मध्य प्रदेश : एक मज़दूर महिला की कामयाबी की कहानी Syed Dabeer Hussain - RE
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मध्य प्रदेश : एक मज़दूर महिला की कामयाबी की कहानी किया देश की हर महिला को प्रेरित

आज महिलाएं किसी से कम नहीं हैं, चाहे वो किसी बड़े घर से आये या किसी गरीब घर से। इस बात को सिद्ध किया है मध्य प्रदेश की एक मज़दूर महिला की इस कहानी ने।

Author : Kavita Singh Rathore

महखेड़े, मध्य प्रदेश। इंसान में अगर कुछ कर गुजरने की क्षमता हो तो उसका छोटा या बड़ा होना मायने नहीं रखता, मायने रखती है तो सिर्फ उस इंसान कि मेहनत, जुनून और कुछ कर गुजरने का जज्बा, ऐसा ही कुछ किया मध्यप्रदेश की एक मजदूर महिला ने जिन्होंने अपनी मेहनत और जुनून के साथ काम करते हुए एक कारोबार खड़ा किया और कारोबार खड़ा करने के साथ-साथ उन्होंने इसमें सफलता भी अर्जित की। आइए जानते हैं कि, किस तरह मध्य प्रदेश की एक मजदूर महिला ने कारोबार के क्षेत्र में खुद को आगे बढ़ाया है।

मजदूर महिला बनी कारोबारी :

आज हर क्षेत्र में चाहे वो प्राइवेट सेक्टर हो या सरकारी सेक्टर महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। ऊंचे से ऊंचे पद पर पोस्टेड हैं। कहने का मतलब है कि, आज महिलाएं किसी से कम नहीं हैं, चाहे वो किसी बड़े घर से आये या किसी गरीब घर से। इस बात को सिद्ध किया है मध्य प्रदेश की एक मज़दूर महिला ने। क्योंकि, अब वह समय केवल इतिहास के पन्नों पर लिपटी धूल की धुंध में सिमटकर रह गया है, जब देश की महिलाएँ बेड़ियों में कैद हुआ करती थीं और तो और खुद के पैरों पर खड़े होने की उनकी चाह घर की चौखट पर ही दम तोड़ दिया करती थी। समय के काँटों के घूमने के साथ ही अब महिला की एहमियत को वह तवज्जो मिलने लगी है, जिसकी वह अरसों से हकदार है। मध्य प्रदेश में खंड महखेड़े में रहने वाली वनमाला पेठे जो एक समय में मज़दूरी कर अपने परिवार का पेट पालती थी और आज के समय में मध्य प्रदेश के "आत्मा निर्भर" बन अपना एक कारोबारी बन गई है।

क्या किया वनमाला पेठे ने :

वनमाला पेठे ने बता दिया है कि, आज के भारत की महिलाएं जंजीरों को तोड़कर आसमान में ऊँची उड़ान भर सकती हैं। वह किसी से से भी कम नहीं है और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें वह मिसाल कायम करने में अक्षम है। वनमाला ने भारत की आजीविका मिशन के जरिए शारदा स्व-सहायता समूह से जुड़कर अपने कपड़े का व्यापार शुरू किया। आज वनमाला का कारोबार पूरे मध्य प्रदेश में में अपने कपड़ों से जानी जाती है। इस व्यवसाय से, जहाँ उनकी आजीविका सुदृढ़ हुई है, वहीं मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक द्वारा वनमाला को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत वनमाला को लोन भी स्वीकृत हुआ है जिसके चलते उनको अपने व्यवसाय में विस्तार करने का मौका भी मिला है।

इस प्रकार आत्मनिर्भरता की ओर वनमाला के कारोबार को एक आगे बढ़ाने का पूरा मौका मिला। मज़दूरी करने वाली वनमाला आज अपने पैरों पर खड़ी एक सशक्त महिला नहीं बनी बल्कि कई अपने शहर की कई महिलाओं के समूह के साथ जुड़कर न सिर्फ अपने कारोबार को आगे बढ़ा रही हैं बल्कि उनको भी अपने कारोबार में मदद व अवसर प्रदान कर रही है।

क्या है स्व सहायता समूह ?

स्व सहायता समूह आपस में अपनापन रखने वाले एक समान अति सूक्ष्म व्यवसाय तथा उद्यम चलाने वाले गरीब लोगों का एक ऐसा समूह है, जो अपनी आमदनी से सुविधाजनक तरीके से कुछ बचत करते हैं। जमा इस छोटी-छोटी बचत को समूह के सम्मिलित फण्ड में शामिल करते रहते हैं, और उसे समूह के ही सदस्यों को उनकी जरूरत के हिसाब से (उत्पादक और उपभोग जरूरतों) समूह की शर्तों तथा तय ब्याज, अवधि पर दिए जाने के लिए आपस में सहमत होते हैं। यानि समूह के सदस्य अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा प्रति माह समूह में जमा करते हैं। जमा राशि में से ही जरूरतमन्द सदस्य को समूह की शर्तों पर ऋण दिया जाता।

क्या है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन :

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), ग्रामीण विकास मंत्रालय का उददेश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को देश की मुख्यधारा से जोड़ना और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए उनकी गरीबी दूर करना है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने जून, 2011 में आजीविका-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की शुरूआत की थी। आजीविका-एनआरएलएम का मुख्य उददेश्य गरीब ग्रामीणों को सक्षम और प्रभावशाली संस्थागत मंच प्रदान कर उनकी आजीविका में निरंतर वद्धि करना, वित्तीय सेवाओं तक उनकी बेहतर और सरल तरीके से पहुँच बनाना और उनकी पारिवारिक आय को बढ़ाना है। इसके लिए मंत्रालय को विश्व बैंक से आर्थिक सहायता मिलती है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना कैसे मदद कर रहा है महिलाओं को :

भारत की अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। ऐसे में इन ग्रामीणों का जीवन स्तर बेहतर हो, इसके लिए सरकारों की तरफ से तमाम तरह के प्रयास भी किए जाते हैं। वहीं, युवाओं के बीच स्वरोजगार की परंपरा बढ़ाने के लिए साल 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत गाँवों में गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि/छोटे उद्यमों को 10 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है। मुद्रा योजना के दो मुख्‍य मकसद हैं: पहला, स्वरोजगार के लिए आसानी से लोन देना। दूसरा, छोटे उद्यमों के जरिए रोजगार का सृजन करना। मुद्रा योजना के तहत तीन तरह के लोन दिए जाते हैं, जसमें शिशु लोन, किशोर लोन और तरुण लोन शामिल हैं।

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