इंदौर, मध्यप्रदेश। नवजात बच्चों को चुराने के गंभीर आरोप में फंसी एक विधवा महिला आया बाई का जमानत आवेदन जिला कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उसमें एक अन्य प्रकरण में जमानत मिलने को आधार बनाकर जमानत मांगी थी। मिली जानकारी के अनुसार यहां के स्कीम नंबर 51 के यश मैटरनिटी क्लीनिक में कई साल पहले आया का काम करने वाली लीलाबाई बच्चा बेचने वाले गिरोह की मुख्य सरगना है किसी भी महिला का बच्चा इसे चुराना होता था तो वह जन्म के तत्काल बाद मां को बेहोशी की हालत में देख उसका बच्चा गायब कर देती थी। कुछ लोगों को इसने बच्चा मृत बताकर धोखा दिया था।
मामले में एसटीएफ ने जांच के बाद लीलाबाई के अलावा देवास में रहने वाली उसकी बहन पुष्पा बाई और बहनोई प्रभुदयाल दोनों निवासी देवास को गिरफ्तार किया था। मामले में जेल में बंद लीलाबाई श्रीवास्तव जिला न्यायालय में जमानत का आवेदन दिया था, उसमें कहा गया था कि उस पर बच्चों को चुराकर बेचने के मामले में अपराध दर्ज किया गया है जबकि पुलिस के पास किसी भी व्यक्ति ने लंबे समय से उसके विरुद्ध कहीं कोई रिपोर्ट नहीं लिखाई है। घटना भी 12 साल पुरानी बताई जा रही है और वे सीनियर सिटीजन है, उसके पति गया प्रसाद की मौत हो चुकी है ऐसे में उसे जमानत पर छोड़ा जाए यह भी तर्क दिया था कि इसे प्रकृति ने एक अन्य मामले में उसी पहले ही जमानत मिल चुकी है। सरकारी वकील के विरोध के बाद अपर सत्र न्यायाधीश केशव मणि सिंघल ने पाया कि मामले में देवास के शिरीष व उसकी पत्नी को भी आरोपी बनाया है, जिन्होंने लीलाबाई से चुराया हुआ बच्चा खरीदा था, इस मामले में एसटीएफ ने दिनांक 21 फरवरी 2021 को कुल 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिसमें पुलिस की विवेचना चल रही है। ऐसे में उन्होंने बच्चा चोरी होने की बढ़ती हुई घटनाओं व अपराध की गंभीरता का हवाला देकर जमानत आवेदन निरस्त कर दिया है।
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