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सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर बाबा रामदेव पतंजलि को लगाई जमकर फटकार

ऐलोपैथी जैसी चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को जमकर फटकार लगाई।

Author : Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • केंद्र सरकार से कहा इसका व्यवहार्य समाधान खोजा जाना चाहिए

  • इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने दायर की थी याचिका

  • सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली खंडपीठ ने की इस मामले की सुनवाई

  • हर उत्पाद पर लगाया जा सकता है 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना

राज एक्सप्रेस। ऐलोपैथी जैसी चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा उनका उद्देश्य तत्काल मामले को एलीपैथी बनाम आयुर्वेद पर बहस शुरू करना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम केवल इतना चाहते हैं कि चिकित्सा से संबंधी भ्रामक विज्ञापनों पर प्रभावी रोक लगे। इस मामले में तत्काल याचिका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर की गई थी।

भ्रामक विज्ञापन बंद नहीं किए तो करेंगे कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को धमकाया कि अगर उसके उत्पादों को लेकर किए जाने वाले भ्रामक दावे करना बंद नहीं किया तो वह कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। सर्वोच्च न्यायालय ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी है और उसे फटकार लगाई है कि अगर वह आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करना जारी रखती है, तो उसके हर उत्पाद पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

विज्ञापनों और बयानबाजी को प्रतिबंधित किया

यह चेतावनी भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा दायर एक याचिका पर आज की सुनवाई के दौरान दी गई। अहसानुद्दीन अमानुल्लाह एवं प्रशांत कुमार मिश्र की खंडपीठ ने जे.जे. पतंजलि आयुर्वेद को ऐसे किसी भी विज्ञापन को प्रकाशित न करने और आने वाले भविष्य में प्रेस में कोई भी आकस्मिक बयान देने से प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया। सप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने कहा उसका उद्देश्य तत्काल मामले को 'एलोपैथी बनाम आयुर्वेद' की बहस बनाना नहीं है। उन्होंने कहा कि हमरा उद्देश्य भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का यथार्थवादी समाधान खोजना है।

पांच फरवरी को होगी मामले की अगली सुनवाई

न्यायालय ने केंद्र सरकार से समस्या से निपटने के लिए एक व्यवहार्य समाधान खोजने को कहा और मामले को 5 फरवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। इस मामले में तत्काल याचिका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर की गई थी, जिसमें एलोपैथी और दवाओं की आधुनिक प्रणाली के खिलाफ पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों, कुछ बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करने के माध्यम से 'गलत सूचना के निरंतर व्यवस्थित और बेरोकटोक प्रसार' पर चिंता जताई गई थी।

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