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पेटीएम पेमेंट्स बैंक से अलग कारोबारी अस्तित्व बनाए रखने के प्रयासों में जुटे विजय शेखर शर्मा

पेटीएम ऐप की मूल कंपनी के संस्थापक विजय शेखर शर्मा अपने सहयोगी पेटीएम पेमेंट्स बैंक के बिना भविष्य में अपना कारोबार जारी रखने के प्रयासों में जुट गए हैं।

Author : Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • अब कारोबारी अस्तित्व बचाए रखने में जुटे बिजय शेखर शर्मा

  • उन्होंने भरोसा दिया पेटीएम में जमा धन पर कोई संकट नहीं

  • 487 रुपए प्रति शेयर पर आया 2,080 रु. में लांच होने वाला शेयर

राज एक्सप्रेस। पेटीएम ऐप की मूल कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड के संस्थापक विजय शेखर शर्मा अपने सहयोगी पेटीएम पेमेंट्स बैंक के बिना भविष्य में कारोबारी अस्तित्व बनाए रखने की तैयारी में जुट गए हैं। उन्होंने लोगों को भी भरोसा दिया है कि पेटीएम में जमा धनराशि पर कोई संकट नहीं है। उल्लेखनीय है कि रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघन और परिचालन संबंधी अनियममितताओं को की वजह से आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के कामकाज पर रोक लगा दी है। पेटीएम में वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड के पास 49% इक्विटी है, जबकि विजय शेखर शर्मा के पास इस विभेदित बैंक में शेष 51% हिस्सेदारी है। बता दें कि आरबीआई अपनी अलग-अलग लाइसेंसिंग के तहत भुगतान बैंक को चालू और बचत जमा स्वीकार करने और भुगतान उत्पाद पेश करने की अनुमति देता है, लेकिन उसे उधार देने की अनुमति नहीं है। दोनों संस्थाएं घनिष्ठ व्यापारिक संबंध साझा करती हैं।

487 रुपये शेयर के स्तर पर आया पेटीएम का शेयर

ग्राहक खातों, प्रीपेड उपकरणों, वॉलेट, फास्टैग, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) कार्ड में जमा या क्रेडिट लेनदेन या टॉप अप पर आरबीआई के प्रतिबंधों का सूचीबद्ध होल्डिंग कंपनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह खबर सामने आने के बाद से पेटीएम के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली है। कंपनी के शेयर में बीते दो दिनों में 36% की गिरावट देखने को मिली है। पेटीएम का स्टॉक, जो ईस समय 487 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। आपको याद होगा इस शेयर का आईपीओ बड़ी धूमधाम के साथ शेयर बाजार में लांच किया गया था। इसकी शुरुआती कीमत 2,080 रुपये से 2,150 रुपये प्रति शेयर के बीच थी। बाद के दिनों में इुसमें बड़ी गिरावट देखने को मिली। फिलहाल इसका एक साल का उच्चतम स्तर 998 रुपये है और निचला स्तर 487 रुपये प्रति शेयर है।

आरबीआई की कार्रवाई के बाद शेयरों में दिखी बड़ी गिरावट

पिछले दो दिनों से कंपनी के शेयरों में लोअर सर्किट लग रहा है। अगले दिनों में शेयरों में और गिरावट होने की संभावना है। होल्डिंग कंपनी का अनुमान है कि उसके वार्षिक एबिटा पर 300-500 करोड़ रुपये के बीच संभावित प्रतिकूल मार्जिन प्रभाव पड़ेगा। एक निवेशक कॉल के दौरान, सीएफओ और अतिरिक्त पूर्णकालिक निदेशक मधुर देवड़ा ने विश्वास व्यक्त करते हुए दावा किया कि समय के साथ, हम इस प्रभाव को कम करने में सक्षम होंगे। पेटीएम एप, पेटीएम पेमेंट्स बैंक के विभिन्न भुगतान उपकरणों पेटीएम वॉलेट, पेटीएम यूपीआई, एनएसीएच, पेटीएम फास्टैग और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसी सेवाएं प्रदान करता है। जबकि मूल कंपनी ने इन उत्पादों के लिए पेटीएम पेमेंट्स बैंक के साथ साझेदारी की थी, जो तर्कसंगत भी था। कंपनी की भविष्य की रणनीति में अन्य बैंकों के साथ सहयोग शामिल है।

पेटीएम पेमेंट्स बैंक के माध्यम से किया जाता है भुगतान

मूल कंपनी और पेटीएम पेमेंट्स बैंक के बीच मुख्य रूप से दो तरह के व्यवसाय किए जाते हैं। बैंक का प्री-पेड भुगतान वॉलेट उपभोक्ताओं को पेटीएम के मर्चेंट नेटवर्क पर भुगतान करने की अनुमति देता है। इसमें ग्राहकों को पेटीएम वॉलेट में पैसा लोड करना शामिल है, जहां पैरेंट कंपनी पेटीएम पेमेंट्स बैंक के माध्यम से भुगतान सेवा प्रदान करती है, जिससे फ्लोट के माध्यम से राजस्व प्राप्त होता है। इसके बाद, जब ग्राहक किसी व्यापारी को ऑनलाइन या ऑफलाइन क्यूआर भुगतान करने के लिए अपने वॉलेट का उपयोग करते हैं, तो पेटीएम एमडीआर अर्जित करता है, जो व्यापारी छूट दर है।

जानिए कंपनियां कैसे करती हैं फ्लोट से कमाई

बता दें कि फ्लोट से कमाई करना एक वित्तीय अवधारणा है। इसे समझने के लिए, हमें फ्लोट का मतलब समझना होगा। जब कोई संस्था जैसे बैंक, पेमेंट गेटवे या ई-कॉमर्स कंपनी किसी ट्रांजेक्शन को प्रॉसेस करती है, तो उसमें कुछ समय लगता है। उदाहरण के लिए, जब आप डेबिट कार्ड से भुगतान करते हैं, तो आपके खाते से पैसे तुरंत कम नहीं होते और व्यापारी को तुरंत भुगतान नहीं मिलता है। इस बीच के समय में, पैसा कहीं न कहीं होता है, और यही फ्लोट है। अब यह समझने का प्रयास करते हैं कि फ्लोट से कमाई कैसे होती है।

अलग-अलग तरीकों से होता कमाई में फ्लोट का प्रयोग

संस्थाएं इस फ्लोट का इस्तेमाल अलग-अलग तरीकों से कमाई करने के लिए कर सकती हैं। बैंक अपने ग्राहकों से जमा राशि पर तो ब्याज देते हैं, लेकिन जब वे भुगतान संसाधित करते हैं, तो ग्राहकों को तुरंत पैसा हटाने की अनुमति नहीं देते। यानी उस बीच के समय में जो पैसा रूका रहता है, उस पर बैंक ब्याज कमाते हैं। इसके अलावा, कुछ संस्थाएं फ्लोट में मौजूद राशि को अल्पकालिक निवेशों में लगाती हैं और रिटर्न हासिल करती हैं। कई जगह बिल का समय से पहले भुगतान करने पर छूट दी जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंपनी को जल्दी पैसा मिल जाता है, जिसका इस्तेमाल वे निवेश करके फायदा कमाने का प्रयास करती हैं।

नियामकों और एनपीसीआई के साथ चर्चा कर रही कंपनी

अब सबसे बड़ा संकट मौजूदा व्यापारियों विशेषकर ऑफलाइन विक्रेताओं को है कि वे पेटीएम पेमेंट्स बैंक से दूसरे बैंक में रुपए कैसे स्थानांतरित करें। इस परिवर्तन को सुविधाजनक बनाने के लिए मूल कंपनी वर्तमान में कई बैंकों के साथ बातचीत कर रही है। भावेश गुप्ता, कंपनी अध्यक्ष और सीओओ ने बताया कि नियामकों और एनपीसीआई के साथ भी बातचीत करके कोई हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है। विजय शेखर शर्मा ने निवेशकों को बताया कंपनी पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर अपनी निर्भरता कम करने का प्रयास कर रही है, हालांकि अभी भी काफी निर्भरता है। उन्होंने कहा, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये रिश्ते भुगतान-संबंधित हैं, जिसका अर्थ है कि सभी बैंकों के पास आवश्यक तकनीक और क्षमताएं हैं।

नोडल खातों को अन्य बैंकों में स्थांतरित करने के हो रहे प्रयास

मूल कंपनी पेटीएम पेमेंट्स बैंक द्वारा जारी पेटीएम फास्टैग भी वितरित करती है। इस पर असर पड़ेगा, लेकिन पैरेंट कंपनी ने दावा किया है कि पिछले 18 महीनों में वह पेटीएम ऐप के माध्यम से एक प्रमुख निजी बैंक से बड़ी संख्या में फास्टैग जारी कर रहा है। आरबीआई ने वन97 कम्युनिकेशंस और पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज लिमिटेड के नोडल खातों को भी समाप्त करने का निर्देश दिया है। आरबीआई के नियमों के अनुसार, ऑनलाइन भुगतान मध्यस्थों को एक नोडल खाते में धन एकत्र करना होगा, जो वन97 कम्युनिकेशंस और पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज के लिए पेटीएम पेमेंट्स बैंक था। कंपनी नोडल खातों को अन्य बड़े वाणिज्यिक बैंकों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में है।

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