भोपाल, मध्यप्रदेश। कोरोना के कहर से पीड़ित लोगों के लिए कारगर बताए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजरी कर उसे महंगें दामों पर बेचते हुए एसटीएफ द्वारा रंगें हाथों पकड़े गए जबलपुर निवासी आरोपीगण सुधीर सोनी और राहुल विश्वकर्मा की ओर से पेश की गई जमानत अर्जी को विशेष न्यायाधीश प्रवेंद्र कुमार सिंह की अदालत ने सुनवाई के बाद मामला गंभीर प्रवृत्ति का होने से खारिज कर दिया। अदालत में विशेष लोक अभियोजक सुनील श्रीवास्तव ने आरोपियों के अपराध को गंभीर प्रवृत्ति का बताते हुए उन्हें जमानत पर रिहा किए जाने का विरोध किया था। विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात मामला गंभीर प्रवृत्ति का होने से आरोपियों की जमानत अर्जी को निरस्त कर दिया।
गौरतलब है कि जबलपुर एसटीएफ ने 19 अप्रैल को दोनों आरोपियों को जबलपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन 19 हजार रुपए में बेचते हुए पकड़कर भोपाल एसटीएफ के सुपुर्द किया था। भोपाल एसटीएफ ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दण्ड विधान की धारा- 420, 34, 188, आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा-3/7 एवं महामारी अधिनियम 1897 की धारा-3 के तहत प्रकरण दर्ज कर उन्हें 20 अप्रैल को राजधानी की जिला अदालत में पेश कर केंद्रीय जेल भेज दिया था। दोनों ही आरोपी तभी से भोपाल केंद्रीय जेल में बंद है। आरोपियों की जमानत अर्जी निरस्त करते हुए विशेष न्यायाधीश ने अदालत की आदेश पत्रिका में लिखा है कि वर्तमान समय में कोरोना महामारी अपने चरम पर है। एेसी स्थिति में रेमडेसिविर दवा का उपयोग एक अतिमहत्वपूर्ण दवाई के रुप में हो रहा है। रेमडेसिविर दवाई की भारी किल्लत बाजार में बरकरार है। ऐसी स्थिति में रेमडेसिविर दवा की कालाबाजारी कर उसे महंगे दाम पर बेचकर अनुचित लाभ कमाना मानवता के खिलाफ है।
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