NCLAT ने दिवालिया वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के लिए बोली प्रक्रिया फिर से शुरू करने की अनुमति दी है। - सांकेतिक चित्र Neelesh Singh Thakur – RE
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Videocon Insolvency:दिवाला केस के लिए NCLAT में ट्विन स्टार (Twin Star) प्लान दरकिनार

NCLAT ने तर्कों को खारिज कर लेनदारों की समिति को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों अनुसार नई बोली में दोष सुधारने के लिए कहा है।

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स

  • बोली के नए दौर की अनुमति

  • Twin Star प्लान में दोष- NCLAT

  • ट्विन स्टार की 2,962 करोड़ की पेशकश

राज एक्सप्रेस। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) यानी राष्ट्रीय कम्पनी विधि अपील अधिकरण ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Videocon Industries Ltd) की लेनदारों की समिति को दिवालिया कंपनी (Insolvent company) के लिए बोली प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की अनुमति दी है।

यह कहते हुए कि इसमें कुछ दोष हैं NCLAT ने बुधवार को ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड (Twin Star Technologies Ltd) की समाधान योजना को रद्द कर दिया। इस समाधान योजना को लेनदारों की समिति और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा अनुमोदित किया गया था।

Twin Star की पेशकश -

ब्लूमबर्ग क्विंट की खबर के अनुसार ट्विन स्टार (Twin Star) ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज (Videocon Industries) के लिए 2,962 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, जो सुरक्षित वित्तीय उधारदाताओं के 64,938 करोड़ रुपये के स्वीकृत दावों का 4.15% है।

ट्विन स्टार के बारे में -

ट्विन स्टार (Twin Star) यूके स्थित वोल्कन इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड (Volcan Investments Ltd) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।

वोल्कन भारत की सूचीबद्ध कमोडिटी कंपनी वेदांत लिमिटेड की जनक है और अनिल अग्रवाल द्वारा स्थापित वेदांत रिसोर्सेज समूह के अन्य हितों की मालिक है।

ट्विन स्टार (Twin Star) के प्लान में खामियां -

मोटे तौर पर, NCLAT ने ट्विन स्टार की योजना को तीन मामलों में दोषपूर्ण पाया है।

  • असंतुष्ट वित्तीय लेनदारों को भुगतान दिवाला (Insolvency) और दिवालिया (Bankruptcy) संहिता के अनुसार नहीं था।

  • एनसीएलटी ने बोली मूल्य के परिसमापन मूल्य के करीब होने के बारे में चिंताओं को उठाने के बावजूद योजना को मंजूरी दी।

  • यदि लेनदारों की समिति इसके अनुमोदन पर पुनर्विचार करना चाहती है, तो उसे ऐसा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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असंतुष्ट वित्तीय लेनदारों को भुगतान -

आईबीसी (IBC) की धारा 30 (2) (बी) के तहत, वित्तीय लेनदारों को एक परिसमापन के मामले में वित्तीय लेनदारों को एक राशि मिलनी चाहिए। यह राशि वॉटरफॉल मैकेनिज्म* (Waterfall Mechanism) के तहत भुगतान की जाने वाली राशि से कम नहीं हो।

* यह वह तंत्र है, जो परिसमापन (liquidation) की स्थिति में लेनदारों को पुनर्भुगतान हेतु प्राथमिकता आदेश (order of priority) रेखांकित करता है।

लेकिन वर्तमान मामले में एनसीएलएटी (NCLAT) ने बताया कि; असंतुष्ट लेनदारों- बैंक ऑफ महाराष्ट्र और आईडीबीआई और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक को परिसमापन मूल्य से कम भुगतान किया जा रहा है।

जहां तक ​​असंतुष्ट वित्तीय लेनदारों का संबंध है, एनसीएलटी को यह देखना था कि क्या धारा 30 के तहत यह अनुपालन किया गया था।

NCLAT ने इशारा किया कि; ट्रिब्यूनल ने हालांकि असंतुष्ट लेनदारों को भुगतान के बारे में चिंता जताई थी, फिर भी यह निष्कर्ष निकाला कि योजना आईबीसी प्रावधानों के अनुरूप थी। एनसीएलएटी ने कहा कि इसे मामले को पुनर्विचार के लिए लेनदारों की समिति को वापस भेजना चाहिए था।

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NCLT की 'मूल्यांकन' संबंधी चिंता -

ट्रिब्यूनल ने कहा था कि; जब NCLT ने पिछले साल जून में ट्विन स्टार की योजना (Twin Star's plan) को मंजूरी दी थी, तो उसने इस तथ्य पर आश्चर्य व्यक्त किया था कि ट्विन स्टार की बोली परिसमापन मूल्य के इतने करीब थी, जिसे गोपनीय रखा जाना था।

इस दौरान पंजीकृत मूल्यांनकर्ता 13 वीडियोकॉन कंपनियों के लिए 4,069 करोड़ रुपये के उचित मूल्य और 2,568 करोड़ रुपये के परिसमापन मूल्य पर पहुंचे थे। ऐसे में ट्विन स्टार (Twin Star) की 2,900 करोड़ रुपये की बोली आश्चर्यजनक रूप से परिसमापन मूल्य के करीब है।

इसे देखते हुए, एनसीएलटी ने यह भी पूछा था कि क्या समाधान प्रक्रिया में परिसमापन मूल्य लीक हुआ है।

एनसीएलएटी ने कहा कि; इससे पता चला कि ट्रिब्यूनल समाधान योजना से संतुष्ट नहीं था। इस मामले में, उसे योजना पर आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी नहीं देनी चाहिए थी।

CoC की बुद्धिमत्ता -

ट्रिब्यूनल ने अपने 213 पन्नों के आदेश में यह भी उल्लेखित किया कि; लेनदारों की समिति, जिनमें से अधिकांश सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और वित्तीय संस्थान हैं, सार्वजनिक धन के साथ और सार्वजनिक विश्वास के संरक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं और एक वैधानिक भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।

NCLAT ने प्रकाश डाला कि; शीर्ष अदालत ने भी फैसला सुनाया है कि वाणिज्यिक मामलों पर समिति का निर्णय गैर-न्यायसंगत है। न्यायिक मिसालों के आधार पर, अपीलीय दिवाला अदालत ने फैसला सुनाया कि लेनदारों की समिति कार्यशील नहीं है - समाधान योजना के अनुमोदन पर अधिकारी अर्थात इसका अधिकार यहीं समाप्त नहीं होता है।

वर्तमान मामले में, एनसीएलएटी ने कहा, कटौती का स्तर अभूतपूर्व है और इसमें हजारों करोड़ जनता का पैसा शामिल है। ऐसे मामले में, यदि समिति अपने स्वयं के निर्णयों की समीक्षा करना चाहती है, तो उसे विचार-विमर्श और यहां तक ​​कि पुनर्मूल्यांकन से गुजरना होगा।

सीओसी (CoC) के व्यावसायिक बुद्धिमता पर अंतिम निष्कर्ष ने योजना में संशोधनों से संबंधित एनसीएलएटी (NCLAT) को प्रभावित किया। एनसीएलटी (NCLT) ने सीओसी को असंतुष्ट वित्तीय लेनदारों को गैर परिवर्तनीय डिबेंचर के बजाय 'नकद' में भुगतान करने का निर्देश दिया था।

इस बारे में एनसीएलएटी (NCLAT) ने कहा, यह नहीं किया जा सकता है। साथ ही जोड़ा कि; एनसीएलटी को योजना को फिर से विचार के लिए लेनदारों को वापस भेजना चाहिए था।

इन तीन मुद्दों के अलावा, ट्रिब्यूनल ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के अनुमोदन की समाधान योजना की कमी पाई, जो फिर से संहिता की धारा 31 (4) का उल्लंघन है।

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वीडियोकॉन का दिवाला अब तक -

पिछले साल जून में, एनसीएलटी (NCLT) ने योजना को मंजूरी दे दी थी, लेकिन इस तथ्य पर आश्चर्य व्यक्त किया था कि ट्विन स्टार की बोली (Twin Star’s bid) परिसमापन मूल्य (liquidation value) के बहुत करीब थी, जिसे गोपनीय रखा जाना था।

इसके तुरंत बाद, असंतुष्ट वित्तीय लेनदारों ने ट्विन स्टार की योजना को दी गई मंजूरी के खिलाफ अपीलीय निकाय का रुख कर लिया। उन्होंने तर्क दिया कि बिक्री मूल्य (Sale price) परिसमापन मूल्य (Liquidation value) के बहुत करीब था।

साथ ही संपत्ति के परिसमापन मूल्य की सही गणना नहीं की गई थी। इस आधार पर 19 जुलाई को अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी के फैसले पर रोक लगा दी थी।

दो महीने बाद, लेनदारों की समिति ने एनसीएलएटी से संपर्क किया और वीडियोकॉन समूह की संस्थाओं के लिए बोली प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की अनुमति मांगी, जिनकी तेल और गैस, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू उपकरणों, दूरसंचार और रियल एस्टेट में मौजूदगी है।

भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लेनदारों की समिति की ओर से एनसीएलएटी (NCLAT) को बताया था कि कॉर्पोरेट देनदार की संपत्ति के मूल्य को अधिकतम करना आईबीसी की प्रमुख विशेषताओं में से एक है और इसलिए, समिति इससे दूर नहीं हो सकती है।

मेहता ने वीडियोकॉन (Videocon) के लिए "व्यापक जनहित" में नई बोलियों की अनुमति देने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि जनता का पैसा "सर्वोत्तम तरीके से सुरक्षित" हो।

इसका विरोध वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और ट्विन स्टार का प्रतिनिधित्व करने वाले गोपाल जैन ने इस आधार पर किया कि ऋणदाता फिर से बोली आमंत्रित नहीं कर सकते हैं।

NCLAT ने इन तर्कों को खारिज कर दिया, और लेनदारों की समिति को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों के अनुसार नए दौर की बोली में दोषों को सुधारने के लिए कहा।

डिस्क्लेमर आर्टिकल मीडिया एवं एजेंसी रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त जानकारी जोड़ी गई हैं। इसमें प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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