भोपाल, मध्यप्रदेश। सायबर क्राइम ब्रांच पुलिस ने जम्मीकुंटा जिला करीम नगर (तेलंगाना) से एक ऐसे शातिर जालसाज को गिरफ्तार किया है जो कंपनी में निवेश कराकर अच्छा मुनाफा दिलाने का लालच देकर लाखों रुपए की ठगी करता था। शुरूआत में फरियादी को 21 फीसदी मुनाफा देने का लालच दिया जाता था और बाद में दस माह में पैसा डबल होने का प्रलोभन देता था। पुलिस ने इस मामले में कंपनी संचालक व कोर मेंबर के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। कंपनी के खातों के विश्लेषण से पता चला है कि आरोपी एक साल के दौरान करीब 875 लोगों के साथ 45 करोड़ रुपए की ठगी कर चुका है।
एडिशनल डीसीपी शैलेन्द्र सिंह चौहान के मुताबिक विगत 17 अक्टूबर को भोपाल में रहने वाले फरियादी सोनू सिंह ने शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि कोमसिस इंफोटेक कंपनी के एमडी सचिन डहाके व कोर कमेटी के मेंबर ने कंपनी में निवेश कराकर अच्छा मुनाफा दिलाने के नाम पर पांच लाख दो हजार रुपए की ठगी की है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने कंपनी के संचालक व कोर मेंबर के खिलाफ अमानत में खयानत व धोखाधड़ी की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी। विवेचना के दौरान पुलिस की टीम ने तकनीकी विश्लेषण के आधार पर मिले साक्ष्यों के माध्यम से आरोपी सचिन डहाके को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से दो लैपटॉप, दो एटीएम कार्ड, दो मोबाइल फोन व दो सिम कार्ड व एक सील व एक रॉउटर बरामद किया है। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह कोमसिस इंफोटेक कंपनी में निवेश कराकर अच्छा मुनाफा दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करता था। लालच में आए फरियादी को शुरूआत में कंपनी की वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन कराया जाता था। बाद में फरियादी को वेबसाइट के पोर्टल का लॉगिन आई व पासवर्ड दिया जाता था।
10 माह में पैसा डबल करने का भी दिया लालच :
पोर्टल के पेज पर फरियादी के इंवेस्ट किया अमाउंट, लाभ व फरियादी के जोड़े गए मेंबर का रेफर्ल अमाउंट दिखाई देता था। शुरू में फरियादी को 21 फीसदी का मुनाफे का लालच व रेफर्ल पर प्रति मेंबर जोड़ने पर पांच फीसदी कमीशन का प्रलोभन दिया जाता था। बाद में 10 माह में पैसा दुुगुना करने का लालच दिया गया। कंपनी का संचालक समय-समय पर जूम मीटिंग कर लोगों को इंवेस्ट करने के लिए कहता था। शुरूआत में लोगों को थोड़ा सा मुनाफा देकर भरोसे में लिया जाता था। फिर बड़ी राशि इंवेस्ट करने के लिए कहा जाता था। जब भी फरियादी पैसा रिटर्न करने के लिए कहता है तो कभी साफ्टवेयर अपडेट होने का बहाना तो कभी बैंक खाता होल्ड किए जाने का बहाना बनाकर मना कर देता था। बाद में कंपनी का संचालक अपना मोबाइल नंबर व पता बदलकर पैसा लेकर फरार हो जाता था।
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