इंदौर, मध्य प्रदेश। ड्रग्स गैंग द्वारा नाबालिग बच्चियों को नशे की लत का शिकार बनाकर उनके साथ रेप करने की वारदात के सामने आने के बाद शहर में नाबालिग लड़कियों के परिजन बेहद डरे से हैं। उनकी बच्ची यदि घर आने में थोड़ी सी भी लेट हो जाती है तो वे दहशत में आ जाते हैं। इस माहौल के बीच ही पिछले चौबीस घंटे में शहर से पांच नाबालिग लड़कियां गायब हो गई हैं। उनके परिजन बेहद चिंतित हैं। पुलिस ने सभी मामलों में अपहरण के केस दर्ज किए हैं।
एमआईजी इलाके के अमीर पहलवान की चाल में रहने वाली एक नाबालिग बच्ची गायब हो गई। उसके भाई ने थाने पहुंचकर रिपोर्ट लिखवाई है। पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया है। बच्ची के भाई का कहना है कि उसे तलाशने के लिए हर रिश्तेदार,परिचित के वहां तलाश रहे हैं लेकिन वह कहीं नहीं मिली। दूसरा सांवेर थाने में दर्ज हुआ है। बाल्याखेड़ी में रहने वाली एक महिला ने अपनी नाबालिग बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई है। महिला ने उसके अपहरण का शक जताया है। तीसरा मामला मांगलिया से सामने आया है। यहां रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने रिपोर्ट लिखवाई है कि उसकी पोती अचानक गायब हो गई है। दादी की रिपोर्ट पर शिप्रा पुलिस ने केस दर्ज किया है। चौथी वारदात सुखलिया से सामने आया है। यहां से एक लड़की का अपहरण कर लिया गया है। बाणगंगा पुलिस ने केस दर्ज किया है। पांचवा मामला मूसाखेड़ी में सामने आया है। यहां से एक किशोरी गायब हो गई है। आजादनगर पुलिस ने केस दर्ज किया है।
लाकडाउन के बाद भी करीब 300 रेप :
लड़कियों के परिजन उनके गायब होने के बाद तनाव और दहशत में इसलिए आ जाते हैं कि बच्ची के साथ अनहोनी की आशंका रहती है। शहर में किसी भी उम्र की बच्ची के साथ दरिंदगी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। वैसे भी लाकडाउन के दौरान (2020) जब लोग महिनों तक घरों में कैद रहे पर रेप के मामलों पर रोक नहीं लगी। इस वर्ष 289 रेप के केस दर्ज हुए हैं। इसमें से कई मामले नाबालिग से संबंधित हैं। वैसे नाबालिग के साथ रेप के मामले ज्यादातर मामलों में पास्को एक्ट भी लगती है इसके बाद भी नराधम हरकतें बंद नहीं कर रहे हैं। इंदौर में सन 2019 में रेप के 375 केस दर्ज हुए थे जबकि 2020 में 289 केस दर्ज हुए हैं। वैसे तो ये आंकड़ा पिछले साल से कम है लेकिन लाकडाउन के दौरान भी इतने रेप के केस चिंतित करने वाले हैं।
तीन सौ से ज्यादा अपहरण के केस :
रेप की तरह ही अपहरण के केस भी चिंता में डालते हैं। लाकडाउन के दौरान जब लोग घरों में कैद थे उसके बाद भी 2020 में अपहरण के 329 केस दर्ज हुए । इसमें नाबालिग के अपहरण के मामले भी शामिल हैं कई मामलों में तो अपहृत का अभी तक कहीं कोई सुराग नहीं मिला है। अक्सर अपहरण के मामले में पुलिस केस तो दर्ज कर लेती है लेकिन अपहृत को तलाश करने के लिए कोई खास प्रयास नहीं होते हैं। पुलिस के बारे में तो यहां तक कहा जाता है कि यदि कोई परिजन अपने नाबालिग बेटे या बेटी का सुराग पुलिस को बताता है और वह दूसरे शहर चलने का निवेदन करता है तो पुलिस पीड़ित के खर्च पर ही दूसरे स्थान या शहर पर जाती है।
शहरी इलाकों से ज्यादा गायब होती हैं लड़कियां :
कुछ दिनों पहले ये बात भी सामने आई थी कि मध्यप्रदेश मेें शहरी इलाकों से नाबालिग लड़कियां ज्यादा गायब हो रही हैं। पुलिस मुख्यालय के अपराध अनुसंधान ने भी अपने आंकड़ों में इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, रीवा, सतना एवं उज्जैन जैसे शहरों से नाबालिग लड़कियों के गायब होने की बात कही थी। 2018 में इंदौर से 593 लड़कियां गायब हुईं। 2019 में जनवरी से जून तक 349 लड़कियां गायब हो गईं जो किसी एक साल में व छह माह में प्रदेश के किसी भी जिले से गायब होने वाली लड़कियों की सर्वाधिक संख्या है। इन हालातों को देखते हुए लड़कियों के परिजन यदि उनके गायब होने से दहशत में आ जाते हैं तो कोई नई बात नहीं है।
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