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क्या जियो को वित्तीय क्षेत्र में भी मिलेगी टेलीकॉम सेक्टर जैसी जबर्दस्त सफलता ? सबकी लगीं निगाहें

जियो फाइनेंशियल के शेयर 21 अगस्त को लिस्ट हो गए हैं। पहले ही दिन इसके शेयरों में गिरावट देखी गई है। अब देखना यह है कि कंपनी आगे कैसा प्रदर्शन करती है।

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • एनबीएफसी क्षेत्र में मौजूद अन्य कंपनियों को कड़ी टक्कर दे सकती है जियो फाइनेंशियल

  • इसकी प्रमुख वजह यह है कि इसे जियो और अपने रिटेल स्टोर्स की ताकत का मिलेगा फायदा

राज एक्सप्रेस । जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयर 21 अगस्त को स्टॉक मार्केट पर लिस्ट हो गए हैं। आज पहले ही दिन लिस्ट होने के बाद इसके शेयरों में गिरावट देखी गई है। इसका मूल्य पहले ही दिन घोषित 262 रुपये के स्तर से नीचे आ गए हैं। बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व के बाद जियो फाइनेंशियल सर्विसेज या जेएफएस देश की तीसरी सबसे बड़ी फाइनेंशियल सेवाएं देने वाली कंपनी बन गई है। बजाज फाइनेंस का मार्केट कैप 4,24,445 करोड़ रुपये है। जबकि, बजाज फिनसर्व का मार्केट कैप 2,34,784 करोड़ रुपये है। जियो फाइनेंशियल सर्विसेज का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1.59 लाख करोड़ रुपये है। दूसरी सबसे बड़ी एनबीएफसी चोलामंडलम इनवेस्टमेंट का मार्केट कैप 80000 करोड़ रुपये है।

जिस क्षेत्र में जाती है वहां बड़े बदलाव करती है रिलायंस

हमेशा से देखने मे आया है कि रिलायंस इंडिया लिमिटेड जिस क्षेत्र में प्रवेश करती है, उस क्षेत्र में बड़े बदलाव लाती है। हम टेलीकॉम और रिटेल सेक्टर में यह देख चुके हैं। अब सवाल यह है कि क्या जियो फाइनेंसियल सर्विसेज वित्तीय क्षेत्र में वैसा ही कमाल दिखा पाएगी, जैसा उसने टेलीकॉम सेक्टर में दिखाया है।

जियो ने टेलीकॉम मार्केट में मचाई थी धूम

रिलायंस इंडिया लिमिटेड ने 2016 में जियो के रूप मे्ं टेलीकॉम के बिजनेस में प्रवेश किया था। यह सब्सक्राइबर्स की संख्या के लिहाज से टेलीकॉम सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी है। जियो की एग्रेसिव प्राइसिंग स्ट्रेटेजी ने टेलीकॉम सेक्टर में हलचल मचा दी थी। वित्तीय सेवा क्षेत्र के लोगों का मानना है कि वैसी कामयाबी की उम्मीद जियो फाइनेंशियल सर्विसेज से नहीं की जा सकती है, क्योंकि फाइनेंशियल सर्विसेज बिजनेस काफी रेगुलेटेड है। फंडिंग कॉस्ट के मामले में जेएफएस को बढ़त मिलने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि उसे बैंकिंग लाइसेंस मिलने के आसार नहीं हैं। आरबीआई ने देश के बड़े बिजनेस समूहों को बैंकिंग लाइसेंस नहीं देने की पॉलिसी अपनाई हुई है।

एनबीएफसी को कड़ी टक्कर दे सकती है जेएफएस

जियो फाइनेंशियल (जेएफएस) एनबीएफसी को कड़ा टक्कर दे सकती है। इसकी वजह यह है कि इसे जियो और अपने रिटेल स्टोर्स की ताकत का फायदा मिलेगा। जियो फाइनेंशियल को स्ट्रॉन्ग ऑनलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर की भी मदद मिलेगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि जियो फाइनेंशियल के पास लोन बिजनेस के विस्तार के लिए पर्याप्त आर्थिक ताकत है। सन 2022 में कंपनी का नेट वर्थ 27,964 करोड़ रुपये था। यह रिलायंस इंडस्ट्रीज में अपनी 6.1 फीसदी हिस्सेदारी का इस्तेमाल कर पर्याप्त कैपिटल जुटा सकती है। इसका मूल्य 1,00,000 करोड़ रुपये है। इसे क्रेडिट रेटिंग सबसे ज्यादा ट्रिपल ए मिलने की उम्मीद है। इससे उसे प्रतिस्पर्धी कीमत पर फंड जुटाने में मदद मिलेगी। इससे दूसरी एनबीएफसी के मुकाबले इससे बढ़त हासिल हो सकती है।

जियो को मिलेगी रिलायंस इंडिया की ताकत

पेटीएम जैसी फिनटेक कंपनियां टेक्नोलॉजी के प्रयोग करते हुए अपने ग्राहकों को लोन दे रही हैं। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कोई कंपनी कर सकती है। सवाल है कि ऐसे में जेएफएस दूसरी कंपनियों को किस तरह टक्कर देगी? इतना तो तय है कि जियो फाइनेंशियल को जियो के रिटेल कस्टमर्स का पूरा फायदा मिलेगा। कंपनी के लिए अपने प्रोडक्ट्स की क्रॉस-सेलिंग की काफी बड़ी मौका उपलब्ध है। टेक्नोलॉजी के मामले में भले ही जियो दूसरी कंपनियों से खुद को अलग साबित नहीं कर सके, लेकिन डेटा के मामले में वह कर सकती है।

कैसा प्रदर्शन करेगी जेएफएस ?

जेएफएस रिटेल और टेलीकॉम बिजनेस के अपने बहुत बड़े कस्टमर बेस का इस्तेमाल कर सकती है। इसके पास समूह की टेक्नोलॉजी से जुड़ी क्षमता के प्रयोग का भी पर्याप्त मौका होगा। जेएफएस के जरिए रिलायंस ने ज्यादा यील्ड वाले रिटेल लोन बिजनेस पर फोकस करने का प्लान बनाया है। कंपनी मर्चेंट और कंज्यूमर्स के लिए पेमेंट सॉल्यूशंस अपॉर्चुनिटीज का भी इस्तेमाल करना चाहती है। जेएफएस के पास पहले से पेमेंट बैंक का लाइसेंस है। माना जा रहा है कि जेएफएस का मुख्य फोकस फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की डिजिटल डिलीवरी पर होगा।

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