नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश। करीब चार साल पहले आनंद में रहने वाले सरकारी अस्पताल में पदस्थ एमबीबीएस डॉक्टर सुनील मंत्री द्वारा अपने ही ड्राइवर की हत्या कर शव के करीब 32 टुकड़े करके एसिड में शव को गलाने के मामले में मंगलवार को द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश हिमांशु कौशल की अदालत ने आजीवन सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया है। बता दें कि 4 फरवरी 2019 को आरोपी डॉ. सुनील मंत्री ने अपने ड्राईवर जुमेराती निवासी वीरू उर्फ वीरेंद्र पचौरी की जघन्य हत्या कर दी थी। डॉक्टर ने पहले वीरू को ग्राऊंड फ्लोर पर बेहोशी का इंजेक्शन लगाया। इसके बाद आपरेशन करने वाली ब्लेड से उसका गला रेंता। हत्या के बाद डॉक्टर वीरू की बॉडी को सीढ़ियों के सहारे प्रथम तल पर ले गया। जहां उसकी बॉडी के तीन बार में तीस से ज्यादा टुकड़े किए।
शव को ठिकाने लगाने एसिड का किया इस्तेमाल :
शव को ठिकाने लगाने के लिए डॉक्टर ने बॉडी के टुकड़े कर एसिड के ड्रम में डाल दिए। इस दौरान पुलिस को मुखबिर से सूचना मिल गई। दोपहर धन-धनाते हुए पुलिस की गाडियां डॉक्टर के घर पहुंची। जैसे ही पुलिस घर में घुसी तो डॉक्टर बाथरूम में बैठकर बॉडी के आखरी बचे हिस्से के टुकड़े करता मिला। जघन्य हत्याकांड की खबर शहर में आग की तरह फैल गई थी।
जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि फरियादी लक्ष्मीनारायण के द्वारा बताया गया कि, उसका लड़का वीरेन्द्र उर्फ वीरू पचौरी उसकी पत्नी रानीबाई के साथ जुमेराती में रहता था तथा डॉक्टर सुनील मंत्री के यहां ड्राइवरी करता था। पहले मेरी बहु रानीबाई भी वहीं काम करती थी। दिनांक 04 फरवरी 2019 के शाम करीबन 4:00 बजे मेरी बहु रानीबाई ने फोन करके बताया कि वीरू का फोन नहीं लग रहा है आपके यहां आए है क्या तब फरियादी ने कहा कि नहीं आया है, कहा कि कही गाड़ी लेकर गया होगा आ जाएगा। लेकिन 5 फरवरी 19 को रानीबाई ने फोन करके बताया कि अभी भी वीरू नहीं आया है, तब फरियादी ने अपने भतीजे पंकज और अभिषेक के साथ करीबन 1 बजे डा. सुनील मंत्री से पूछने उनके घर गए, किंतु डॉक्टर ने उनसे बहस करके उन्हें भगाने लगे, तो तभी वहां पर तत्कालीन टीआई आशीषवार दलबल के साथ आ गए थे। जिन्हें वीरू के गायब होने के संबंध में बताया था और डॉक्टर साहब पर शक जाहिर किया था। जिस पर टी.आई. श्री पवार ने डॉक्टर सुनील मंत्री के घर में तलाशी की थी। तो ऊपर के एक कमरे में रखे नीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम में एसिड की बदबू आ रही थी। उसमें वीरू का कटा सिर और कटा पाव, धड़ दिख रहा था। वहीं बगल में बने बाथरूम में बांया पैर, कटे हुए हिस्से तथा 03 आरी भी पड़ी दिखी है। जिस पर वीरू के परिजनों ने ड्रम में पड़े सिर, चेहरे के हिस्से को देखकर वीरू उर्फ वीरेन्द्र को पहचाना। वीरू उर्फ वीरेन्द्र को डॉ. सुनील मंत्री ने किसी बात को लेकर मार डाला और उसकी लाश के टुकड़ों को गलाने के लिये ड्रम में एसिड में डाल दिया।
मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने डॉ. सुनील मंत्री पर धारा 302, 201 भादवि का प्रकरण कायम कर विवेचना में लिया गया है। प्रकरण में संपूर्ण विवेचना उपरांत आरोपी डॉ. सुनील मंत्री के विरूद्व अभियोग पत्र अंतर्गत धारा 302, 201 भादवि. का प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से 25 गवाहों के कथन कराए गए व प्रकरण संपूर्ण परिस्थितिजन्य साक्ष्य होकर डीएनए रिपोर्ट, वैधानिक साक्ष्य के आधार पर दोषी पाया गया। मंगलवार को माननीय न्यायालय द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश श्री हिमांशु कौशल के समक्ष विचारण में अभियोजन के साक्षियों को परीक्षित कराया गया। अभियोजन के साक्षियों की साक्ष्य से एवं जिला अभियोजन अधिकारी के द्वारा दिये गए तर्को से सहमत होकर आरोपी डॉ. सुनील मंत्री को धारा- 302, 201 भा.द.वि. में दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास तथा 15 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा एवं सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अरूण कुमार पठारिया ने की।
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अरविन्द सक्सेना की रही थी मुख्य भूमिका :
शहर के एक प्रतिष्ठित चिकित्सक डा. सुनील मंत्री द्वारा इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने के बाद से समूचे प्रदेश में हत्याकांड सुर्खियों में रहा था। इस हत्याकांड की जांच तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अरविन्द सक्सेना ने स्वयं की थी। श्री सक्सेना ने इस तरह के हत्याकांड में ट्रेनिंग ले रहे प्रशिक्षु डीएसपी, टीआई एवं अन्य अधिकारियों को विवेचना में शामिल कर प्रकरण की बारीकियों से अवगत कराया था। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को मामले की पूरी विवेचना, सुराग की कड़ी से कड़ी जोड़ने के संबंध एवं साक्ष्य संकलन करने की जानकारी से अवगत कराया था। श्री सक्सेना के मार्गदर्शन में उनकी पूरी टीम ने कड़ी मेहनत एवं जांच-पड़ताल के बाद मामले का खुलासा किया था। परिणाम स्वरूप आज विद्वान न्यायाधीश ने आरोपी डाक्टर को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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