What is GST : GST लागु होने से पहले टेक्ससेशन सिस्टम 2 तरीके का था। पहला तो अगर कोई व्यक्ति जैसे- डॉक्टर या वकील अपनी Services दे रहा है तो वह Services Tax देता था। उसी तरह कोई व्यापारी किसी भी वस्तु की ट्रेडिंग करता है तो वह CST, VAT, ET टेक्स देता था। इस तरह से देखा जाये तो, CST, VAT, ET Excise Duty, Service Tax, Entertainment Tax, Luxury Tax जैसे कई टेक्स GST से पहले देना पड़ता था। दूसरे नजरिये से देखा जाये तो यह सभी Indirect Tax है। इसके बाद 17 Indirect Tax और 23 Cess को मिला कर एक टेक्स बना दिया गया जिसे नाम दिया गया GST = "Goods and Services Tax"
क्या है ये GST ?
GST का मतलब होता है “गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स” (Goods and Services Tax) अर्थात सरकार द्वारा किसी भी वस्तु और सेवाओं के इस्तेमाल करने पर जनता सरकार को कुछ प्रतिशत (%) टेक्स देती है। वह टेक्स गुड एंड सर्विसेस टेक्स कहलाता है” और ये टैक्स सरकार ही निर्धारित करती है और जनता को इसे देना ही पड़ता है। GST एक तरह का Indirect Tax (अप्रत्यक्ष कर) है। GST के लागू होने से कई वस्तु और सेवाएं महंगी हो जाती है और कई सस्ती भी।
GST का मकसद :
भारत में GST लागू करने का इकलौता उद्देश्य Integrated Market (एकीकृत साझा बाजार) को विकसित (Develop) करना है।
GST का इतिहास :
दुनिया की बात करे तो पहली बार GST फ़्रांस में 1954 में लागु किया गया था। लेकिन भारत में पहली बार GST लागू करने का सुझाव विजय केलकर समिति ने दिया था। फ़्रांस में 1954 में लागू हुआ था। पहले संविधान के अनुसार सीमा और उत्पाद शुल्क के अलावा कोई टैक्स नहीं लिया जा सकता था। राज्यों को सर्विस टेक्स लगाने का अधिकार तक नहीं था। इसलिए संविधान में शोधन की आवश्यकता थी, जिससे कुछ बदलाव हो सके। इन बदलावो के लिए संसद की जरूरत होती है। तब संसद में 122वां संविधान संशोधन बिल लाया गया। उसके बाद यह बिल लोकसभा से 3 अगस्त 2016 को और राज्यसभा से 8 अगस्त 2016 को पास हुआ। इसके बाद इस बिल को 15 राज्यों ने पास किया। इन १५ राज्यों में सबसे पहले यह बिल asam राज्य ने पास (Ratify) किया। इसे बाद राष्ट्रपति ने भी इस बिल को 8 सितम्बर 2016 में पास कर दिया। इस प्रकार 101वे संसोधन के तहत GST को संविधान से जोड़ा गया। इसके अलावा GST को 1 जुलाई, 2017 से पूरे भारत में लागू कर दिया गया।
GST के प्रकार :
CGST (Central Goods and Services Tax) : CGST केंद्र द्वारा लगाया जाता है।
SGST (State Goods and Services Tax) : SGST राज्य द्वारा लगाया जाता है। इसका सबसे अच्छा उदहारण होटल का बिल हो सकता है।
IGST (Integrated Goods and Services Tax) : IGST को संविधान में अनुछेद 269A में रखा गया है। यह कोई टैक्स तो नहीं है परन्तु अगर कही 2 राज्यों के बीच में व्यपार किया जाता है तब, उस व्यापर पर नजर रखने के लिए IGST का इस्तेमाल किया जाता है। यह टेक्स केंद्र और अंतिम उभोक्ता को मिलता है।
GST के फायदे :
हमे अनेक टेक्स की जगह सिर्फ एक टैक्स देना पड़ेगा।
टेक्स चोरी नहीं होगा।
GDP में बढ़ोतरी होगी।
व्यापार करने की प्रोसेस में सरलता आएगी।
राजस्व(Revenue) में वृद्धि होगी।
GST में मासिक और वार्षिक Return का प्रवधान भी है।
GST में सारा लेन-देन इलेक्ट्रोनिक तरह से होगा। जिससे कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिलेगा।
GST परिषद Council :
संविधान में GST Council को एक नए अनुच्छेद 279A में रखा गया है। इसकी स्थापना 12 सितम्बर 2016 को हुई थी। इसकी संरचना में कुल 33 लोग शामिल होते है। जिनमे भारत के वित्त मंत्री(अरुण जेटली), केंद्रीय राज्य मंत्री, राज्यों के वित्त/कर मंत्री शामिल होते है। GST परिषद का नियम यह कहता है कि, परिषद् में 50% सदस्यों का उपस्थित होना अनिवार्य है। जिनमे से किसी भी निर्णय पर 3/4 वोट मिलना अनिवार्य है। इनमे से एक तिहाई वोट का जिम्मा केंद्र का है। इसके अलावा दो तिहाई वोट का जिम्मा राज्य का है।
GST टैक्स स्लेब :
वैसे तो GST टैक्स की स्लेब को 4 भागो में ही बांटा गया है। परन्तु कुछ Goods and Services पर 0 प्रतिशत टैक्स भी लगता है।
5 प्रतिशत टैक्स
12 प्रतिशत टैक्स
18 प्रतिशत टैक्स
28 प्रतिशत टैक्स
GST टैक्स से जुड़े कुछ बिंदु :
सबसे पहला GST बिल का प्रारूप तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष आसिम दास गुप्ता थे।
GST की पंजीयन संख्या में कुल 15 डिजिट है।
GST लागु करने वाला अंतिम राज्य जम्मू कश्मीर है। अर्थात भारत में जब 1 जुलाई 2017 को GST लागू किया गया था। तब उसमे जम्मू कश्मीर का नाम नहीं था। उसके कुछ समय पश्चात् जम्मू कश्मीर का नाम शामिल किया गया।
हाल ही में खबरों में सुनने में आ रहा है कि पेट्रोल-डीजल को भी GST के दायरे में लाया जाएगा।
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