भोपाल, मध्यप्रदेश। कोरोना की दूसरी लहर में मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण का कहर तेजी से बढ़ रहा है। शुक्रवार को प्रदेश भर में ग्यारह हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं। इस महामारी ने शुक्रवार को 60 लोगों की जान ली। प्रदेश में अब सक्रिय मरीजों की संख्या 59 हजार के पार हो गई है।
राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय के अनुसार प्रदेश में शुक्रवार को 49,903 सैंपल की जांच की गई। इन जांच सैंपल में से 11045 लोगों में कोरोना के लक्षण मिले हैं। इस महामारी बीमारी ने अब तक प्रदेश भर में 3,84563 लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। हलांकि इनमें से 3,20955 लोग अस्पतालों से स्वस्थ होकर घर पहुंच गए है। शुक्रवार को भी प्रदेश भर में विभिन्न अस्पतालों से 7,496 लोग ठीक होकर घर पहुंच गए। वर्तमान में 59,183 कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। शुक्रवार को संक्रमण दर 21.1 से बढ़कर 22.1 प्रतिशत पहुंच गई। यानी अब जांच कराने वाले नौ व्यक्तियों में से दो की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। इस संक्रमित बीमारी के चलते शुक्रवार 60 लोगों की मौत हो गई। अब तक राज्य में 4425 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक राज्य के इंदौर में सबसे अधिक मरीज मिल रहे थे। वहीं शुक्रवार भोपाल सबसे अधिक संक्रमित मरीज मिले है। भोपाल में शुक्रवार 1681 कोरोना पॉजिटिव मिले और दूसरे स्थान पर इंदौर में 1679 कोरोना संक्रमित मिले है। इंदौर जिले में शुक्रवार को कोरोना संक्रमित 10 मरीजों की मौत हो गई। वही भोपाल में चार, जबलपुर में आठ कोरोना मरीज की मौत हो गई।
भोपाल में हालात ज्यादा खराब, छह गुना बढ़े संक्रमित :
कोरोना की दूसरी लहर में भोपाल में हालात ज्यादा खराब है। सरकारी आंकडों में सिंतबर की तुलना में यहां मौतें कम दर्ज हैं, लेकिन संक्रमण की रफ्तार पहली लहर की तुलना में 6 गुना ज्यादा है। सितंबर के 15 दिनों में भोपाल में 2,788 संक्रमित मिले थे, लेकिन अप्रैल माह में अब तक 12,744 पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं।
दो गुना हो गई संक्रमण दर :
प्रदेश में संक्रमण दर 22.13 प्रतिशत हो गई है। सैंपल देने वाला हर चौथे व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। इस लिहाज से देखें तो कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक है। पहली लहर से इस बार संक्रमण दर दो गुनी है। पहली लहर में 15 सितंबर 2020 को संक्रमण दर 11.2 प्रतिशत थी। यही वजह है कि सरकार को अब 1 लाख बेड का इंतजाम करना पड़ रहा है, लेकिन केवल बेड उपलब्ध होने से इलाज नहीं होगा। इसके लिए ऑक्सीजन, दवाएं और पैरामेडिकल स्टाफ की बड़ी संख्या में जरूरत पडऩे वाली है। प्रदेश में एक्टिव केस 60 हजार के करीब पहुंच गए हैं।
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