राज एक्सप्रेस। श्रम और रोजगार मंत्रालय समय-समय पर कर्मचारियों के भविष्य निधि (EPF) को लेकर फैसले लेता आया है। वहीं, अब मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि, 'कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में अंशदान में यदि देरी होती है तो उससे होने वाले नुकसान की भरपाई नियोक्ता कंपनी को करना अनिवार्य होगा।'
EPF से जुड़ा फैसला :
दरअसल, ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था। इस मामले में निवारण के तौर पर कुछ इस तरह की व्यवस्था कर दी गई है कि, 'कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में अंशदान में यदि देरी होती है तो उससे होने वाले नुकसान की भरपाई नियोक्ता कंपनी को करना अनिवार्य होगा। इस मामले में सुनवाई न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने की है। उन्होंने सुनवाई करते हुए कहा है कि, 'कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम किसी ऐसे प्रतिष्ठान (Establishment) में काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है, जहां 20 या अधिक लोग काम करते हैं।'
टॉप कोर्ट का कहना :
इस मामले में टॉप कोर्ट का कहना है कि, 'इस कानून के तहत नियोक्ता की यह जिम्मेदारी है कि, वह अनिवार्य रूप से भविष्य निधि (PF) की कटौती करे और उसे ईपीएफ कार्यालय (EPF Office) में कर्मचारी के खाते में जमा कराए। सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर दी है।' जबकि, इसी मामले में कर्नाटक की हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि, 'यदि नियोक्ता EPF में अंशदान में देरी करता है, तो इसकी क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी उसी की होगी। हमारा विचार है कि, EPF अंशदान जमा करने में देरी के लिए नियोक्ता को कानून की धारा 14 बी के तहत क्षतिपूर्ति देनी होगी।'
गौरतलब है कि, साल 2020 में कोरोना की एंट्री के बाद श्रम मंत्रालय ने कहा था कि EPF योगदान में कमी उसके द्वारा देय मजदूरी के संबंध में" लागू होगी।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।