Cybercrime Record Report: पूरी दुनिया में कोरोना की एंट्री के बाद से बहुत से बदलाव आये हैं। इन्हीं बदलावों में से एक डिजिटल ट्रांजेक्शन भी है। हालांकि, भारत में पहले भी डिजिटल ट्रांजेक्शन को काफी बढ़ावा मिला है परन्तु कोरोना काल से डिजिटल ट्रांजेक्शन काफी अधिक बढ़ गया है। भारत में एक तरफ कोरोना का आंकड़ा लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा है। वहीं, कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के बीच डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ने से साइबर क्राइम भी काफी अधिक बढ़ गया है। बता दें, यह कहना हमारा नहीं है, यह कहना है साइबर क्राइम रिकॉर्ड की रिपोर्ट का।
साइबर क्राइम रिकॉर्ड की रिपोर्ट :
दरअसल, देश में कोरोना की एंट्री के बाद से लोग ज्यादातर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करना उचित समझ रहे हैं, चाहे वह फल सब्जी जैसी छोटी से छोटी चीज के लिए किया गया भुगतान हो या बड़े से बड़े प्रोडक्ट के लिए। यही कारण है कि, पिछले 6 महीनों में साइबर क्राइम की संख्या में दो गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। साइबर क्राइम रिकॉर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, जो साइबर अपराधों से जुड़ी शिकायतें जनवरी-फरवरी में लगभग 47 थी, वहीं मार्च-अगस्त के बीच बढ़कर 110 के ऊपर तक पहुंच गई। इसी रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज़्याफ़ा फ्रॉड के मामले मई में और दिल्ली से 25% रिकॉर्ड मामले सामने आये हैं।
इन हिस्सों से सामने आये ऐसे मामले :
आपको यह जान कर हैरानी होगी कि, देश के अलग-अलग हिस्सों से होने वाले साइबर क्राइम के लिए अपनाये गए तरीके भी अलग-अलग हैं। इन तरीको में OLX, QWAR और QR कोड जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से सबसे ज्यादा ठगी हुई है। इनके द्वारा यह ट्रांजेक्शन मेवात-मथुरा-भरतपुर से सामने आये हैं। इसके अलावा KYC और UPI के नाम पर सबसे ज्यादा फ्रॉड झारखंड, पश्चिम बंगाल व बिहार से सामने आये हैं।
कैसे करते हैं ठगी :
ऑनलाइन क्राइम करने वाले क्रीमनल यूजर्स को डेबिट-क्रेडिट कार्ड, ई-वॉलेट, नौकरी दिलवाने, महिलाओं को ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग और कोविड केयर के नाम पर मदद के रूप में मांगने जैसे कई तरीके अपनाकर लोगों को बेवकूफ बनाते हैं। पुलिस के अनुसार अब दिल्ली पुलिस लगातार साइबर अटैकर्स को पकड़ने के लिए उनके खिलाफ अभियान चला रही है और बीते 6 महीनों में पुलिस को काफी हद्द तक सफलता भी मिली है। पुलिस इस दौरान लगभग 125 साइबर ठगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
इस तरह है फ्रॉड के मामले का आंकड़ा :
दिल्ली पुलिस के अभियान से यह बात सामने आई है कि,
फाइनेंशल फ्रॉड के 59% मामले दर्ज किए गए।
सोशल मीडिया के जरिये 24% मामले दर्ज किए गए।
बाकी 17% दर्ज किए गए मामले दूसरे तरीकों से की गई ठगी के थे।
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