टाइगर ज़िंदा है की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर अली अब्बास जफर ने बातचीत की Social Media
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टाइगर ज़िंदा है की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर अली अब्बास जफर ने बातचीत की

डायरेक्टर अली अब्बास जफर ने बॉलीवुड के शिखर की ओर एक असाधारण सफर तय किया है। असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत कर आज वह खुद की काबिलियत के दम पर एक स्टार डायरेक्टर बन चुके हैं।

Author : Pankaj Pandey

राज एक्सप्रेस। डायरेक्टर अली अब्बास जफर ने बॉलीवुड के शिखर की ओर एक असाधारण सफर तय किया है। वह ऐसे सबसे युवा निर्देशक हैं, जिनके खाते में ‘सुल्तान’ और ‘टाइगर ज़िंदा है’ जैसी 300 करोड़ रुपए से अधिक कमाने वाली दो फिल्में दर्ज हैं। सिर्फ राजकुमार हीरानी ने ‘पी.के.’ और ‘संजू’ के दम पर यह उपलब्धि दर्ज कराई थी! शहर देहरादून के रहने वाले और बॉलीवुड के लिए एक ऑउटसाइडर अली की परवरिश बतौर डायरेक्टर वाय.आर.एफ. में हुई, क्योंकि उन्होंने बॉलीवुड का अपना सफर एक असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में ही शुरू किया था। आज वह खुद की काबिलियत के दम पर एक स्टार डायरेक्टर बन चुके हैं।

टाइगर फ्रेंचाइजी की कमान संभालने के बाद अली ने इसकी दूसरी किस्त के रूप में ‘टाइगर ज़िंदा है’ (टी.ज़ेड.एच.) का निर्देशन किया और भारत में एक्शन फिल्मों के लिए एक ऐसा बेंचमार्क तय कर दिया कि फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर साबित हुई!

फिल्म रिलीज होने की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर अली इस फिल्म को बनाने की यात्रा के बारे में खुल कर बता रहे हैं तथा यह खुलासा भी कर रहे हैं कि उन्होंने आदित्य चोपड़ा के साथ टी.ज़ेड.एच. के लिए अपना विजन किस तरह से हासिल किया। “यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी; खासकर इसलिए कि पहली फिल्म ‘एक था टाइगर’ बहुत बड़ी हिट हो चुकी थी। दूसरी बात यह थी कि हमारी फिल्म ‘सुल्तान’ के बाद आ रही थी। ‘सुल्तान’ पर लोगों ने जिस तरह से प्यार बरसाया था, उससे मेरे और आदि के ऊपर अतिरिक्त जिम्मेदारी लद गई। हम पर दर्शकों के सामने एक ऐसी फिल्म पेश करने का दबाव था, जो इस लेवल की हो कि देखने के बाद ऑडियंस को लगे कि ‘एक था टाइगर’ वाले किरदारों के साथ टी.ज़ेड.एच. में भी हमने न्याय किया है; इतना ही नहीं, उन्हें यह भी लगना चाहिए कि इसमें हम उन किरदारों को अगली पायदान तक ले गए हैं!”- कहना है इस यंग डायरेक्टर का।

वह आगे बताते हैं, “पहली फिल्म मुख्य रूप से एक रोमांस फिल्म थी। लेकिन इस बार जब किरदार तय हो गए तो मैंने यों ही सोचा कि दूसरे भाग को थोड़ा ज्यादा रियल और ज्यादा जमीनी होना चाहिए। दुनिया का सोशियो-पॉलिटिक्ल सिनैरियो, आतंकवाद को लेकर वैश्विक समस्याएं वगैरह और यही फिल्म का बैकड्रॉप बन गया। हम एक सत्य घटना से प्रेरित थे, जिसमें 39 भारतीय नर्सों को एक आतंकवादी गिरोह ने बंधक बना लिया था। हमने इस घटना को एक किस्म का फिक्शनल ट्विस्ट दे दिया और वह मिशन तैयार हो गया जिसे आर.ए.डब्ल्यू (रॉ) और टाइगर चलाते हैं।“

अली सलमान खान के उस रिएक्शन को याद करते हैं, जब यह फिल्म उनको पहली बार नैरेट की गई थी। उन्हें याद है, “स्क्रिप्ट तैयार हो जाने के बाद सलमान सर के साथ मेरी बातचीत फिल्म के टाइटल को लेकर शुरू हुई थी और टाइटल था- टाइगर ज़िंदा है। तो जब हमने उनको टाइटल बताया, वह मेरी तरफ देख कर मुस्कुराए, क्योंकि उनकी फिल्मों के टाइटल ऐसे ही आयकॉनिक हुआ करते हैं और कहीं न कहीं टी.ज़ेड.एच. सलमान खान को उतने ही अद्भुत तरीके से पेश करती है, जितना कि कोई उनके बारे में सोच सकता है। तो जब मैंने उनको कहानी का आइडिया नैरेट किया, तो एक तरह से वह समझ चुके थे कि हम कैसी फिल्म बनाने जा रहे हैं। चूंकि टी.ज़ेड.एच. का पूरा ढांचा ही एकता, शांति, भाईचारा और खुशी से मिलकर बना है, एक ब्रांड के तौर पर सलमान खान कहीं न कहीं इन मूल्यों के पक्ष में खड़े होते हैं।“

फिल्म की लीडिंग लेडी कैटरीना कैफ की चालाक होने और फाइटिंग के लिए फिट रहने वाली एक्शन हीरोइन के तौर पर चौतरफा बड़ी तारीफ हुई थी, जिन्होंने इस फिल्म के साथ खुद को रीइन्वेंट किया था। अली बताते हैं, “कैटरीना कैफ (ज़ोया) टाइगर फ्रेंचाइजी का बेहद अहम हिस्सा हैं। कबीर (खान) ने टाइगर के पहले भाग में कहीं न कहीं एक बेहद स्ट्रॉन्ग हीरो, फीमेल हीरो को स्टैबलिश कर दिया था। ऐसे में मेरे ऊपर ज़ोया के किरदार को नया बनाने की जिम्मेदारी अलग से थी। उसका किरदार टी.ज़ेड.एच. के टाइगर जितना ही स्ट्रॉन्ग होना चाहिए था। आइडिया यह था कि ज़ोया को उसकी खुद की इंडीविजुअलिटी प्रदान की जाए। टी.ज़ेड.एच. में ज़ोया का ट्रैक केवल स्क्रीनप्ले और स्टोरीटेलिंग में ही नहीं समाया है, बल्कि यह इमोशनल तौर पर भी बहुत भारी पड़ता है।“

‘टाइगर ज़िंदा है’ भारतीय सिनेमा की कुछ सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में शामिल है। अली से यह पूछने पर कि ऑडियंस से जोड़ने वाली फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी क्या थी, वह जवाब देते हैं, “टी.ज़ेड.एच. को इतनी बड़ी ब्लॉकबस्टर बनाने के लिए मैं गॉड और ऑडियंस का बेहद शुक्रगुजार हूं। मेरे ख्याल से फिल्म को खासकर इसके इमोशन के चलते प्यार मिला। यह एक पैट्रियाटिक फिल्म है, लेकिन जिंगोइस्टिक नहीं है। यह कॉमर्शियल है, इंटरटेनिंग है। लेकिन कहीं न कहीं इमोशन फिल्म से कभी छूटता नहीं है।“

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