Forgotten By Bollywood: तमिल फिल्म दंपत्ति जेमिनी गणेशन (Gemini Ganeshan) और पुष्पावली (Pushpavali) के घर पैदा हुई भारत महानतम अभिनेत्रियों में से एक भानुरेखा गणेशन उर्फ रेखा (Bhanurekha Ganeshan) जिन्होंने अपने अभिनय के जादू से लाखो फैंस कमाए। रेखा ने अपने 55 साल के करियर में बहुत से उतार–चढ़ाव देखे जिसने उनके मानसिकता पर असर किया। रेखा ने मुकद्दर का सिकंदर, धर्मा, सुहाग जैसी बेहतरीन हिट्स दी पर बॉलीवुड ने उनकी छवि को हमेशा एक-आयामी (One Dimensional) करने की कोशिश की और शुरुआती समय में उनके रंग को लेकर भी आपत्तिजनक टिप्पणियां भी की। बहरहाल, बॉलीवुड ने इतनी प्रतिभावान और सुंदर अदाकारा को बॉलीवुड ने बनाया राष्ट्रीय खलनायिका (National Vamp) और हत्यारी।
फिल्मी घराने से आने के बावजूद रेखा को अभिनय में रुचि नहीं थी। उन्होंने ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि उनका फ्लाइट अटेंडेंट (Flight Attendant) बनकर दुनिया घूमने का मन था लेकिन उनकी मां पुष्पावली ने उन्हें अभिनय करने की सलाह दी और कहा कि अभिनेत्री बनकर भी वह दुनिया घूम सकती है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बाल कलाकार (Child Actor) के तौर पर साल 1958 में सिर्फ 4 साल की उमर में तेलुगु भाषी फिल्म इंटी गुट्टू (Inti Guttu) से की थी। उन्होंने मुख्य अभिनेत्री के तौर पर अपनी पहली फिल्म साल 1969 में कन्नड़ भाषी फिल्म ऑपरेशन जैकपॉट नल्ली सीआईडी 999 (Operation Jackpot Nalli CID 999) से की थी।
उन्हे अपना सबसे बड़ा ब्रेक साल 1970 में मिला जब उन्होंने निर्देशक मोहन सहगल की फिल्म सावन भादों (Sawan Bhadon) में कास्ट किया गया था। इस फिल्म के बाद उन्होंने अपने करियर में 6 से ज्यादा भाषाओं में लगभग 400 फिल्में की। उन्होंने अपने अभिनय के लिए 1 राष्ट्रीय पुरस्कार (National Award) और 3 फिल्मफेयर अवार्ड (Filmfare Award) से नवाजा गया है। रेखा को भारत की मडोना (Madonna) और मेरिलिन मन्रो (Marilyn Monroe) कहा जाता था। इन सभी उपलब्धियों और कार्यों को जानकर आपको बेशक लग रहा होगा की रेखा की जिंदगी काफी खुशहाल बीती होगी लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं था, आइए बताते है क्यों?
कन्नड़ और तेलुगु भाषी फिल्मों के काम करने के बाद रेखा को साल 1969 में दो शिकारी (Do Shikari) नाम की फिल्म में काम करने का मौका मिला था। इस फिल्म में अभिनेता बिस्वजीत चटर्जी (Biswajit Chatterjee) के साथ उनका एक किसिंग सीन होना था जिसके बारे में रेखा को भनक नहीं थी। रेखा को सिर्फ इतना बताया गया था कि बिस्वाजीत के साथ उन्हें एक सीन करना है लेकिन निर्देशक कुलजीत पाल (Kuljit Pal) और अभिनेता बिस्वजीत ने योजना के तहत उन्हें किसिंग सीन के बारे में नही बताया था।
रेखा जैसे ही उस सीन के लिए अभिनय करना शुरू किया वैसे ही बिस्वजीत ने बिना रेखा की इजाजत के उन्हे 5 मिनिट तक दृढ़तापूर्वक किस किया और कैमरे के पीछे बैठे निर्देशक समेत पूरे लोगों ने तालियां बजाना शुरू कर दी थी। उन तालियों और खुशी के शोर में रेखा के दुख और आसुओं को दबा दिया गया था। जब रेखा ने इस मामले पर बिस्वजीत और निर्देशक से बात की तो उन्होंने ने कहा कि सीन को वास्तविक दिखाने के लिए उन्होंने इस सीन का ज़िक्र रेखा से नहीं किया था। हालांकि इस सीन के चलते यह फिल्म 10 सालों तक सेंसर बोर्ड में अटक गई थी, लेकिन रेखा के साथ बॉलीवुड की बदसलूकी की यह महज शुरुआत थी।
रेखा की शुरुआती सफलता और लोकप्रियता काफी हद तक उनकी आकर्षक सुंदरता और ग्लैमरस ऑन-स्क्रीन उपस्थिति के कारण थी। इसके चलते उन्हें ऐसी भूमिकाओं में कास्ट किया गया, जो उनके रूप-रंग का फायदा उठाती थीं या अक्सर उन्हें एक मोहक या ग्लैमरस चरित्र के रूप में चित्रित करती थीं। फिल्म निर्माताओं और दर्शकों ने उन्हें इन भूमिकाओं से जोड़ा, जिसके कारण शुरुआत में उन्हें टाइपकास्ट (Typecast) किया गया।
टीपेकास्टिंग का अर्थ होता है की जब फिल्म निर्माता एक अभिनेता या अभिनेत्री को निश्चित छवि या चरित्र के तौर पर देखते है और उन्हें समान किरदार या रोल्स में कास्ट किया जाता है। यही नहीं, करियर की शुरुआत में रेखा को कई बार हिंदी ना बोल पाने और अश्वेत होने के कारण भेदभाव झेलना पड़ा था।
रेखा की जिंदगी में ऐसे साल भी आए है जब फिल्म उद्योग और मीडिया द्वारा नस्लवादी और सेक्सिस्ट हमलों का सामना करना पड़ा था। जिसकी शुरुआत साल 1969 में हुई थी जब कुलजीत पाल ने रेखा को अपनी फिल्म दो शिकारी के लिए कास्ट किया तो अभिनेता राज कुमार (Raaj Kumar) ने कथित तौर पर निर्देशक पाल से कहा था की, "आप अफ्रीका से हैं, आश्चर्य नहीं है कि आपको काली लड़कियां (रेखा) पसंद हैं। यही उनके पहले सह–अभिनेता नवीन निश्चल (Navin Nischal) ने अपने निर्माता से रेखा को उद्धरण करते हुए कहा था कि "आपने यह नमूना कहां से चुना? इतनी काली-कलूटी ।"
रेखा पर नस्लवादी टिप्पणी को लेकर शशि कपूर (Shashi Kapoor) भी पीछे नहीं थे। उन्होंने ने एक कार्यक्रम में कहा था की, "यह सांवली, मोटी और भद्दी अभिनेत्री कैसे बन पाएगी। यह सब सुनने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और सिर्फ 2.5 साल के अंदर नियमित आहार और योग कर उन्होंने सबके मुंह को बंद कर दिया था और जब साल 1978 में उनकी फिल्म ’घर’ (Ghar) आई तो उसने दर्शकों के होश उड़ दिए थे।
मीडिया में अपनी फिल्मों पसंद और अपने करीबी रिश्तों के लिए रेखा हमेशा सुर्खियों में बनी रहती थीं लेकिन साल 1990 में जो हुआ वो शायद आज हर अभिनेत्री के साथ होता हुआ दिखाई पड़ता है। 4 मार्च 1990 में, रेखा ने दिल्ली के एक बड़े व्यवसायी मुकेश अग्रवाल (Mukesh Agarwal) से शादी की थी। शादी के शुरुआती साल सही तरीके से निकले लेकिन रेखा को शादी के बाद पता चला था की मुकेश क्रोनिक डिप्रेशन (Chronic Depression) नाम की मानसिक बीमारी से पीड़ित है। इसी मानसिक बीमारी (Mental Illness) के कारण 2 अक्टूबर 1990 में मुकेश ने आत्महत्या की थी। इस हादसे बाद मीडिया और बॉलीवुड ने मुकेश की मौत का जिम्मेदार रेखा को बताना शुरू कर दिया और उन्हें हत्यारा तक घोषित कर दिया था।
एक तरफ मीडिया ने उन्हें ठंड दिमाग वाली आदमखोर (Cold Hearted Man Eater) और काली विधवा (Black Widow) बताया तो वहीं दूसरी तरफ मुकेश की मां ने उन्हें "मेरे बेटे को खाने वाली डायन बता दिया था।" यही नहीं, जिस बॉलीवुड को इस दुख की घड़ी में रेखा का समर्थन करना चाहिए था उनके दो बड़े सदस्यों ने उनपर आरोप लगाए थे।
अभिनेता अनुपम खेर (Anupam Kher) ने कहा था कि "वह नेशनल वैम्प (राष्ट्रीय खलनायिका) बन गई हैं, मुझे नहीं पता कि अगर मैं उनके सामने आऊंगा तो मैं उनके प्रति कैसी प्रतिक्रिया दूंगा।"
उस समय के बड़े निर्देशक सुभाष घई (Subhash Ghai) ने कहा था कि "रेखा के कारण कोई भी घर किसी अभिनेत्री को बहू नहीं बना पाएगा और रेखा को अब किसी भी प्रतिष्ठित निर्देशक के साथ कार्य करने में कठिनाई होगी।"
बॉम्बे फिल्म उद्योग (Bombay Film Industry) ने मुकेश अग्रवाल की 'हत्या' के लिए रेखा की कड़ी निंदा की थी जबकि मुकेश अग्रवाल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि "मेरी मौत का जिम्मेदार किसी को भी न ठहराया जाए।" रेखा की जिंदगी के इस हिस्से को हमने 30 साल बाद वापस किसी और अभिनेत्री के साथ होते हुए देखा था। साल 2020 में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के बाद कैसे मीडिया ने अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) गुनहगार बना दिया था।
रेखा की आखरी बॉलीवुड फिल्म 9 साल पहले आई थी। उसके बाद से रेखा ने बॉलीवुड ने में एक भी फिल्म नहीं की जिसका कारण उन्होंने बताया था कि बॉलीवुड उन्हें उनकी ही जिंदगी से जुड़े हुए रोल देता है ना की ऐसे रोल्स जिसको करने में उन्हे उत्सुकता हो। रेखा ने अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्में की। इस लेख का अंत करते हम आपके लिए रेखा की 10 फिल्में छोड़े जाते है जो आपको एक बार तो जरूर देखनी चाहिए।
मुकद्दर का सिकंदर (1978)
दो अंजाने (1976)
घर (1978)
खुबसूरत (1980)
उमराव जान (1981)
सिलसिला (1981)
जीवन धारा (1982)
उत्सव (1984)
इज्जत (1987)
खून भारी मांग (1988
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