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RBI इस बार भी रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा, जरूरी सेवाओं पर 5 लाख बढ़ाई पेमेंट लिमिट

भारतीय रिजर्व बैंक एमपीसी की बैठक आज तीसरे दिन समाप्त हो गई है। आरबीआई ने इस बार भी रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है।

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • क्लाउड फैसिलिटी से डाटा सुरक्षा पर फोकस बढ़ाया जाएगा।

  • चालू वित्तवर्ष में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान है।

  • अप्रैल 2024 तक फिनटेक रिपोजिटरी के गठन का प्रस्ताव रखा।

राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक आज तीसरे दिन समाप्त हो गई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने इस बार भी रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है। इसके साथ ही स्थायी जमा सुविधा (एलजीएफ) और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दरें क्रमशः 6.25 फीसदी और 6.75 फीसदी पर बरकरार रखी गई हैं। इसकी प्रमुख वजह चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर का उम्मीद से अधिक होना और मुद्रास्फीति में कमी आना है।

वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में जीडीपी आंकड़ा मौद्रिक नीति समिति के पिछले अनुमान से अधिक रहा है। हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति से संबद्ध विभिन्न पहलुओं को लेकर चिंता बनी हुई है। इन सबको देखते हुए ही एमपीसी दिसंबर 2023 की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय लिया है।

उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने पिछली चार मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आरबीआई ने अंतिम बार फरवरी में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत और इसकी वजह से वैश्विक आपूर्ति बाधित होने की वजह से महंगाई बढ़ने के कारण मई, 2022 से शुरू हुआ नीतिगत दर में वृद्धि का सिलसिला एक तरह से थम गया है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि घरेलू मांग बढ़ने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी का सिलसिला जारी है। लागत खर्च में कमी से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूती देखने को मिल रही है। सरकारी खर्च से निवेश की रफ्तार में तेजी आई है। एग्रो क्रेडिट में ग्रोथ से रिकवरी बेहतर होने का अनुमान है।

वित्तवर्ष 2023-24 में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में क्षमता का अधिकतम इस्तेमाल देखने को मिला है। निजी उपभोग लगातार बेहतर हो रहा है। कोर महंगाई घटने के संकेत दिख रहे हैं। वित्तवर्ष 2023-24 में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान है। वित्तवर्ष 2023-24 जी़डीपी ग्रोथ अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 7 फीसदी हो सकता है। चालू वित्तवर्ष में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी का अनुमान है। आरबाई ने कहा भारत में आर्थिक गतिविधियों में जुलाई-सितंबर माह में उछाल देखने को मिला है। सरकारी खर्च से निवेश में तेजी देखी गई है।

शक्तिकांत दास ने कहा कि क्लाउड फैसिलिटी से डाटा सुरक्षा पर फोकस बढ़ाया जाएगा। जरूरी सेवाओं पर यूपीआई पेमेंट लिमिट 5 लाख तक की जा रही है। हॉस्पिटल, एजुकेशन के लिए यूपीआई पेमेंट की सीमा एक लाख से बढ़ाकर 5 लाख तक कर दी गई है। आरबीआई ने अप्रैल 2024 तक फिनटेक रिपोजिटरी के गठन का प्रस्ताव रखा है।

अक्टूबर से दिसंबर 2023 के लिए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) का पूर्वानुमान 5.6 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। जनवरी-मार्च 2024 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 5.2 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। वहीं अप्रैल-जून 2024 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 5.2 फीसदी पर बनाए रखा गया है। जुलाई-सितंबर 2024 के लिए सीपीआर्ई मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 4.0 फीसदी आंका गया है।

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