क्या है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR और SLR ?  Social Media
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क्या है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR और SLR ? इसमें क्यों किया जाता है बदलाव ?

क्या आप जानते हैं कि रेपो रेट (Repo Rate) होती क्या है? रिजर्व बैंक द्वारा इनमें क्यों बदलाव किया जाता है? इनके अलावा भी आपने रिवर्स रेपो रेट और CRR जैसे शब्द सुने होंगे।आइये आज इन सबके बारे में जानें

Author : Kavita Singh Rathore

Repo Rate : केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्याज दरों, रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव इस बार लगातार 11वीं बार कोई बदलाव नहीं किया। यह भारत के लोगों के लिए काफी राहत की खबर है, लेकिन इन 11 बार से पहले आपने कई बार रेपो रेट (Repo Rate) को घटते-बढ़ते और कमर्शियल बैंक को भुगतान करते सुना होगा। क्या आप जानते हैं कि, यह रेपो रेट (Repo Rate) क्या है? भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इनमें क्यों बदलाव किया जाता है? इनके अलावा भी आपने RBI क्रेटिड पॉलिसी के दौरान रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और CRR जैसे शब्द सुने होंगे। आइये आज इन सभी के बारे में जानें।

क्या है रेपो रेट (Repo Rate) ?

कमर्शियल बैंकों को जब भी फण्ड की कमी होती है या कभी शार्ट टर्म लोन की जरूरत होती है तो, वह केंद्रीय बैंक अर्थात रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) से कुछ पैसे उधार लेते हैं। RBI जो पैसे देता है उनपर कुछ पैसे भी वसूलता है। RBI द्वारा दिए हुए फण्ड पर जिस रेट पर वसूला हुआ पैसे या फण्ड 'रेपो रेट' (Repo Rate) कहलाता है। सरल शब्दों में कहें तो, रेपो रेट एक ब्याज दर होती है। जब RBI बैंक को पैसा देता है तब उसके बदले में कुछ सिक्योरिटी भी लेता है। ज्यादातर यह सिक्योरिटी बांड होते हैं। समय अनुसार RBI द्वारा Repo Rate में बदलाव होते रहते हैं। महंगाई (inflation) नियंत्रित करने हेतु RBI रेपो रेट में कटौती और बढ़ोत्तरी करता रहता है और कई बार उन्हें स्थिर भी रखता है।

रेपो रेट का इकोनॉमी पर असर:

जब-जब रेपो रेट घटती या बढ़ती है तब तब इसका इकोनॉमी पर असर पड़ता है। यह असर कुछ ऐसे पड़ता है अगर रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में कमी कर दी जाती है तो, कमर्शियल बैंकों को लोन मिलने में आसानी हो जाती है। इसके अलावा बैंक सस्ते रेट में लोन दे सकेंगे। यही अगर रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में बढ़ोत्तरी कर दी जाती है तो, कमर्शियल बैंकों को लोन लेना महंगा पड़ता है। जिसके कारण बैंक भी अपनी ब्याज दरें बड़ा देगा।

रिवर्स रेपो रेट (RRR) :

जैसा की रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) के नाम से ही समझ आता है, यह रेपो रेट के एक दम विपरीत है। रिजर्व रेपो रेट वो रेश्यो होता है जिस रेट के आधार पर बैंक RBI को लोन देते है। रिजर्व रेपो रेट जितनी बढ़ेगी बैंक उतना ज्यादा लोन RBI को देगा। रिजर्व रेपो रेट का बढ़ना बैंको के लिए अच्छा और फायदेमंद होता है।

कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) :

रिजर्व बैंक (RBI) के नियमो के अनुसार बैंक को अपना कुछ पैसा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है। यह पैसा कुछ % में रखा जाता है। जो एक के रूप में RBI के पास जमा रहता है। उसे ही कैश रिजर्व रेश्यो कहा जाता है। यह कैश रिजर्व रेश्यो RBI ही तय करता है। वर्तमान में यह कैश रिजर्व रेश्यो 4.00% है।

स्टटूटोरी लिक्विडिटी रेश्यो (SLR) :

बैंक किसी भी कस्टूमर को लोन देते समय बैंक के पास कुछ फण्ड होना जरूरी होता है। बैंकों के पास यह फण्ड नकद, सोना और सरकारी सिक्यॉरिटीज आदि किसी भी रूप में होना जरूरी होता है। बैंक के पास लोन देने से पहले रखा हुआ फण्ड स्टैच्यूटरी लिक्विडिटी रेशियो कहलाता है। यह कॉन्सेप्ट 9 मई 2011 को लागू हुआ। वर्तमान में यह 18.00% है। इसे भी रिजर्व बैंक ही तय करता है।

कैसे तय किया जाता है रेपो रेट :

रिजर्व बैंक (RBI) समय-समय पर रेपो रेट दर को संशोधित करता है। हालांकि, कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम नहीं है। अर्थव्यवस्था के आधार पर रेपो रेट में बदलाव किया जाता है। यह जरूरी नहीं है कि, यह बड़े ही या घटे ही। रेपो रेट देश की अर्थव्यवस्था में धन प्रवाह को प्रभावित करती हैं। इसके अलावा महंगाई और कमर्शियल बैंकों की ब्याज दर को प्रभावित करती हैं।

कब-कब घटी और बढ़ी रेपो रेट:

  • मोदी सरकार अर्थात 2014 से पहले अक्टूबर 2013 में रेपो रेट 7.75% था।

  • मोदी सरकार के आते ही जनवरी 2014 में रेपो रेट 7.75% से बढ़ा कर 8% हो गया।

  • 2015 में रेपो रेट में चार बार बदलाव किये गए।

  1. जनवरी 2015 में रेपो रेट 7.75% था।

  2. मार्च 2015 में रेपो रेट 7.50% रहा।

  3. जून 2015 में रेपो रेट 7.25% था।

  4. सितंबर 2015 में रेपो रेट 7.25% रहा।

  • 2016 में रेपो रेट में दो बार बदलाव किये गए।

  1. अप्रैल 2016 में रेपो रेट 6.50% था।

  2. अक्टूबर 2016 में रेपो रेट 6.250% रहा।

  • अगस्त 2017 में रेपो रेट 6% था।

  • 2018 में रेपो रेट में दो बार बदलाव किये गए।

  1. जून 2018 में रेपो रेट 6.25% था।

  2. अगस्त 2018 में रेपो रेट 6.50% था।

  3. 2019 में रेपो रेट में चार बार बदलाव किये गए।

  1. अगस्त 2019 में रेपो रेट 5.40% था।

  2. जून 2019 में रेपो रेट 5.75% हो गया।

  3. अप्रैल 2019 में रेपो रेट 6.00% हुआ।

  4. फरवरी 2019 में रेपो रेट 6.25% हुआ।

  • 2020 में रेपो रेट में चार बार बदलाव किये गए।

  1. मार्च 2020 में रेपो रेट 5.15% 07 था।

  2. मई 2020 में रेपो रेट 4.40% था।

  3. अगस्त 2020 में रेपो रेट 4.00% रहा।

  4. अक्टूबर 2020 में रेपो रेट 4.00% किया गया।

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