हाइलाइट्स :
निर्माण स्वीकृति से संबंधित कई फाईलें नगर निगम से हैं गायब।
लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू की शिकायत के बाद भी नहीं मिल रही थी फाईलें।
कॉल डिटेल एवं रिकॉर्डिंग के आधार पर नप सकते हैं कई वरिष्ठ अधिकारी।
ग्वालियर, मध्य प्रदेश। नगर निगम के सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा पर ईओडब्लू द्वारा की गई कार्यवाही कई राज खोल सकती है। सिटी प्लानर के घर से नगर निगम की कई फाईलें मिली हैं जिनमें निर्माण स्वीकृति से संबंधित जानकारी है। सूत्रों के अनुसार इसमें कई पुरानी फाईलें शामिल हैं जो कई साल से ढुंढवाई जा रहीं थी। इसमें पुराने सिटी प्लानरों द्वारा दी गई निर्माण स्वीकृति एवं स्वंय वर्तमान सिटी प्लानर द्वारा दी गई निर्माण स्वीकृति की फाईलें शामिल हैं। ईओडब्लू की टीम देर रात तक सिटी प्लानर के घर पर छानबीन कर रही थी।
दरअसल नगर निगम की भवन शाखा की ढर्रा पिछले दो साल में पूरी तरह बिगड़ गया था। कोई भी निर्माण स्वीकृति बिना पैसा लिए नहीं हो रही थी। हद तो यह थी कि सिफारिश के बाद भी स्वीकृति मिलने में कई महीने लग रहे थे। इसी तरह की शिकायतें नगरीय प्रशासन आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव के पास पहुंची थी और उन्होंने पेडेंसी को लेकर सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए अधिकारियों को फटकार लगाई थी। इसके बाद ही पेडेंसी खत्म करने का सिलसिला शुरू हुआ। पिछले एक महीने से लोकायुक्त या ईओडब्लू का छापा मारे जाने संबंधी चर्चा नगर निगम में चल रही थी लेकिन किसी को डर नहीं था। यही वजह थी कि बिल्डर धर्मेन्द्र भारद्वाज से 50 लाख की रिश्वत निर्माण स्वीकृति के एवज में मांगी गई ओर आखिर में सौदा 25 लाख में तय हुआ। ईओडब्लू में की गई शिकायत के आधार पर शनिवार को 5 लाख रुपय की रिश्चत लेते हुए सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा को गिरफ्तार कर लिया है। मामले की जांच जारी है और इस मामले में जल्द ही नए खुलासे हो सकते हैं।
पवन सिंघल को बनाया सिटी प्लानर :
ईओडब्लू की कार्यवाही होने के बाद निगमायुक्त संदीप माकिन ने प्रदीप वर्मा को सिटी प्लानर के पद से हटा दिया है। उनके स्थान पर पीआईयू नॉडल अधिकारी पवन सिंघल को चार्ज दिया गया है। इस संबंध में शनिवार शाम को आदेश जारी कर दिए गए हैं। रिश्वत लेने वाले पूर्व सिटी प्लानर के निलंबन को लेकर कोई सहमति नहीं बनी है। संभवत निगमायुक्त निगम प्रशासक के पास इस संबंध में प्रस्ताव भेजेंगे और इसके बाद ही निलंबन संबंधी कार्यवाही की जायगी।
कॉल डिटेल से खुलेगी कई अधिकारियों की पोल :
नगर निगम की भवन शाखा में किस तरह वसूली का खेल जारी था यह तो ईओडब्लू की कार्यवाही से सामने आ चुका है। लेकिन किस अधिकारी को कितना पैसा जाता था यह सामने आना बाकी है। ईओडब्लू द्वारा सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा से जो मोबाईल जप्त किए गए हैं उसकी रिकॉर्डिगं से कई और मामले सामने आ सकते हैं, साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों को इस डील से कितनी राशि जानी थी और पिछले दो साल में कितना पैसा जा चुका है यह भी सामने आ सकता है।
कई फाईलें बताई जा रही हैं गुम :
नगर निगम द्वारा दी जाने वाली निर्माण स्वीकृति से संबंधित कई फाईलें गायब हैं। कई कॉलोनियों की शिकायत अब भी लोकायुक्त एवं ईओडब्लू में चल रही हैं लेकिन इन फाईलों की जानकारी पांच साल बाद नहीं दी गई। लोकायुक्त एवं ईओडब्लू द्वारा जब भी फाईलें मांगी जाती है तो बताया जाता है कि फाईल ढूंढी जा रही हैं। सिटी प्लानर के घर पर मिली फाईलें यही हो सकती हैं।
इस तरह की गई है पूरी कार्यवाही :
बिल्डर धर्मेन्द्र भारद्वाज द्वारा न्यू सुरेश नगर में डुप्लेक्स बनाए जा रहे हैं।
जीडीए की नोटिफाईड स्कीम के तहत बनाए जाने वाले यहां डुप्लेक्स बनाए जा रहे हैं।
डुप्लेक्स की निर्माण स्वीकृति के एवज में सिटी प्लानर ने 50 लाख की मांग की।
मामला 25 लाख रुपय में तय हुआ और इसकी शिकायत बिल्डर ने ईओडब्लू में की।
ईओडब्लू एसपी ने लेनदेन की कॉल रिकॉर्डिगं कराई और पांच लाख रुपय पहली किस्त के रूप में दिए जाने थे।
शनिवार को बाल भवन से पड़ाव जाने वाले रास्ते में पैसा देने पर सहमति बनी।
पड़ाव क्षेत्र में सिटी प्लानर की गाड़ी में पांच लाख रुपय का लेनदेन होते ही टीम ने छापामार कर गिरफ्तार कर लिया।
इनका कहना है :
इस मामले में नियमानुसार जो भी कार्यवाही होगी वह की जायगी। अब तक निगमायुक्त द्वारा मेरे पास किसी तरह का प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। जिस तरह का प्रस्ताव आयगा उसके अनुसार कार्यवाही करेंगे।आशीष सक्सेना, निगम प्रशासक एवं संभागायुक्त
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