सेमीकंडक्टर की कमी से स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन जैसे सेक्टर्स को नुकसान हो रहा है। सांकेतिक तस्वीर। Neelesh Singh Thakur – RE
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सेमीकंडक्टर (Semiconductor) की कमी का किस सेक्टर पर कैसा असर, पूर्ति कब तक?

यह कम्प्यूटिंग के वह बुनियादी निर्माण खंड हैं जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को डेटा संसाधन (Data Processing) की अनुमति देते हैं।

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स –

  • Semiconductor का टोटा

  • कार सेक्टर पर पड़ी बड़ी मार

  • इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की मांग

राज एक्सप्रेस (Raj Express)। सेमीकंडक्टर (semiconductor) की कमी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका दिया है। इसकी कमी के कारण कार से लेकर हेडफोन तक की जरूरत की वस्तुओं की आपूर्ति में कमी आई है।

चिप की कमी ने इन छोटे घटकों पर आधुनिक दुनिया की निर्भरता को उजागर कर दिया है। यह कम्प्यूटिंग के वह बुनियादी निर्माण खंड हैं जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को डेटा संसाधन (Data Processing) की अनुमति देते हैं।

कमी क्यों है एवं इसका क्या समाधान है? -

वर्ष 2020 की शुरुआत में कोविड-19 (COVID-19) संकट की दस्तक से इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की मांग में वृद्धि हुई। इसने इन वस्तुओं से जुड़ी वैश्विक खर्च की होड़ को प्रेरित किया। इस दौरान लॉकडाउन से उपजी बोरियत को दूर करने अतिरिक्त मॉनिटर (टेलिविजन/कम्प्यूटर स्क्रीन) के साथ ही गेम कंसोल की सेल में वृद्धि हुई।

मांग से आपूर्ति प्रभावित -

एकाएक मांग बढ़ी तो बाजार में मनोरंजन के साधन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की उपलब्धता में भी कमी आई। इसके साथ ही कोविड-19 महामारी (COVID-19 PANDEMIC) के कारण कारखाने अस्थायी तौर पर बंद होने से भी आपूर्ति श्रंखला पर दबाव पड़ा।

राष्ट्रों में लॉकडाउन में ढील के बाद जब प्लांट फिर से खुले तो इलेक्ट्रॉनिक वस्तु उत्पादकों के ऑर्डर की लंबी सूची फिर तैयार हो गई। ऐसे में कोई चिप जो सिर्फ एक मिलीमीटर लंबा अंश भी हो सकती है; की पूर्ति के लिए लगातार दबाव बढ़ता गया।

सिर्फ महामारी नहीं विनाशकारी आपदाएं भी -

महज कोरोना वायरस महामारी ही नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं ने भी इलेक्ट्रॉनिक चिप की आपूर्ति बाधित करने में आग में घी डालने जैसा काम किया। फरवरी में एक तूफान ने टेक्सास में कई संयंत्रों में उत्पादन रोक दिया। फिर इसके बाद मार्च में एक जापानी कारखाने में आग लग गई।

यूएस-चाइना तनाव -

अमेरिका-चीन तनाव (US-China tensions) भी कहानी का अहम हिस्सा है। पिछले साल अगस्त में अमेरिका ने अमेरिकी तकनीक का इस्तेमाल कर चीनी टेक दिग्गज हुआवेई (Huawei) को इलेक्ट्रॉनिक चिप बेचने वाली विदेशी कंपनियों पर जासूसी के आरोपों के बाद विक्रय प्रतिबंध लगा दिया था।

हुआवेई (Huawei) ने लॉकडाउन प्रतिबंधों के प्रभावी होने से पहले अर्धचालकों (semiconductors) का स्टॉक करना शुरू कर दिया था। अन्य कंपनियों ने भी उसकी राह अपनाई। इसने सेमीकंडक्टर (semiconductor) की आपूर्ति को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया।

कार इंडस्ट्री -

लॉकडाउन का सबसे अधिक प्रभाव कार उद्योग (car industry) पर रहा। इस इंडस्ट्री के कई नामी कार ब्रांड्स पिछले कुछ महीनों में कार उत्पादन धीमा करने मजबूर नजर आए।

महामारी में वाहन निर्माताओं ने उत्पादन में कमी की तो उनके लिए चिप आपूर्ति करने वालों ने दूसरे क्षेत्रों के ग्राहकों का रुख कर लिया। मुख्य तौर पर लॉकडाउन के कारण उच्च मांग देखे जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माताओं की ओर चिप बनाने वालों का रुझान रहा।

इस बीच कम मांग-आपूर्ति के कारण कार बनाने वाली कंपनियों के सेमीकंडक्टर्स का गणित गड़बड़ा गया। वोक्सवैगन (Volkswagen), वोल्वो (Volvo) जैसे वाहन निर्माताओं तक के बीच सेमीकंडक्टर्स जुटाने की छटपटाहट देखी गई। हालांकि अब इन ब्रांड्स के वाहनों की बिक्री पटरी पर लौटती दिख रही है।

स्मार्टफोन भी अब अछूता नहीं -

कुछ समय पहले तक स्मार्टफोन निर्माताओं को इलेक्ट्रॉनिक चिप की उपलब्धता के मामले में अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जा रहा था। इसलिए क्योंकि उनके पास इनके पर्याप्त भंडार थे। हालांकि यह भंडार घटने के कारण उन्हें भी अब सेमीकंडक्टर्स की कमी की चिंता सताने लगी है।

Apple के CEO कुक की चेतावनी -

Apple के सीईओ टिम कुक ने भी इस बारे में आगाह किया है। कुक के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक चिप की कमी iPhones और iPads के उत्पादन को प्रभावित करने के लिए तैयार है। विश्लेषकों का कहना है कि छोटे फोन निर्माताओं पर इसका बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।

प्लेस्टेशन फाइव (PlayStation 5) और एक्सबॉक्स सीरीज़ एक्स (Xbox Series X) जैसे गेम कंसोल की भी आपूर्ति कम है।

कम आपूर्ति के कारण इन खेलों के शौकीन खिलाड़ी (गेमर्स/gamers) खेल के लिए जरूरी चिप-पॉवर्ड ग्राफिक कार्ड्स को हासिल करने गलत तरीकों का सहारा ले रहे हैं। यूट्यूब और ट्विच पर डाई-हार्ड लाइव-स्ट्रीम में ट्यूनिंग की जा रही है। जो कार्ड की ऑनलाइन बिक्री सूचीबद्ध होने पर अलार्म बजाते हैं।

सरकार क्षमता बढ़ाने जुटीं -

इस बीचे सरकारें अपने देश में चिप निर्माण क्षमता बढ़ाने की जल्दी में हैं। इसी क्रम में मई माह के दौरान दक्षिण कोरिया ने सेमीकंडक्टर जायंट बनने अपनी बोली में 451 बिलियन डॉलर निवेश की घोषणा की।

अमेरिकी सीनेट ने भी पिछले महीने चिप संयंत्रों (chip plants, "fabs") जिसे "फैब्स" के रूप में जाना जाता है के लिए सब्सिडी में 52 बिलियन डॉलर देने का समर्थन किया।

यूरोपीय संघ की नजर -

यूरोपीय संघ (European Union) ने तो वर्ष 2030 तक की रूपरेखा तय कर रखी है। इनकी नजर इस समय सीमा तक वैश्विक चिप-निर्माण क्षमता के अपने हिस्से को बाजार में 20 प्रतिशत बढ़ाने की है।

संयंत्र रातों-रात नहीं खोले जा सकते। खासकर जब बात सेमीकंडक्टर फैक्टरी की हो; तो ऐसा बिलकुल भी मुनासिब नहीं। सेमीकंडक्टर बनाने की प्रक्रिया बहुत जटिल है। इसमें रसायनों की परत को सिलिकॉन में दबाना बहुत दुष्कर कार्य होता है।

"नई क्षमता के निर्माण में समय लगता है। एक नए फैब के लिए 2.5 साल से अधिक। इसलिए अधिकांश विस्तार जो अभी शुरू हो रहे हैं, 2023 तक उपलब्ध क्षमता में वृद्धि नहीं करेंगे।"
ओंद्रेज बुर्काकी, सीनियर पार्टनर एंड को-लीडर, मैक्किन्से

बुर्काकी ने कहा कि लंबी अवधि के कारकों का मतलब यह भी है कि वैश्विक मांग "हाइपर ग्रोथ" में थी। ऐसी साइटें जो बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक चिप का उपयोग करती हैं उनको अधिक से अधिक डेटा सेंटर बनाने की आवश्यकता होती है ऐसे में क्लाउड में डेटा स्टोर करने का रुझान बढ़ा है।

फ्रेंको-इतालवी चिप-निर्माता एसटीमाइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स (STMicroelectronics) के सीईओ जीन-मार्क चेरी ने कहा कि अगले साल के लिए ऑर्डर पहले ही उनकी कंपनी की निर्माण क्षमता से आगे निकल गए हैं।

उन्होंने कहा इंडस्ट्री में इस बात की व्यापक सहमति है कि कमी "अगले साल तक न्यूनतम रहेगी।" विश्लेषकों का कहना है कि निरंतर दबाव से उपभोक्ताओं के लिए कीमतें अधिक हो सकती हैं।

डिस्क्लेमर आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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