Tata Group की विश्वसनीयता पर उठे सवाल, कंपनी ने दिया सरकार को धोखा Social Media
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Tata Group की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवाल, कंपनी ने दिया सरकार को धोखा

Tata Group का नाम अपनी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार जो खबर सामने आई है। उससे ग्रुप की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि, ग्रुप पर सकल राजस्व घटाकर दिखाने का आरोप लगा है।

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। बड़े बिजनेसमैन की लिस्ट में शुमार रतन टाटा के टाटा ग्रुप (Tata Group) का नाम अब तक हमेशा कई बड़े निवेश या नेक काम के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार Tata Group का नाम जिस मामले में सामने आया है, उसे सुनकर हर कोई हैरान है। क्योंकि, टाटा ग्रुप का नाम हमेशा से उसकी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन इस बार जो खबर सामने आई है। उस खबर से टाटा ग्रुप की विश्वसनीयता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। दरअसल, Tata Group पर सकल राजस्व (Gross Revenue) घटाकर दिखाने का आरोप लगा है।

Tata Group ने दिया सरकार को दिया धोखा :

रतन टाटा के टाटा ग्रुप (Tata Group) से जुड़ी हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। इस ख़बर के तहत कंपनी पर ग्रास रेवन्यू दिखाने का आरोप लगा है। इस मामले में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने बीते सोमवार एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि, 'देश के बड़े ग्रुप में शुमार Tata Group की एक कंपनी द्वारा साल 2006-07 से साल 2017-18 के बीच अपना ग्रास रेवन्यू घटा कर दिखाया। इसे कंपनी को यह फायदा हुआ कि, कंपनी को इस अवधि के दौरान लाइसेंस शुल्क के तौर पर करीबन 645 करोड़ रुपये का भुगतान कम करना पड़ा। इस प्रकार Tata Group की एक कंपनी ने सरकार के साथ घोखाधड़ी की।

CAG का आरोप :

बताते चलें, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा Tata Group की एक कंपनी टाटा कम्युनिकेशन लिमिटेड (Tata Communications Limited) पर अपनी रिपोर्ट द्वारा आरोप लगाया है कि, 'TCL ने सरकार के साथ घोखाधड़ी की है और सर्कार को TCL से यह राशि वसूलनी चाहिए। साल 2006-07 से 2017-18 की अवधि के दौरान TCL के लाभ-हानि विवरण और बैलेंस शीट की लेखा जांच से यह बात सामने आती है कि इस अवधि में कंपनी का ग्रॉस रेवेन्यू 13252.81 करोड़ रुपये दिखाया गया। इसके कारण कंपनी को लेवी के रूप में 950.25 करोड़ रुपये का भुगतान करना था पर कंपनी से इससे कम भुगतान किया।'

CAG की रिपोर्ट :

CAG की रिपोर्ट के अनुसार, 'दूरसंचार विभाग कंपनी से लाइसेंस शुल्क के रूप में सिर्फ 305.25 करोड़ रुपये मिले। DoT की ओर से TCL से मांगी गई लाइसेंस फीस जितनी मांगी जानी चाहिए उससे 645 करोड़ रुपये कम थी। राशि की वसूली टाटा से की जानी चाहिए।'

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