हाइलाइट्स –
Tata Steel के CEO ने बताया
Covid-19 लॉकडाउन से पड़ा असर
जारी तिमाही में उत्पादन पटरी पर लौटा
राज एक्सप्रेस। Covid-19 जनित लंबे लॉकडाउन के बाद मौजूदा अनलॉक पीरियड में टाटा स्टील कंपनी का उत्पादन स्तर फिर सौ फीसद की रफ्तार पर पहुंच गया है। कंपनी के सीईओ और प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने यह जानकारी दी।
निर्यात पर निर्भरता -
उन्होंने कहा कि; कंपनी अब पहली तिमाही की तुलना में निर्यात पर कम निर्भर है। भारत में कोविड-19 (Covid-19) प्रकोप जनित राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई जिससे मांग और उत्पादन भी प्रभावित होने से इस्पात उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ा।
करना पड़ी थी कटौती-
बाजार की स्थितियों के कारण, टाटा स्टील जैसे इस्पात निर्माताओं को अप्रैल में अपने परिचालन में 50 प्रतिशत तक की कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सेक्टर में अन्य को भी अपनी उत्पादित चीजों के लिए बाजार खोजने में निर्यात का रुख करना पड़ा। हालांकि, लॉकडाउन में मानदंडों में छूट के साथ कंपनी ने उत्पादन लक्ष्य को चरणबद्ध तरीके से तैयार किया।
“अच्छे मानसून और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के नेतृत्व में घरेलू मांग में गति आने से चालू तिमाही के दौरान कंपनी को पुनर्जीवन मिला।”टीवी नरेंद्रन, सीईओ और प्रबंध निदेशक, Tata Steel
समचार एजेंसी पीटीआई को नरेंद्रन ने बताया, "उत्पादन 100 फीसदी चल रहा है और Q1 (अप्रैल-जून) में निर्यात पर निर्भरता की तुलना में हम अब कम निर्भर हैं।"
इतना असर पड़ा-
टाटा स्टील की समग्र भारत परिचालन क्षमता (टाटा स्टील बीएसएल (BSL) और टाटा स्टील लॉन्ग प्रॉडक्ट्स सहित) 20.6 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) है। 2020-21 की पहली तिमाही में, टाटा स्टील इंडिया ने 2.99 मिलियन टन क्रूड स्टील उत्पादित किया, जबकि बिक्री 2.92 मिलियन टन रही।
उन्होंने कहा; "हम अच्छे मानसून और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की अगुवाई में Q2 की मांग में पुनर्जीवन देख रहे हैं। ट्रैक्टर और मोटरसाइकिलों की मांग ने बाजार में वापसी का नेतृत्व किया है, अब हम यात्री कार व्यवसाय को भी देख रहे हैं।" उपकरणों के लिए भी यह एक मजबूत तिमाही थी।”
मानसून तिमाही पारंपरिक-
दूसरा क्षेत्र जहां टाटा स्टील मांग देख रही है, वह है तेल और गैस क्षेत्र, जल वहन प्रणाली और रेलवे जिस पर सरकार खर्च कर रही है। नरेंद्रन ने कहा कि; “निर्माण अभी भी थोड़ा धीमा है, हालांकि मानसून की तिमाही पारंपरिक रूप से निर्माण के लिए सबसे कमजोर तिमाही होती है।”
बदला मांग-आपूर्ति का गणित-
उन्होंने कहा कि; “अंतरराष्ट्रीय बाजारों में से एक चीन (China) में वी-आकार की वसूली और स्टील के शुद्ध निर्यातक से शुद्ध आयातक के तौर पर देश के बदलाव ने भी क्षेत्र में मांग-आपूर्ति की गतिशीलता को बदल दिया है।”
तलाशे नए अवसर-
अप्रैल और मई में भारतीय बाजारों के बंद होने से उपजी दिक्कतों के समाधान के लिए, टाटा स्टील ने नए बाजारों में अवसर तलाश निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि की।
साथ ही आपूर्ति श्रृंखला की क्षमता में सुधार किया। अप्रैल-जून 2020-21 में कुल बिक्री मात्रा का लगभग 50 प्रतिशत निर्यात कंपनी ने किया। टाटा स्टील ने पिछली दो तिमाहियों में नुकसान की सूचना दी है।
बढ़ गया नुकसान-
वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल-जून के दौरान, कंपनी ने 4,648.13 करोड़ रुपये के समेकित नुकसान की सूचना दी। आपको ज्ञात रहे साल 2019-20 की चौथी तिमाही के दौरान कंपनी ने 1,615.35 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था।
EBITDA -
उन बाजारों के बारे में जहां कंपनी वृद्धि देख रही हो सवाल के जवाब में नरेंद्रन ने कहा, "भारत (INDIA) का कारोबार हमेशा EBITDA* एवं नकदी आधारित रहा है इसलिए, पिछले कुछ वर्षों में, हमने भारत में क्रमबद्ध तरीके से प्रगति की।"
(EBITDA)*- * अर्निंग बिफोर इंटरेस्ट, टैक्सेस, डेप्रिसिएशन एंड अमोरटाइजेशन यानी ब्याज, करों, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई।
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भारत दुनिया के लिए फायदेमंद-
नरेंद्रन ने उम्मीद जताई है कि; "खनन से लेकर हमारी अनुप्रवाही लंबी मूल्य श्रृंखला को देखने के साथ ही भारत में विकास के अवसरों से हम उम्मीद करते हैं कि भारत का व्यापार वैश्विक स्तर पर इस्पात उद्योग में सबसे अधिक लाभदायक होगा।"
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