नई दिल्ली। फ्यूचर ग्रुप के खिलाफ कानूनी विवाद मामले में 'अमेज़न' ने मंगलवार को सात पन्नों की लिखित दलील पेश करने की अनुमति मांगी वहीं शीर्ष न्यायालय ने इसे मुकदमे को लंबा खींचने का प्रयास बताते हुए गहरी नाराजगी व्यक्त की तथा अपनी असहमति जताई।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मुकदमे को खींचने की एक रणनीति बताया और अमेज़न के वकील से पूछा कि क्या यह अदालत की समझ को कम आंकने की कोशिश है?
मुख्य न्यायाधीश ने नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि अगर अमेज़न सात पन्नों का लिखित दलील दाखिल करना चाहती है, तो फ्यूचर को भी उसका जवाब दाखिल करने का मौका दिया जाना चाहिए। ऐसे में मुकदमा खींचता रहेगा।
मुख्य न्यायाधीश ने लिखित दलील दाखिल करने की मांग की परंपरा शुरू करने पर असहमति व्यक्त करते हुए सवालिया लहजे में कहा , "यह कहां समाप्त होने वाला है? इन विलासितापूर्ण मुकदमों को न सुनना ही बेहतर है?"
इससे पहले शीर्ष अदालत ने फ्यूचर ग्रुप की याचिका पर दिवालिया कार्यवाही की चेतावनी देने वाले बैंक के नोटिस को रद्द करने के मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
फ्यूचर ग्रुप के वकील के. वी. विश्वनाथन ने अमेज़न के अनुरोध का विरोध किया और दलील देते हुए इसे अनुचित व्यवहार करार दिया। उन्होंने कहा जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था, उसी दिन अमेज़न को लिखित दलील दाखिल करने का अनुरोध करना चाहिए था।
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