भोपाल,मध्यप्रदेश । पिचका पेट, धंसी आंखें, जहां-तहां लहराते-लडख़ड़ाते कदम और दुर्बल शरीर से बाहर की ओर झांकतीं पसलियां। यह महज कल्पना नहीं है बल्कि उन इलाकों में भटकते नौजवान युवक-युवतियों की दुर्दशा है जो नशे के कारोबार की मंडी के रूप में बदनाम हो चुके हैं। अति संवेदनशील माना जाने वाला इतवारा इलाका तो शहर की सबसे बड़ी नशे के कारोबार की मंडी के रूप में बदनाम हो चुका है। इसके अलावा गौतम नगर, छोला मंदिर, निशातपुरा, गांधी नगर, कमलानगर व पिपलानी क्षेत्र भी विभिन्न प्रकार के घातक नशे के कारोबार के लिए कुविख्यात हो चुके हैं।
इतवारा इलाके में महज 20 रुपए में गांजे की छोटी पुड़िया पान की गुमठियों पर आसानी से उपलब्ध है। इसके अलावा 30, 40 और 50 रुपए की गांजे की पुड़िया भी आसानी से मुहैया हो जाती है। चरस की छोटी से गोली यहां 50 से 100 रुपए तक में मिल जाती है। हालांकि इन इलाकों में कई बार पुलिस ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर नशा कारोबारियों के हौसले पस्त किए हैं, लेकिन कुछ दिन बाद यह फिर सक्रिय हो उठते हैं।
नौजवान युवक-युवतियों के शरीर को खोखला कर रहा है पंक्चर जोड़ने का सोल्यूशन (सिलोचन) और व्हाइटनर यहां इतवारा, बस स्टैंड, घोड़ानक्कास, गौतम कॉलोनी, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, गैस राहत कॉलोनी, प्रताप वार्ड गांधी नगर, आनंद नगर व कमलानगर आदि इलाकों की परचून की दुकानों पर आसानी से मिल जाता है। जब दुकानदारों से इस संबंध में बात तो पहले तो बात करने से इनकार कर दिया लेकिन बाद में नाम और पहचान न छापने की शर्त पर बताया कि सड़कों पर आवारा घूमने वाले 14 से 20 साल के लडक़े-लड़कियां सिलोचन और व्हाइटनर नशा करने के लिए ले जाते हैं। सिलोचन अथवा व्हाइटनर मिला रुमाल सूंघकर नशा किया जाता है। यह नशा सेहत के लिए बेहद ही घातक है। यह कोई प्रतिबंधित वस्तुएं नहीं है लेकिन सच्चाई यह है कि किराने की दुकानों पर यह सिर्फ नशे के लिए बेची जाती हैं।
नशे के अवैध कारोबार को लेकर राजधानी दो हिस्सों में बंट चुकी है। पुराने शहर में गांजा, चरस, सिलोचन व व्हाइटनर जैसा नशा अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है वहीं नए शहर में अपेक्षाकृत महंगे नशे की डिमांड अधिक है। एमडी (म्याऊं-म्याऊं), गर्दा पाउडर, नशीले इंजेक्शन, टेबलेट और स्मैक आदि महंगे नशों की डिमांड अधिक है। नए शहर में हॉस्टल व किराए के मकानों रहने वाले कुछ छात्र-छात्राएं भी बीयर, शराब के अलावा घातक नशे की गिरफ्त में हैं। देर रात चलने वाले पब, डिस्को अथवा लेट नाइट पार्टियों में महंगे नशे का उपयोग अधिक किया जा रहा है।
नशे की मंडी वाले इलाकों में जहां किराने की दुकानों पर नशे के लिए इस्तेमाल हो रहा सिलोचन व व्हाइटर आसानी से मिल जाता है वहीं नमकीन बेचने वाले कुछ ठेलों पर भी यह उपलब्ध जाता है। इसके अलावा नमकीन के इन ठेलों पर गांजा भरकर पीने के लिए गोगो पाइप व शराब पीने के लिए डिस्पोजल भी आसानी से मिल जाते हैं।
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