राज एक्सप्रेस। जी20 शिखर सम्मेलन में विश्व स्तर पर कार्यकुशलता के अंतर को मापने और कौशल विकास की निगरानी के लिए 26 संकेतकों पर सदस्य देशों के बीच सहमति बनी है। जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान शिक्षा और श्रम पर कार्य समूहों की बैठकों में कौशल और कुशल श्रमिकों की बढ़ती कमी पर गंभीरता से चर्चा हुई। साझा घोषणा पत्र में सभी सदस्य देशों ने इन घोषणाओं को साकार करने के लिए सतत निगरानी और परीक्षण के फार्मूले पर अमल करने पर भी सहमति जताई है। वैश्विक स्तर पर स्किल गैप मापने और कौशल विकास की निगरानी के लिए 26 संकेतकों पर सहमति जताई गई है।
नई दिल्ली में हाल ही में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में शिक्षा एवं श्रम संबंधी कार्य समूहों की तमाम बैठकों में कौशल विकास और कुशल कामगारों की बढ़ती चुनौती पर गंभीर चिंतन हुआ। यही कारण है कि साझा घोषणा पत्र में उसे प्रमुखता से शामिल किया गया है। सभी देशों ने कौशल कमियों को दूर करने, अच्छे योजनाओं व प्रयासों को प्रोत्साहित करने के साथ ही समावेशी सामाजिक सुरक्षा नीतियों को सुनिश्चित करने के एजेंडे पर सहमति जताई।
विमर्श के दौरान यह भी तय किया गया कि वैश्विक जरूरतों के हिसाब से मानक तय किए जाने चाहिए। कौशल, योग्यता और व्यवसायों का वर्गीकरण कर अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप श्रमशक्ति का विकास किया जा सकता है। इसके अलावा यह भी तय किया गया है कि सभी देश राष्ट्रीय सांख्यिकी डेटा तैयार करेंगे। जी-20 देशों में नौकरियों का डेटा बेस तैयार किया जा जाएगा। इस काम के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) का विस्तार किया जाएगा।
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार आइएलओ और ओईसीडी ने वैश्विक स्तर के स्किल के विकास की जरूरत पर जोर दिया है। सबसे बड़ी चुनौती भारत जैसे जी20 देशों के वर्कफोर्स को अप-स्किल करने की है। इसके लिए 12 बुनियादी और 14 विस्तारित संकेतक प्रस्तावित किए हैं। इन संकेतकों पर जी-20 देशों ने सहमति भी व्यक्त कर दी है। आइएलओ और ओईसीडी ने इन्हीं संकेतकों के आधार पर जी-20 सदस्य देशों में स्किल गैप की निगरानी और अंतर को मापने के लिए हस्तक्षेप करने की जिम्मेदारी अपने हाथ ली है।
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