राज एक्सप्रेस। एक तरफ जहां पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में इस युग को टेक्नोलॉजी का युग बताते हुए सेमीकंडक्टर निर्माण के बारे में बात की। तो वहीं दूसरी तरफ इंडिया इलेक्ट्रानिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन के द्वारा भी यह उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2026 तक देश का सेमीकंडक्टर मार्केट भी 300 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इसके अलावा सरकार ने भी सेमीकंडक्टर की दिशा में आगे बढ़ते हुए 10 अरब डॉलर का बजट पेश किया है। चलिए आपको बताते हैं सेमीकंडक्टर के बारे में।
क्या है सेमीकंडक्टर?
आपको बता दें कि सेमीकंडक्टर एक तरह का पदार्थ है, जिसे अंदर इलेक्ट्रिसिटी के सुचालक और कुचालक गुण पाए जाते हैं। इसका काम इलेक्ट्रिक फ्लो को नियंत्रित करना है। इसे बनाने में सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता है और फिर डोपिंग की सहायता से एक विद्युत सर्किट चिप बनाया जाता है। सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल डाटा प्रोसेसिंग के लिए किया जाता है। आप इसे सीधे शब्दों में इलेक्ट्रानिक डिवाइस का दिमाग भी कह सकते हैं।
क्यों जरुरी है सेमीकंडक्टर?
जैसा कि हम जानते हैं कि यह टेक्नोलॉजी का युग है और दिन प्रतिदिन हम डाटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में प्रवेश करते जा रहे हैं। इस टेक्नोलॉजी को आगे बढाने में सेमीकंडक्टर की सबसे अहम भूमिका होती है। क्योंकि हर छोटी से लेकर बड़ी मशीन में सेमीकंडक्टर का उपयोग होता है। फिर चाहे वह कोई कंप्यूटर हो मोबाइल तो या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स हों।
सेमीकंडक्टर का निर्माण :
हमारे देश में बड़े पैमाने पर सेमीकंडक्टर का आयात ताइवान, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान से किया जाता है। जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा ताइवान का है। ताइवान में सेमीकंडक्टर बनाने वाली विश्व की सबसे बड़ी कंपनी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है। जो वैश्विक तौर पर 60 फीसदी सेमीकंडक्टर की जरूरतों को पूरा करती है। मगर अब भारत भी सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर होने के लिए कोशिश कर रहा है।
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