व्यापम घोटाले में तीन को सजा, फर्जी तरीके से बने थे वनरक्षक सांकेतिक चित्र
क्राइम एक्सप्रेस

Bhopal : व्यापम घोटाले में तीन को सजा, फर्जी तरीके से बने थे वनरक्षक

भोपाल स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने व्यापम घोटाले से संबंधित वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 में फर्जीवाड़ा कर नियुक्ति के मामले में आज तीन आरोपियों को सात वर्ष की कैद और अर्थदंड सुनाया।

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भोपाल, मध्यप्रदेश। भोपाल स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने मध्यप्रदेश के चर्चित व्यापम घोटाले से संबंधित वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 में फर्जीवाड़ा कर नियुक्ति के मामले में आज तीन आरोपियों को दोषी पाते हुए सात वर्ष की कैद और अर्थदंड सुनाया।

विशेष अदालत के न्यायाधीश नीतिराज सिंह भदौरिया ने देवेंद्र कुमार जाटव, पद्म सिंह खरे और आनंद सागर नाम के आरोपियों को दोषी पाते हुए सजा सुनायी। हालांकि सबूत के अभाव में सात अन्य आरोपियों को दोषमुक्त घोषित किया गया। दोषियों को धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में सात सात वर्ष का कारावास सुनाया गया। इसके अलावा एक से लेकर तीन हजार रुपए तक का अर्थदंड लगाया गया है।

अभियोजन के अनुसार वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 व्यापम की ओर से आयोजित की गयी थी। इस परीक्षा में बिचौलिए सक्रिय हुए और देवेंद्र कुमार जाटव नाम के अभ्यर्थी के स्थान पर रिंकू शर्मा ने परीक्षा दी। परिणाम पक्ष में आए और देवेंद्र कुमार जाटव वनरक्षक बना गया। इस कार्य में अन्य लोगों की मिलीभगत भी थी। बाद में रिंकू शर्मा ने आत्महत्या कर ली थी।

इसी तरह पद्म सिंह खरे के स्थान पर आनंद सागर ने परीक्षा दी और वह भी वनरक्षक बन गया। इस कार्य में अनेक मध्यस्थों ने भूमिका निभाई थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनवायी के बाद देवेंद्र जाटव, पद्म सिंह खरे और आनंद सागर को सजा सुनायी है। शेष सात आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया।

अज्ञात लोगों की पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को लिखित में शिकायत की थी। जांच में यह तथ्य साफ हो गए। यह मामला शुरूआत में एसटीएफ के पास था, लेकिन बाद में अदालत के आदेश पर यह जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी।

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