जयपुर, राजस्थान। वेदांता के हिन्दुस्तान ज़िन्क लिमिटेड यहां स्थित राजस्थान क्रिकेट एसोसियेशन (आरसीए) स्टेडियम के विकास के लिये 300 करोड़ रुपये का निवेश करेगा, जबकि स्टेडियम का नाम बदलकर अनिल अग्रवाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम रखा जाएगा।
वेदांता ने गुरुवार को इसकी पुष्टि करते हुए एक विज्ञप्ति में बताया कि आरसीए के सचिव भवानी शंकर समोता और हिन्दुस्तान ज़िंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने इससे संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष और आरसीए की मुख्य संरक्षक डॉ. सी.पी. जोशी, हिन्दुस्तान ज़िंक की अध्यक्ष और गैर-कार्यकारी निदेशक प्रिया अग्रवाल हेब्बर और आरसीए के अध्यक्ष वैभव गहलोत उपस्थित रहे।
इस स्टेडियम की सुविधाएं 100 एकड़ में फैली होंगी और इसमें 75,000 से अधिक लोग बैठकर क्रिकेट का आनंद ले सकेंगे। दर्शक क्षमता के मामले में यह स्टेडियम केवल अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम और मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड से पीछे है, जबकि खेल मैदान के क्षेत्रफल के हिसाब से यह दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम होगा।
इस मौके पर डॉ. सी. पी. जोशी ने कहा कि इस समझौते से जयपुर में आधुनिक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने का लंबे समय से चला आ रहा सपना पूरा होगा। उन्होंने स्टेडियम के पहले चरण के निर्माण में समर्थन देने के लिये अनिल अग्रवाल और प्रिया अग्रवाल हेब्बार का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्टेडियम के दूसरे चरण में भी वेदांता का सहयोग मिलेगा।
गौरतलब है कि जयपुर के चौंप गांव के पास बनने वाले इस स्टेडियम में करीब 650 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। वेदांता से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) भी इसके लिये 100 करोड़ रुपये का अनुदान दे चुका है।
श्री अग्रवाल ने इस योगदान के पीछे अपना दृष्टिकोण साझा करते हुए कहा, "खेल हमें नेतृत्व, टीमवर्क, प्रतिस्पर्धा और सफल होने की भूख का सबसे अच्छा सबक देता है। यदि भारत के युवा ऊर्जा और जुनून के साथ पूरे दिल से भाग लेते हैं तो वे एक अपराजेय प्रतिभा पूल का हिस्सा बन जायेंगे। वेदांता इस स्टेडियम और इसकी सुविधाओं को नये भारत को समर्पित करता है।"
इस स्टेडियम को चरणों में पूरा किया जाएगा। अक्टूबर 2023 तक पहले चरण का निर्माण पूरा होने की संभावना है जिसके बाद 40,000 लोग यहां क्रिकेट का लुत्फ ले सकेंगे। पहले चरण की समग्र परियोजना पर 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें से 300 करोड़ रुपये हिन्दुस्तान जिंक द्वारा वहन किये जायेंगे। अन्य 100 करोड़ रुपये आरसीए खर्च करेगा।
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