अगस्त में टमाटर के दाम 250 रुपये प्रति किलो के पार निकल गए थे, तो पूरे देश में हाहाकार मच गया था
बीते हफ्ते महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में टमाटर की कीमतें इतनी लुढ़क गई कि किसानों को टमाटर फेंकना पड़ रहा है
इस गिरावट से किसानों को नुकसान न हो इसके लिए सरकार अब खुद इनके टमाटर खरीदने पर विचार कर रही है
राज एक्सप्रेस। ज्य़ादा दिन पहले की बात नहीं है। एक माह पहले अगस्त के महीने में जब टमाटर के दाम 250 रुपये प्रति किलो के पार निकल गए थे, तो पूरे देश में हाहाकार मच गया था। सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए सब्सिडी पर टमाटर की बिक्री शुरू करानी पडी थी। उसी टमाटर की कीमतें अब इस हद तक नियंत्रित हो गई हैं कि सरकार के सामने एक बार फिर मुश्किल खड़ी हो गई है। दरअसल, बीते हफ्ते टमाटर की कीमतें इतनी लुढ़क गई हैं कि किसानों को टमाटर फेंकना पड़ रहा है। टमाटर की बंपर पैदावार होने की वजह से इस समय महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में टमाटर की कीमतों में कमी आ गई है। टमाटर की कीमत में भारी गिरावट को देखते हुए सरकार चिंता में पड़ गई है। किसानों को नुकसान न हो इसके लिए सरकार अब खुद इनके टमाटर खरीदने पर विचार कर रही है।
किसानों से टमाटर खरीदकर सरकार उन्हें नुकसान से बचाने की कोशिश शुरू कर दी है। सरकार मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसफ) का इस्तेमाल करके टमाटर के मूल्य में आई गिरावट से किसानों को राहत देने क प्रयास करेगी। इस फंड आमतौर पर इस्तेमाल सब्जियों के बढ़ते दाम से लोगों को राहत दिलाने के लिए किया जाता है। इस बार टमाटर की गिरती कीमतों से किसानों को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय टमाटर की ज्यादा पैदावार वाले इलाकों से टमाटर खरीदेगा और और उन्हें नजदीक के उन बाजारों में बेचा जाएगा, जहां पर इनके ज्यादा दाम मिल सकते हैं।
सरकार को टमाटर किसानों को नुकसान से बचाने के लिए यह कदम इसलिए भी उठाना पड़ेगा, क्योंकि अक्टूबर में टमाटर की बंपर पैदावार का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार इस अवधि में हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में टमाटर का उत्पादन होगा। ऐसा होने पर टमाटर की कीमतों में और ज्यादा कमी आ सकती है। सितंबर में देशभर में टमाटर का उत्पादन लगभग 956,000 टन हुआ और अक्टूबर में इसके 1.3 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है।
किसान संगठनों का कहना है कि जब टमाटर के दाम आसमान छूने लगे थे, तो सरकार ने दखल देकर इनकी कीमतों में कमी के लिए तमाम प्रयास किए थे। वअब जब इनके दाम गिरने से किसानों को घाटा हो रहा है, तो सरकार क्यों नहीं दखल दे रही है। किसान संगठनों इस बात से भी नाराज हैं कि सरकार ने प्याज पर निर्यात शुल्क लगाकर किसानों को नुकसान किया है, तो अब टमाटर की खरीदारी भी 25 रुपये प्रति किलो से कम पर नहीं होनी चाहिए। किसान संगठनों ने कहा अगर उपभोक्तताओं को राहत देने के लिए सरकार दखल दे सकती है, तो किसानों को राहत देने के लिए भी सरकार को आगे आना चाहिए।
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