ई-वाणिज्य को लेकर सरकार की नीति साफ न होने से व्यापारी संगठन नाराज : कैट Syed Dabeer Hussain - RE
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ई-वाणिज्य को लेकर सरकार की नीति साफ न होने से व्यापारी संगठन नाराज : कैट

ई-वाणिज्य के नियमों को स्पष्ट कर परम्परागत खुदरा कारोबार के हितों की सुरक्षा नहीं की गयी तो आठ करोड़ व्यापार समुदाय चुनाव में 'वोट बैंक' बन कर व्यवहार कर सकता है।

Author : News Agency

नई दिल्ली। खुदरा व्यापारियों के 30 से अधिक संघों ने देश में आनलाइन बाजार मंचों के लिए स्पष्ट नीति व नियमों के अभाव पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि इसके चलते विदेशी ई-वाणिज्य कंपनियां भारतीय बाजार में मनमानी कर रही हैं और छोटे व्यापारियों को नुकसान हो रहा है।

उन्होंने कहा है कि ई-वाणिज्य के नियमों को स्पष्ट कर परम्परागत खुदरा कारोबार के हितों की सुरक्षा नहीं की गयी तो आठ करोड़ व्यापार समुदाय चुनाव में 'वोट बैंक' बन कर व्यवहार कर सकता है।

सभी राज्यों के 33 प्रमुख व्यापारिक नेताओं ने कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के तत्वावधान में एक संयुक्त बयान में कहा है, "किसी सरकारी नीति की अनुपस्थिति और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में स्पष्टता नहीं होने और इसके साथ साथ संबंधित सरकारी विभागों के ढुलमुल रवैए ने विदेशी निवेश वाली ई-कंपनियों को भारत के ई-वाणिज्य परिदृश्य को खेल के एक खुले मैन के रूप में प्रयोग करने की छूट दे दी है।"

इस स्थिति को दुखद बताते हुए व्यापारी नेताओं ने कहा, "सरकार द्वारा ऐसी विदेशी कंपनियों की कुरीतियों को रोकने के लिए अब तक कोई सार्थक कदम नही उठाया गया है और न ही उनकी कुप्रथाओं पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई कार्रवाई की गई है, ये देश के व्यापारियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नही है।"

कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि उन्हें केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की ओर से ठोस कार्रवाई की उम्मीद में करीब पांच साल इंतजार करने के बाद हमें ऐसा बयान जारी करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सबसे आश्चर्यजनक है कि अमेरिकी सीनेटरों ने भारत में एमेजॉन द्वारा की जा रही कुप्रथाओं का संज्ञान लिया है लेकिन अभी तक किसी भी सरकारी विभाग या मंत्रालय ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।

व्यापारियों ने कहा है कि उन्हें ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूरी उम्मीद है क्योंकि वह छोटे व्यवसायों के उत्थान के लिए समय समय पर बोलते रहे है एवं उनकी वकालत करने में भी पीछे नही रहे हैं लेकिन - दुर्भाग्य से नौकरशाही व्यवस्था ने छोटे व्यवसायों के बारे में उनकी दृष्टि को बहुत विकृत कर दिया है।

संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वालों ने कहा कि देश के लगभग 8 करोड़ व्यापारी लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहे हैं और लगभग 115 लाख करोड़ का वार्षिक कारोबार कर रहे हैं। बयान में कहा गया है,''हमने तय किया है कि अगर वोट बैंक की राजनीति चल रही है, तो व्यापारियों को खुद को वोट बैंक में बदलने में कोई दिक्कत नहीं होगी।''

बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसीबी भारतिया, नागपुर, महेंद्र शाह,गुजरात, प्रवीन खंडेलवाल, दिल्ली के अलावा कैट से जुड़ी पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, चंडीगढ़ उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू, पांडिचेरी, आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों और प्रमुख शहरों के व्यापारी नेताओं के हस्ताक्षर हैं।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने कुछ माह पूर्व ई-वाणिज्य के नियमों का एक मसौदा जारी किया था। उस पर भारत में काम कर रही विदेशी वाणिज्यक कंपनियों के साथ साथ स्थानीय एसोसिएशनों ने भी कई अपत्तियां उठायी थीं। उसके बाद से अभी उस दिशा में सरकार की ओर से किसी ठोस कदम का इंतजार है।

भारत में ई-वाणिज्य क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। देश में डिजिटल क्रांति के बीच इस बाजार के 2025 तक 112 अरब डालर तक पहुंच जाने की संभावना है। वर्ष 2020 में ई-वाणिज्य बाजार 46 अरब डालर से कुछ अधिक था। भारत में इस वर्ष अप्रैल तक इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 78 करोड़ 30 लाख के करीब थी।

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