राज एक्सप्रेस । पिछले कुछ समय से इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड पर भारी-भरकम टीसीएस (टैक्स कलेक्शन एट सोर्स) लगाए जाने के फैसले की चर्चा हो रही है। इस दौरान, सरकार ने यह ऐलान भी किया है कि नया नियम 7 लाख रुपये तक के खर्च पर ही लागू होगा। वित्त मंत्रालय ने इस फैसले को लागू करने के लिए फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के नियमों में जरूरी बदलाव कर दिए हैं। इस एलान के बारे में लोगों के मन में अब भी बहुत सारे सवाल हैं। आइए नियमों में किए गए इन बदलावों को समझने का प्रयास करते हैं।
जिस 20 फीसदी टीसीएस की इतनी चर्चा हो रही है, उसका मतलब क्या है? दरअसल सरकार ने नियमों में बदलाव करके इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशी मुद्रा में किए जाने वाले खर्च को अब रिजर्व बैंक (आरबीआई) की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत ला दिया है। इसका मतलब यह है कि इन क्रेडिट कार्ड्स के जरिए विदेशी मुद्रा में होने वाले भुगतान पर अब टीसीएस देना होगा। 30 जून 2023 तक टीसीएस 5 फीसदी की दर से लगेगा, लेकिन 1 जुलाई से यह बढ़कर 20 फीसदी हो जाएगा। यहां टीसीएस का मतलब है टैक्स कलेक्शन एट सोर्स। यह टीसीएस विक्रेता द्वारा बिक्री के समय कलेक्ट किया जाएगा। इससे इंटरनेशनल क्रेटिड कार्ड से विदेशों में भुगतान करने वालों को 20 फीसदी ज्यादा रकम अदा करनी होगी।
हालांकि बाद में इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) भरते समय इस रकम का रिफंड या टैक्स क्रेडिट हासिल किया जा सकता है। भारत सरकार ने इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड को एलआरएस में लाने के बाद एक स्पष्टीकरण भी जारी किया है। शुक्रवार को जारी किए गए इस स्पष्टीकरण के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति के इंटरनेशनल क्रेडिट या डेबिड कार्ड के जरिए पूरे वित्त वर्ष के दौरान विदेशी मुद्रा में किया गया कुल खर्च 7 लाख रुपये या उससे कम है, तो उसे एलआरएस में शामिल किए जाने से छूट मिलेगी। यानी उसे टीसीएस नहीं भरना पड़ेगा।
टीसीएस के तौर पर वसूली गई रकम आपके इनकम टैक्स से जुड़े खाते में फॉर्म 26एएस में क्रेडिट के तौर पर दिखाई देगी। आप इस रकम को अपनी टैक्स देनदारी के साथ ऑफसेट कर सकते हैं या अगर आपकी कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती तो आपके रिफंड के लिए क्लेम कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को एक उदाहरण से समझते हैं। सुदर्शन के क्रेडिट कार्ड की लिमिट 5 लाख रुपये है। वह विदेश यात्रा पर ऑस्ट्रेलिया जाता है। इस यात्रा के दौरान वह कुल मिलाकर 3 लाख रुपये के भुगतान अपने इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के जरिए करता है। इस 3 लाख रुपये की रकम पर उसे 20 फीसदी की दर से 60,000 रुपये टीसीएस का भुगतान करना होगा। यानी उसके क्रेडिट कार्ड का बिल 3,60,000 रुपये होगा। बैंक सुदर्शन से वसूले गए 60,000 रुपये के टीसीएस को उसके पैन नंबर से जुड़े इनकम टैक्स के खाते में जमा करेगा, जो उसके 26एएस में दिखाई देगा। अपना इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय सुदर्शन इस रकम का टैक्स क्रेडिट या रिफंड हासिल कर सकता है। लेकिन टीसीएस के भुगतान से लेकर रिफंड मिलने तक, उसके 60,000 रुपये फंसे रहेंगे।
यह सवाल भी अक्सर पूछा जाता है कि जो लोग आयकर रिटर्न नहीं भरते, उदाहरण के लिए 75 साल से ज्यादा उम्र वाले वे पेंशनर, जिन्हें आयकर रिटर्न न भरने की छूट मिली हुई है, उन्हें 20 फीसदी टीसीएस का रिफंड कैसे मिलेगा? फिलहाल इस सवाल का जवाब यही है कि ऐसे लोगों के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं किया गया है। उन्हें रिफंड हासिल करने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरना ही होगा। पेंशन और ब्याज से खर्च चलाने वाले बुजुर्ग के लिए यह परेशानी की बात हो सकती है कि रिफंड मिलने तक उन्हें 20 फीसदी टीसीएस के तौर पर काटी गई रकम पर ब्याज नहीं मिलेगा।
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