हाइलाइट्स :
कई कंपनियां दे रही हैं डिजिटल ट्रांजेक्शन की सेवाएं
RBI ने 2014 में किया था नए प्रकार के बैंकों का गठन
डिजिटल ट्रांजेक्शन बाजार 2023 तक होगा एक लाख करोड़ रुपए का
पीछे हट गई बहुत सी डिजिटल ट्रांजेक्शन सेवाएं देने वाली कंपनियां
कंपनियों को मिली प्रमुख बिजनेसमैन द्वारा फंडिंग
राज एक्सप्रेस। भारत में साल 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से ही डिजिटल ट्रांजेक्शन को काफी बढ़ावा मिला है। इतना ही नहीं अगर एक नजर डिजिटल पेमेंट सेगमेंट पर डाली जाये तो आप पाएंगे कि, इस मामले में भारत अन्य सभी देशों से काफी आगे निकल गया है। भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए पहले ही कई कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही हैं और उनके अलावा और भी बड़ी कंपनियां शुरू की जा सकती हैं।
कैश ट्रांजेक्शन :
डिजिटल ट्रांजेक्शन को इतना बढ़ावा देने और इतनी मुहीम चलने के बावजूद भी देश की 140 करोड़ की जनसंख्या में से 70% लोग आज भी कैश में ट्रांजेक्शन करते हैं। डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए RBI ने 2014 में नए प्रकार के बैंकों का गठन भी किया था। जो देश के बड़े उद्योगपतियों के निवेश द्वारा शुरू किये गए थे। उन्होंने इनके संचालन की जिमेदारी ली थी परन्तु अब वह अपनी जिमेदारी से पीछे हट रहे हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए लाइसेंस लेने वाली पांच फर्मों ने अपनी सेवाएं देना या तो बंद कर दिया है या तो इन सेवाओं को जारी रखने के लिए निवेश को रोक दिया है।
कंपनियों को मिली फंडिंग :
सेवाएं बंद करने वाली फर्मो में से तीन फर्मो को देश के प्रमुख बिजनेसमैन द्वारा फंडिंग भी मिली थी। हाल ही में कई कंपनियों द्वारा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन सेवाएं बंद करने के बाद दिलीप सांघवी ने अधिक निवेश को देखते हुए अपने पेमेंट बैंक को शुरू करने से पहले ही बंद कर दिया है। क्रेडिट सुईस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, डॉजिटल ट्रांजेक्शन का बाजार 2023 तक एक लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। वहीं KPMG की रिपोर्ट के में बताया गया है कि, डिजिटल पेमेंट सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को फायदा देखने में अभी कम से कम तीन साल का समय लगेगा।
कंपनियों की लिस्ट :
जानकारी के लिए बता दे कि, डिजिटल पेमेंट सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनियों की लिस्ट पर में अब बहुत सी कंपनियां विलुप्त हो चुकी हैं। आज देश में लगभग 90 कंपनियां इस फील्ड में काम कर रही हैं। खबरों के अनुसार आने वाले कुछ समय में इनमे से भी कुछ कंपनियां डैम तोड़ देंगी।
रेजर-पे के आंकड़े :
रेजर-पे के आंकड़ों के अनुसार, UPI पर उसके प्लेटफॉर्म के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शन में फ़िलहाल सबसे ज्यादा हिस्सेदारी गूगल पे की है। वहीं रेजर-पे के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में एक्टिव कंपनियों की प्रतिशत में हिस्सेदारी,
गूगल पे (Google Pay) - 61.2 %
फोन पे (Phone Pay) - 24.9%
पेटीएम (Paytm) - 5.8%
भीम (Bhim) - 3.7%
अन्य (Other) - 4. 4%
पेमेंट बैंक :
आदित्य बिड़ला ग्रुप ने अपना पेमेंट् बैंक नुकसान के चलते जुलाई में बंद कर दिया।
टेक महिंद्रा ग्रुप ने पेमेंट् बैंक की शुरुआत करने से पहले ही लाइसेंस सरेंडर कर दिया।
मुकेश अंबानी की कंपनी का पेमेंट् बैंक की शुरुआत करने के लिए टेस्टिंग कर रही है।
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