राज एक्सप्रेस। भारत के कई बड़े बैंकों के साथ घोटाला करने वाले आरोपी विजय माल्या की मुश्किलें कुछ बढ़ती नजर आ रही हैं। भारत सरकार द्वारा भगोड़ा घोषित किए गए शराब कारोबारी और किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या कोरोना संकट के बीच एक बार फिर चर्चा में हैं। पिछले दिनों ब्रिटिश अदालत ने विजय माल्या की याचिका को खारिज कर उसकी मुश्किलें और अधिक बढ़ा दी हैं। वहीं, अब भारत की सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर उनका नाम चर्चा में नजर आया। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या की सजा पर आदेश सुरक्षित कर लिया है।
कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित :
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को सुनाई जाने वाली सजा पर आदेश सुरक्षित रख लिया है। यह आदेश साल 2017 में SBI और किंगफिशर एयरलाइंस के बीच संपत्ति से जुड़ी पूरी जानकारी न देने के चलते कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने के आरोप में सुनाई गई थी। इस मामले में जस्टिस यूयू ललित ने दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा है। जबकि, वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि, 'अभी गिरफ्तारी का वारंट जारी करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि माल्या ब्रिटेन में है।'
जस्टिस ललित का कहना :
पीठ ने गृह मंत्रालय (MHA) के इस फैसले पर विचार किया जिसमें ब्रिटेन के गृह कार्यालय ने जानकारी दी है कि, 'एक और कानूनी मुद्दा माल्या के प्रत्यर्पण से पहले हल करना जरूरी है और यह मुद्दा बाहर का है और ब्रिटेन के कानून के तहत प्रत्यर्पण प्रक्रिया से अलग है।' जस्टिस ललित ने कहा कि, 'माल्या किसी की हिरासत में नहीं है और वह ब्रिटेन में एक स्वतंत्र नागरिक है। एकमात्र कारण यह लगता है कि वहां की अदालत में कोई कार्यवाही लंबित है, जो तय करेगी कि किसी व्यक्ति को प्रत्यर्पित किया जाना है या नहीं। माल्या को कई मौके दिए गए। न्यायमूर्ति भट ने कहा कि इस मामले में परिस्थितियां असाधारण हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, 'यह भारत सरकार का स्टैंड नहीं था कि उसके खिलाफ कुछ गोपनीय कार्यवाही ब्रिटेन में लंबित है, बल्कि यह ब्रिटेन सरकार का स्टैंड था जो उसके प्रत्यर्पण में देरी कर रहा है।'
सुप्रीम कोर्ट का कहना :
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, 'उसने माल्या को अवमानना का दोषी पाया है और सजा मिलनी चाहिए। हालांकि उसको सुना जाना चाहिए, लेकिन वह अब तक अदालत में पेश नहीं हुआ है।' जस्टिस भट ने कहा कि, 'माल्या अब तक सुनवाई से दूर रहा है और अगली सुनवाई में भी यही होगा तो अदालत को उसके गैरहाजिर रहते सजा सुनानी होगी।'
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