राज एक्सप्रेस । केंद्र सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के दायरे में शामिल कर लिया है। इसके लिए वित्त मंत्रालय ने शनिवार देर रात एक नोटिफिकेशन जारी किया है। सरकार के इस फैसले से अब पीएमएलए एक्ट के तहत जीएसटीएन संग्रहीत जानकारी मांगी जा सकेगी। इससे टैक्स चोरी और डॉक्युमेंट्स में हेराफेरी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी। इसके अलावा डीएसटी के तहत होने वाले अपराध जैसे फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट, फर्जी चालान आदि को पीएमएलए एक्ट में शामिल किया जाएगा। माना जाता है कि फर्जी बिलिंग के माध्यस से कर चोरी रोकने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। इससे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को और अधिक शक्तियां मिलेंगी।
जीएसटीएन की जानकारियां अब पीएमएलए की धारा 66 (1) (iii) के तहत शेयर की जाएंगी। इसके अलावा जीएसटीएन छोटे व्यापारियों को अपने अकाउंट रखने के लिए मानक सॉफ्टवेयर भी अवेलेबल कराएगा, ताकि इसे सीधे डीएसटीएन वेबसाइट पर उनके मंथली रिटर्न को अपलोड किया जा सके।
डीएसटीएन एक मजबूत आईटी नेटवर्क है, जिसे सरकार ने जीएसटी की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थापित किया है। यह एक नॉन प्रोफिटेबल संस्था है। डीएसटी के एग्जीक्यूशन के लिए डीएसटीएन केंद्र और राज्य सरकारों, टैक्सपेयर्स और अन्य स्टेकहोल्डर्स को एक साझा आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर और सर्विस प्रोवाइड करता है।
1. रजिस्ट्रेशन की सुविधा प्रोवाइड कराना।
2. सेंट्रल और स्टेट अथॉरिटीज को रिटर्न फॉरवर्ड करना।
3.आईजीएसटी की केल्क्यूलेशन और सेटलमेंट करना।
4. टैक्स पेमेंट डिटेल्स का बैंकिंग नेटवर्क से मिलान करना।
5. टैक्सपेयर्स के रिटर्न की जानकारी के आधार पर केंद्र और राज्य सरकार को विभिन्न MIS रिपोर्ट प्रदान करना।
6. टैक्सपेयर्स की प्रोफाइल का विश्लेषण उपलब्ध कराना।
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए को आम भाषा में समझें तो इसका मतलब है- दो नंबर के पैसे को हेरफेर कर ठिकाने लगाने वालों के खिलाफ कानून। यह एक्ट मनी-लॉन्ड्रिंग को रोकने, मनी-लॉन्ड्रिंग से प्राप्त या उसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामले को लेकर प्रावधान किया गया है।
पीएमएलए, 2002 में एनडीए के शासनकाल में बना था। ये कानून लागू हुआ 2005 में कांग्रेस के शासनकाल में, जब पी. चिदंबरम देश के वित्त मंत्री थे। पीएमएलए कानून में पहली बार बदलाव भी 2005 में चिदंबरम ने ही किया था।
पीएमएलए के तहत ईडी को आरोपी को अरेस्ट करने, उसकी संपत्तियों को जब्त करने, उसके द्वारा गिरफ्तारी के बाद जमानत मिलने की सख्त शर्तें और जांच अधिकारी के सामने रिकॉर्ड बयान को कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य होने जैसे नियम उसे ताकतवर बनाते हैं।
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