के अंदर भी काफी अवगुण हैं। जब मैंने उनके अवगुणों के बारे में सुना तो मैं शॉक हो गया और सोचने लगा कि कैसे कोई इंसान इतना बेरहम हो सकता है। उनके अवगुणों के बारे में ज्यादा नहीं बता पाऊंगा, उसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अनंत महादेवन पहले इस फिल्म को डायरेक्ट कर रहे थे, फिर आपने डायरेक्ट किया, यह कैसे हुआ?
सच कहूं तो फिल्म का कास्टिंग प्रोसेस डिले होने के कारण अनंत जी फिल्म को डायरेक्ट नहीं कर पाए, क्योंकि उन्होंने किसी और को कमिटमेंट दी थी। कास्टिंग प्रोसेस डिले इसलिए हुआ क्योंकि यह फिल्म हिंदी, इंग्लिश और तमिल भाषा में एक साथ शूट हुई है और तीन भाषाओं के लिए अलग-अलग एक्टर्स को कास्ट करना और उनसे परफेक्ट काम करवाना आसान नहीं है। जब अनंत जी ने फिल्म छोड़ी तो मैं डर गया था, लेकिन फिर मेरे दोस्त, नांबी नारायणन और मेरे को प्रोड्यूसर्स ने मुझे कहा कि मैंने ही फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है और मैंने कई बड़े डायरेक्टर्स के साथ काम भी किया है तो मुझे ही फिल्म डायरेक्ट करनी चाहिए तो मैंने डायरेक्ट कर ली।
क्या इतनी बड़ी फिल्म का डायरेक्शन करना आसान था ?
भाई बिल्कुल भी आसान नहीं था क्योंकि फिल्म को तीन भाषा में शूट करना था। मुझे याद है कि फर्स्ट डे शूट के दिन इतने सारे लोगों को सेट पर एक साथ देखकर मैं डर गया था और मैंने सोचा था कि मैं डायरेक्ट नहीं करूंगा, लेकिन फिर मेरे एक दोस्त का फोन आया और उसने समझाया कि अब जब मैं सेट पर आ ही गया हूं तो मुझे कम से कम एक शॉर्ट तो लेकर जाना होगा। जब मैंने एक शॉर्ट लिया तो फिर मैंने सोचा कि एक शॉर्ट और ले लेता हूं। फिर मेरा और कॉन्फिडेंस बढ़ा फिर मैंने एक शॉर्ट और लिया। फिर शॉर्ट लेते-लेते पूरी फिल्म बन गई और आज मैं फिल्म बनाकर आपके सामने बैठा हूं।
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