कैश रिजर्व की समस्या से जूझते भारतीय स्टार्टअप। Neelesh Singh Thakur – RE
स्टार्ट-अप्स एंड एंटरप्रेन्योरशिप

70 फीसद भारतीय स्टार्टअप के पास 3 माह से कम कैश रिजर्व

"कैश रिजर्व की समस्या के कारण अर्ली और मिड स्टेज बिजनेस सबसे ज्यादा हिट होंगे, खासकर B2C जगत पर इसका ज्यादा असर दिखेगा।"

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स

  • भारतीय स्टार्टअप परेशान

  • 70% के पास कम कैश रिजर्व

  • नैसकॉम के सर्वे में बयां किया दर्द

राज एक्सप्रेस। नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम- Nasscom) के सर्वे का मानना है कि 60 फीसद बिजनेस टू कंज्यूमर (B2C) यानी उपभोक्ता तक व्यवसाय से जुड़ी कंपनियां बंद होने की कगार पर हैं। खास तौर पर प्रारंभिक और मध्य अवस्था के व्यवसायों को सबसे बुरा प्रभाव पड़ा है।

इतना प्रभावित -

प्रौद्योगिकी उद्योग निकाय नैसकॉम के एक सर्वेक्षण के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण होने वाले व्यापारिक व्यवधानों के कारण भारत का स्टार्टअप सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इनमें 10 में से 9 स्टार्टअप्स ने राजस्व में गिरावट दर्ज की और इनमें से कुछ को अपना कामकाज अस्थायी या स्थायी रूप से रोकना पड़ा है।

अर्ली और मिड स्टेज -

कैश रिजर्व की समस्या के कारण अर्ली और मिड स्टेज बिजनेस सबसे ज्यादा हिट होंगे, खासकर B2C जगत पर इसका ज्यादा असर दिखेगा। सबसे ज्यादा हिट सेगमेंट शुरुआती और मध्य-चरण के व्यवसाय हैं, खासकर बिजनेस टू कंज्यूमर स्पेस। नैसकॉम के सर्वे के अनुसार दो महीने तक देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कुल B2C स्टार्टअप्स में से लगभग 60% में काम बंद रहा। यहां तक कि इस जगत का कामकाज अभी तक ठप पड़ा है।

इनकी प्रतिक्रिया –

दो महीने तक चलने वाले इस सर्वेक्षण में पूरे सेक्टर के 250 से अधिक स्टार्टअप्स से प्रतिक्रिया मिली, जिसमें पाया गया कि 92% के राजस्व में गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 40% स्टार्टअप्स ने या तो अस्थायी रूप से परिचालन बंद कर दिया है या बंद करने की प्रक्रिया में हैं, लगभग 70% के पास नकद भंडार 3 महीने से कम समय तक रहने वाला है।

"यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारतीय स्टार्टअप मूवमेंट और इसका विकास पथ बेपटरी नहीं हुआ है प्रमुख हितधारकों से समन्वित समर्थन समय की आवश्यकता है।"
देबजानी घोष, अध्यक्ष, नैसकॉम

ट्रेवल एंड टूरिज्म -

यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में 70% से अधिक स्टार्टअप ने राजस्व में 40% से अधिक की गिरावट देखी है, जबकि 50% फिनटेक और लॉजिस्टिक्स व्यवसायों में समान गिरावट देखी गई है।

इनका नफा -

स्टार्टअप सेक्टर में केवल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी (ed-tech) में वृद्धि देखने को मिली है। कुल 14 फीसद संबंधित व्यवसायों ने राजस्व में वृद्धि की सूचना दी है। जबकि बिजनेस टू बिजनेस (B2B) स्टार्टअप कोराजस्व की कम गिरावट का सामना करना पड़ा।

"सरकार से हमारी कुछ प्रमुख सिफारिशों में कार्यशील पूंजी तक पहुंच, अनुपालन में ढील और राजकोषीय नीति और वित्त पोषण सहायता शामिल है।"
नैसकॉम

काफी कुछ प्रभावित-

हालांकि, 9,300 प्रौद्योगिकी स्टार्टअप में सीधे 4,00,000 लोगों को नियुक्त करने वाले सेक्टर से काफी कुछ प्रभावित हुआ है। सर्वे के मुताबिक ये सेक्टर मुख्य रूप से अपने बिजनेस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

नई तकनीक -

स्टार्टअप अपना अस्तित्व बरकरार रखने प्रयासरत हैं। हेल्थकेयर और एजुकेशनल टेक्नोलॉजी जैसी सेवा प्रदाता श्रेणियों में नई तकनीकों को अपनाया जा रहा है। इन सेक्टर्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का बढ़ता उपयोग साफ तौर पर देखा जा सकता है।

इतनी आयु -

नैसकॉम के सर्वेक्षण में भाग लेने वाले केवल 8% स्टार्टअप ने कहा कि उनके पास नौ महीने से अधिक जीवित रहने के लिए पर्याप्त पैसा है। 90% स्टार्टअप्स ने कहा कि वे राजस्व में गिरावट का सामना कर रहे हैं, जबकि 30 से 40% ने कहा कि वे अस्थायी रूप से अपने संचालन को रोक रहे थे या बंद करने की प्रक्रिया में थे।

कुछ स्टार्टअप जैसे बिजनेस-टू-बिजनेस स्टार्टअप, विशेष रूप से खुदरा और फिनटेक श्रेणियों में काम करने वालों ने बताया है कि उन्हें अपने ग्राहकों से भुगतान में देरी का सामना करना पड़ रहा है। विषय से संबंधित और खबरों के लिए क्लिक करें-

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डिस्क्लेमर – आर्टिकल एजेंसी फीड और प्रचलित खबरों पर आधारित है। शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ कर इसे पठनीय बनाया गया है। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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