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बेहतर हुई खुदरा निवेशकों की समझ, एफआईआई के हाथ से जल्द निकल सकता है बाजार का नियंत्रण

सेज वन के फाउंडर पार्टनर और सीआईओ समित वर्तक ने कहा खुदरा निवेशकों की समझ बेहतर हुई है। जिसके बाद उन्होंने स्मॉलकैप और मिडकैप में भागीदारी बढ़ा दी है।

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। सेज वन के फाउंडर पार्टनर और सीआईओ समित वर्तक ने कहा हाल के दिनों में खुदरा निवेशकों की बाजार को लेकर समझ बेहतर हुई है। अपनी समझ के दम पर खुदरा निवेशकों ने हाल के दिनों में स्मॉलकैप और मिडकैप सेगमेंट में अपनी भागीदारी बढ़ा दी है। अब तक खुदरा निवेशक हिचक के साथ बाजार में प्रवेश करते थे, लेकिन अब उनका रवैया बदल गया है। खुदरा निवेशकों की बाजार के प्रति समझ बढ़ने की वजह से अब वे तेजी का नेतृत्व करने लगे हैं। उन्होंने कहा हाल के दिनों में कई ऐसे मौके आए जब खुदरा निवेशकों ने जमकर खरीदारी की। खासकर कोरोना महामारी के बाद से रिटेल निवेशकों की बाजार हिस्सेदारी काफी बढ़ गई है।

कोरोना संकट के बाद बढ़ी खुदरा निवेशकों की भागीदारी

वर्तक ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि कोरोना संकट के बाद के दिनों में बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी निश्चित रूप से बहुत बढ़ गई है। लार्ज-कैप शेयरों की तुलना में रिटेल निवेशक स्मॉल-कैप और मिड-कैप सेगमेंट में निवेश कर रहे हैं। उन्होंने आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा हाल के दिनों में स्मॉल-कैप फोलियो में जोरदार बढ़त देखने को मिली है। इसकी वजह संभवतः रिटेल निवेशकों की बढ़ती बाजार भागीदारी है। पिछले साल स्मॉल कैप में 33 फीसकी की गिरावट के बावजूद खुदरा निवेशक बाजार में बिना घबराए बने रहे। यह साफ संकेत है कि बाजार के प्रति उनकी समझ में सुधार हुआ है। ब़डी गिरावट का संभावित खौफ अब खुदरा निवेशकों को बाजार से दूर कर पाने में सक्षम नहीं रह गया है।

एफआईआई की जगह ले रहे रिटेल निवेशक

वर्तक ने कहा बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी एक अहम बदलाव है। बाजार में खुदरा निवेशकों के बढ़ते दखल से विदेशी संस्थागत निवेशकों की भू्मिका को काफी कुछ बदल डाला है। संभव है खुदरा निवेशक अगले दिनों में एफआर्ईआई का पूरी तरह से स्थान ले लें। भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई हिस्सेदारी 21 फीसदी के उच्चतम स्तर पर रही है। वर्तमान में यह 18.5 फीसदी पर आ गई है। 2.5 फीसदी का अंतर मार्केट वैल्यू के हिसाब से लगभग 100 अरब डॉलर के बराबर है। इससे संकेत मिलता है कि एफआईआई की भारतीय बाजारों से वापसी की संभावना है।

भारतीय बाजार में बने रहना एफआईआई की मजबूरी

समित वर्तक का मानना है कि जैसे-जैसे दूसरे बाजार, खासकर चीन, कम आकर्षक होते जा रहे हैं वैसे-वैसे भारतीय बाजारों की ओर लौटना एफआईआई की मजबूरी बन जाएगी। उन्होंने कहा चीन के कम आकर्षक होने के साथ, एफआईआई के पास भारतीय बाजारों में वापस लौटने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा। उन्होंने कहा शेयर बाजार में जिस तरह की दिलचस्पी आज देखने को मिल रही है, मैंने अपने करियर में इससे पहले कभी नहीं देखी। माइक्रो-कैप एसएमई सेगमेंट के बारे में अपनी चिंता जाहिर करते हुए समित वर्तक ने चेतावनी दी कि यह एक तुलनात्मक रूप से अस्थिर बाजार है। यहां जरा सी असावधानी करने पर निवेशकों को बड़ा नुकसान हो सकता है।

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