राज एक्सप्रेस। देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी मानी जाने वाली वोडाफोन आइडिया पर लगातार संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ कंपनी में होने वाले इंवेस्ट पर संशय बना हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ कंपनी पर करीब 7000 करोड़ रुपए का कर्ज भी है जो परेशानी की बड़ी वजह बना हुआ है। ऐसे में अगर कर्ज की चपेट में आई वोडाफोन आइडिया ने फरवरी महीने तक कैपिटल नहीं जुटाया तो देश में उनके लिए सर्विस देने में भी बड़ी परेशानी हो सकती है। चलिए ऐसे में जानते हैं कि क्या है कंपनी का हाल?
सरकार से नहीं मिले सिग्नल :
इस बारे में रिपोर्ट्स का यह कहना है कि यदि टेलीकॉम कंपनी के प्रमुख प्रमोटर्स कंपनी में निवेश करने के लिए आगे नहीं आते हैं। तो कंपनी की मुश्किलें बढेंगी। वोडाफोन आईडिया के लिए यह समस्या इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि सरकार की तरफ से भी अब तक इसमें निवेश को लेकर सिग्नल नहीं दिए गए हैं।
कैसी है यह समस्या?
एक रिपोर्ट बताती है कि यदि कंपनी के प्रमोटर कंपनी निवेश के लिए आगे नहीं आते हैं। तो इक्विटी के कन्वर्जन में मुश्किल खड़ी हो सकती है। वहीं अगर प्रमोटर्स अपनी इंवेस्टमेंट प्लानिंग को सरकार को बताते हैं तो इक्विटी कन्वर्जन का रास्ता साफ हो सकता है। हालांकि यह किए जाने से पहले कंपनी को यहाँ अपनी 5G सर्विस की शुरुआत करना होगी, ताकि निवेशक साथ में बने रहें।
सरकार बनेगी मालिक :
यह देखने को मिल रहा है कि सरकार अपने इंटरेस्ट को इक्विटी में बदलने में लगी हुई है। ऐसा करने पर सरकार इस टेलीकॉम कंपनी में 33 प्रतिशत की मालिक हो जाएगी। सरकार के इस कदम से जो निवेशक फंड जमा करने का विचार बना रहे हैं उनके लिए भी आसानी हो जाएगी।
कितना है बकाया?
बताया जा रहा है कि वोडाफोन आईडिया कंपनी पर टावर कंपनी इंडस टावर्स का ही करीब 7000 करोड़ रुपए का बकाया है। इसके साथ ही अमेरिकन टावर कंपनी का भी 2000 करोड़ रुपए बकाया है। अब कंपनी कर्ज और इक्विटी के माध्यम से जल्द से जल्द 20 हजार करोड़ रुपए जुटाने में लगी हुई है, लेकिन अब तक उन्हें कोई खास मदद नहीं मिल पाई है।
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