तेजी का मौजूदा दौर इस समय अधिकतम ऊंचाई तक पहुंच गया
संकेतक भी बताते हैं, यह तेजी ज्यादा समय तक नहीं रहने वाली
राज एक्सप्रेस । देश की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हाल के दिनों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। अब इस तेजी के थमने का खतरा पैदा हो गया है। अर्निंग्स मोमेंटम थम गया है और टेक्निकल्स बताते हैं कि तेजी का मौजूदा दौर अधिकतम ऊंचाई तक पहुंच गया है। यह दौर अगले दिनों में थमता दिख सकता है। विश्लेषकों के अनुसार सरकारी कंपनियों की बढ़त पर संदेह के बादल छा गए हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि कंपनियों का मुनाफा धीरे-धीरे कम हो रहा है। शेयर बाजार के तकनीकी संकेतक भी बताते हैं कि यह तेजी ज्यादा समय तक नहीं रहने वाली।
बीएसई पीएसयू सूचकांक में शामिल कंपनियों ने दिसंबर में समाप्त तिमाही में विश्लेषकों की उम्मीदों को सिर्फ 1% ही बेहतर किया, जो पिछले छह तिमाहियों में सबसे कम है। यह उस तेजी को सही नहीं ठहराता जो सूचकांक को गुरुवार को नए रिकॉर्ड पर ले गई और पिछले एक साल में सूचकांक के बाजार मूल्य को दोगुना से भी ज्यादा बढ़ा दिया। यह उस रैली को सही ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है जिसने गुरुवार को गेज को एक नए रिकॉर्ड पर पहुंचा दिया, और पिछले वर्ष में माप का बाजार मूल्य दोगुना से अधिक 750 बिलियन हो गया है।
विशेषज्ञों की राय में रिस्क और रिवार्ड अनुपात अच्छा नहीं देखने को मिला है। इसलिए व्यापक तेजी पर दांव लगाना ठीक नहीं है। उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में कई सरकारी कंपनियों की कमाई के आंकड़े इस तेजी का समर्थन करते नहीं दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए अक्षय ऊर्जा की ओर रुख करने वाली बिजली कंपनी एसजीवीएन लिमिटेड ने पिछले सप्ताह अपने नतीजों की घोषणा से पहले एक महीने में 65% की तेजी देखी है। लेकिन जब कंपनी ने अपनी तीसरी तिमाही के नतीजे जारी किए तो सामने आया कि कंपनी की शुद्ध आय में 53% की गिरावट देखने को मिली है।
इसी तरह, रेल विकास निगम लिमिटेड के शेयरों में भी गुरुवार को अपनी कमाई की रिपोर्ट से पहले एक माह में 50% से अधिक की तेजी देखने को मिली, लेकिन जब कंपनी के नतीजे घोषित किए गए तो कंपनी के मुनाफे में गिरावट की बात सामने आई। हालांकि, इस आशंका से विपरीत जेफरीज का मानना है कि सरकार के बढ़ते बुनियादी ढांचा खर्च और सरकारी संपत्तियों के मूल्य को अधिकतम करने पर ध्यान केंद्रित करने की वजह से सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के विकास का क्रम जारी रहेगा।
जेफरीज के रणनीतिकार महेश नंदुरकर ने मंगलवार को एक नोट में लिखा, अच्छे प्रशासन से दीर्घकालिक स्थिति में राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के लिए इक्विटी पर रिटर्न में और सुधार होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा यह चार से छह प्रतिशत के बहु-वर्षीय निचले स्तर से 12-13 फीसदी तक जा सकता है। फिलहाल, पीएसयू सूचकांक का रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स, जो प्राइस मोमेंटम पर नजर रखता है, दो दशक से अधिक समय के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
वर्तमान तेजी के आलोक में पीएसयू सूचकांक उस तरह की बिकवाली की आशंकाओं से घिरा हुआ है, जिसने इस सप्ताह के आरंभ में लगभग 57 अरब डॉलर के बाजार मूल्य को धराशायी कर दिया था। दूसरे शब्दों में कहें तो, सरकारी कंपनियों के शेयरों में हालिया उछाल अब सुधार की ओर उन्मुख हो सकता है, जैसा कि कुछ ही दिनों पहले देखा गया था जब बिकवाली से बाजार मूल्य में भारी गिरावट आई थी। तकनीकी संकेतकों और कंपनियों के निराशाजनक कमाई के आंकड़ों से यही संकेत मिलता है कि निकट भविष्य में बिकवाली का दौर दोबारा आ सकता है।
अतः निवेशकों को सतर्क रहने और सावधानीपूर्वक निर्णय लेने की आवश्यकता है। कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के संस्थागत इक्विटी के सह-प्रमुख संजीव प्रसाद ने पिछले हफ्ते एक नोट में लिखा बाजार निकट भविष्य की लाभप्रदता पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है, जबकि मध्यम अवधि की लाभप्रदता के लिए बड़े जोखिमों को नजरअंदाज कर रहा है। हमें बाजार के नए आख्यान को मानना मुश्किल लगता है।
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