Women's participation will increase in Vedatan's workforce Raj Express
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वेदांता एल्यूमिनियम ने 2025 में अपने कार्यबल में एक तिहाई महिलाओं को लेने का लक्ष्य तय किया

वेदांता एल्यूमिनियम ने महिला सशक्तिकरण मुहिम में योगदान देते हुए 2025 में अपने सकल कार्यबल में महिलाओं का अनुपात एक तिहाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

Author : Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • धातु और खनन उद्योग में इन दिनों नए पथ गढ़ रही हैं महिलाएं

  • खनन उद्योग में लैंगिक अंतर घटाने के लिए कदम उठा रही है कंपनी

  • वैश्विक खनन में महिलाओं की संख्या 15%, जबकि वेदांता में 22% है

राज एक्सप्रेस । देश की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक कंपनी वेदांता एल्यूमिनियम ने महिला सशक्तिकरण मुहिम में योगदान देते हुए वर्ष 2025 की समाप्ति तक अपने सकल कार्यबल में महिलाओं का अनुपात एक तिहाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वेदांता एल्यूमिनियम की यह कोशिश उसकी इस प्रतिबद्धता का परिचायक है कि वह अपने संगठन में लैंगिक विविधता का विस्तार देना चाहती है और ऐसा करते हुए कंपनी परम्परागत तौर पर पुरुष प्रधान धातु व खनन उद्योग में लैंगिक अंतर को घटाने के लिहाज से महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक खनन कार्यबल में महिलाओं की संख्या केवल 15 प्रतिशत है, और कुछ क्षेत्रों में तो और भी कम महिलाएं काम कर रही हैं। भारतीय धातु व खनन उद्योग में 2010 से 2015 के बीच महिलाओं का प्रतिनिधित्व मात्र 7 प्रतिशत ही थी। महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की कोशिशों के बावजूद औरतों को लेकर मौजूद पूर्वाग्रहों तथा आदर्शों के अभाव के चलते इस मामले में प्रगति बेहद धीमी रही है।

यह ऐसा उद्योग है जहां महिलाओं का प्रतिनिधित्व अत्यंत कम है, किंतु इस उद्योग में वेदांता एल्यूमिनियम ही एकमात्र ऐसी कंपनी है, जिसने इस खाई को कम करने की पहल की है। आज वेदांता एल्यूमिनियम के कुल कार्यबल में 22 प्रतिशत महिला पेशेवर हैं। इस उद्योग में यह आंकड़ा सबसे अधिक है, लेकिन कंपनी यहीं नहीं रुकना चाहती, कंपनी का लक्ष्य और भी ऊंचा है। वेदांता एल्यूमिनियम साहस के साथ परम्परागत लैंगिक पक्षपात को चुनौती दे रही है।

कंपनी एक समान कार्य का परिवेश रच रही है, जो कंपनी द्वारा उठाए कदमों से साबित होता है। कंपनी लैंगिक आधार पर नहीं बल्कि मेरिट के आधार पर दायित्व देती है। कंपनी समृद्ध कार्य सामग्री मुहैया कराती है और प्रगतिशील कार्यस्थल नीतियां लागू करती है। कंपनी ने परंपरा के विपरीत महिलाओं के लिए रात की पाली की शुरुआत भी की है। इन पहलों के बल पर वेदांता एल्यूमिनियम ने अग्रगामी महिलाओं का एक काडर निर्मित किया है, जो भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नए मानक स्थापित कर रही हैं।

वे माइन ऑपरेशन, मेटल प्रोडक्शन, पावर जेनरेशन, प्लांट मैनेजमेंट व असैट सिक्युरिटी जैसे कोर फंक्शंस में बेहतर तरीके से काम कर रही हैं । ये महिलाएं घिसीपिटी रवायतों को चुनौती देते हुए राह पर आगे बढ़ रही हैं और अपने उद्योग की रुढ़िवादी धारणाओं को नया आकार प्रदान कर रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 के अवसर पर कंपनी ने फ्यूचर आफ मेटल #TheFutureOfMetal’ कैम्पेन के तहत ’वुमेन ऑफ मेटल’ शीर्षक से लघु फिल्मों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की है। इस कैम्पेन का लक्ष्य है ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को धातु व खनन उद्योग में कामयाब करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना।

इन लघु फिल्मों में युवा महिला पेशेवरों को वेदांता एल्यूमिनियम में रात की पाली के दौरान महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाते हुए दिखाया गया है। भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) में क्वालिटी अश्योरेंस प्रमुख अंजली पवार ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा अपने डेढ़ दशक लम्बे अनुभव के दौरान मैंने स्वयं कंपनी की प्रक्रियाओं और मानकों को वैश्विक स्तर पर विकसित होते हुए देखा है। क्वालिटी अश्योरेंस केवल मानक कायम रखने तक नहीं है बल्कि इसका संबंध उत्कृष्टता एवं ग्राहक संतुष्टि की संस्कृति को पोषित करने से भी है। इस सफर में अगुआई करना बहुत ही तृप्तिदायक रहा है, इस भूमिका को मैंने अपनी अकादमिक विशेषज्ञता एवं एक उद्देश्य की भावना के संग निभाया है।

वेदांता एल्यूमिनियम में ऐक्सप्लोरेशन मैनेजर शिवानी शर्मा ने आईआईटी रुड़की से जियोफिजिक्स में डिग्री ली है, उन्हें मिनरल ऐक्सप्लोरेशन में 16 से अधिक वर्षों का अनुभव है। वह कहती हैं मिनरल ऐक्सप्लोरेशन की दुनिया में आना मेरे लिए महज एक करियर चॉइस नहीं थी बल्कि यह व्यक्तिगत संतोष की ओर एक छलांग। वेदांता झारसुगुडा, ओडिशा में असिस्टेंट मैनेजर जेपुलिना बोराह एक व्यापार विश्लेषक हैं और साथ ही वह अग्निवाहिनी फायर फाइटिंग टीम की अहम सदस्य भी हैं, इस टीम की सभी सदस्य महिलाएं हैं। वह बताती हैं फायर फाइटिंग टीम में शामिल होना ऐसा था जैसे मुझे अपनी जिंदगी में एक नया आयाम मिल गया हो। पेशेवर और निजी जिंदगी का संतुलन आसान नहीं था, मैं अग्निवाहिनी जैसे कार्यक्रमों की शुक्रगुजार हूं; यहां मैं सिर्फ विश्लेषण नहीं करती हूं बल्कि मैं बचाव भी करती हूं और आगे भी बढ़ती हूं।

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